गुस्ताखी माफ़- बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच भगत की भक्ति में ही सार बचा है..
बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच भगत की भक्ति में ही सार बचा है..राजनीति में कोई किसी नेता का लंबे समय दुश्मन नहीं रहता और लंबे समय दोस्त भी नहीं रहता। भाजपा में यह परंपराएं अब पहले से ज्यादा बदलने लगी हैं। रायता फैलने की प्रवृत्ति इतनी…
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