सुलेमानी चाय-नेता प्रतिपक्ष के लिए भोपाल की दौड़…वक्फ बोर्ड़ प्रदेश अध्यक्ष इस बार इंदौर से…

चुनाव के आखिर में एक रस्म ऐसी भी निकाली जाय, क्यों ना हारे जीतों को गले मिलाया जाय...

नेता प्रतिपक्ष के लिए भोपाल की दौड़…


इंदौर में चुनावी दंगल तो खत्म हो चुका अब दूसरे पदों की आता पाती का वक्तआ चुका है। नेता प्रतिपक्ष के लिए इंदौर निगम से दो अल्पसंख्यक पार्षद जोर आजमाइश में लगे हुए है, जिसमें से एक की भोपाली रास्तों से अच्छी पहचान हो चुकी है तो दूसरे के लिए भोपाल अभी दूर है, लेकिन हमारे हरिराम जो कि अंदर तक अपनी पहुंच रखते है उनके हिसाब से इस बार नेता प्रतिपक्ष पद आता पाती में दोनों के हिस्से नहीं आ रहा। प्रतिपक्ष की रेवड़ी इस बार एक नम्बर या दो नम्बर में गिरती नजर आ रही है।

वक्फ बोर्ड़ प्रदेश अध्यक्ष इस बार इंदौर से…

इंदौर से निगम चुनाव में पार्षद पद की रेवड़ी से अल्पसंख्यक वर्ग को वंचित रखने वाला बीजेपी संगठन इस बार वक्फ बोर्ड अध्यक्ष पद की मलाई इंदौर में बांटने की तैयारी में है। 30 जुलाई को वक्फ बोर्ड प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव होने जा रहे है, जिसमें अगर कोई आसमानी सुल्तानी नहीं हुई तो ये पद इंदौर की झोली में गिरता नजर आ रहा है। हम अंदाज़ा लगा चुके, आप भी अपने दिमाग पर जोर डाले, इसी के साथ

ढोल धमाकों के साथ तैयार हो जाये

चुनाव के आखिर में एक रस्म ऐसी भी निकाली जाय, क्यों ना हारे जीतों को गले मिलाया जाय…
नाली गटर के छोटे-छोटे चुनाव में इंसानियत के बड़े-बड़े उसूल भूल चुके नेता जी अपनी चुनावी रंजिश के चलते किसी का घर तक बर्बाद करने पर तुल जाते है। छोटे चुनावों में किसी के पारिवारिक मसलों को मुद्दा बनाना और उसमें अपनी दुश्मनी का तड़का लगाना ठीक नहीं। हम तो बस यही कहते है कि दुश्मनी जम के करो लेकिन ये गुंजाइश रखो दोस्ती हो तो फिर कभी शर्मिंदा ना होना पड़े। इसी के साथ चुनाव खत्म हो चुके है, आपसी रंजिश और गिले शिकवे खत्म कर सब को गले मिलाने की भी एक रस्म शुरू होना चाहिए।

दुमछल्ला…
मरा हुआ हाथी सवा लाख का…

इंदौर के इल्मी हलको में इस्लामिया कारीमिया सोसाइटी का नाम आज भी इज्जत का हकदार है। सालों तक सदर रहे हाजी अब्दुल गफ्फार नूरी ने इसके मयार को लिफ्ट कराने की कोशिश नहीं की। अन्दरूनी और बाहरी सियासत ने उन्हें कभी इसका मौका ही नहीं दिया। उन्होंने इसे सालों तक संभाल कर रखा इसे उनकी कामयाबी ही कहा जाएगा। सोसाइटी के मातहत चल रहे नौ से भी ज्यादा संस्थानों को अब नए बागबाँ की दरकार है, ज्यादातर इदारे घाटे में चल रहे है। नए लोग आगे आ रहे है लेकिन उसकी राह में कांटे है। पुराने चौकीदार जमे हुए है और जमे ही रहना चाहते है। उन्हें पता है कि मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है।
-9977862299

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