गुस्ताखी माफ़: क्या कहें, ना खुदा न मिले …. या फिर न घर के ना घाट के… चाल मिल गई….
क्या कहें, ना खुदा न मिले .... या फिर न घर के ना घाट के...(kamlesh khandelwal indore) इन दिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों की संस्कृति एक जैसी दिखाई देने लगी है। दोनों को ही एक दूसरे के घर से भागी हुई या निकाली हुई को लुभाने की ऐसी होड़ चल…
Read More...
Read More...