आदमी पर मूतने लगा आदमी, यह सामाजिक पश्चाताप का समय है
अ गर हम देख पा रहे हैं तो हमारे जीवन की प्रत्येक गतिविधि में राजनीति का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि हर सामाजिक प्रश्न राजनीतिक बना दिया जाता है। आजकल की दलीय राजनीति अपने-अपने वोट बैंक की चिन्ता में डूबकर इतनी संकुचित हो गयी है कि वह…
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