360 उम्मीदवारों के लिए यही रात अंतिम, यही रात भारी

कल होगा 341 पार्षद व 19 महापौर उम्मीदवार के भविष्य का फैसला

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)। नगर निगम चुनाव में पिछले एक माह से किसी युध्द की तरह लड़ रहे 360 उम्मीदवारों के लिए आज की यही रात अंतिम और यही रात भारी है। इन्होंने 525 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के 85 वार्डो में फैले 18 लाख 35 हजार 316 मतदाता रूपी भगवान की सेवा चाकरी में कोई कोर कसर नही छोड़ी। देखना अब यह है कि मतदाता रूपी भगवान को प्रसन्न करने में यह लोग कितने सफल हुए है। इसलिए इनके लिए आज की रात काटना बहुत मुश्किल होगा। जनता जनार्दन का यह फैसला बहुतों का भविष्य बनाने वाला है तो बहुतों का बिगाड़ने वाला। देखना यह भी दिलचस्प होगा कि युवा उम्मीदवारों को जनता जनार्दन मौका देती है या उम्र दराज नेताओ को घर बैठती है।

जनताजनार्दन की सेवा के बहाने शहर पर राज करने की मंशा लिए 360 उम्मीदवारों के लिए यही रात अंतिम ओर यही रात भारी है। कल सुबह यह सभी सूरज की पहली किरण के पहले उम्मीद से उठेंगे, मगर जैसे जैसे दिन घटता जाएगा वैसे वैसे कइयों के भविष्य का सूर्य अस्त होता चला जाएगा। बहुत से उम्मीदवारों का तो यह अंतिम चुनाव साबित होगा, तो बहुत से युवाओ के भविष्य की शुरूआत कल के बाद होगी। इसलिए कल का दिन इनके भविष्य का फैसला करेगा। नगर निगम के 85 वार्डो के कुल 1835316 मतदाताओं में इस बार 19 हजार से ज्यादा युवा मतदाताओं का रोल उम्मीदवारों के भविष्य के फैसले में अहम रखेगा। खैर अभी तो मतदाताओं का फैसला नेहरू स्टेडियम के 8 कमरों में कैद 2250 मतदान केंद्रों के ईवीएम व डाक मत पेटी में बंद है। शहर के ऐतिहासिक नेहरू स्टेडियम के 8 कमरों में रखी इन जादू की डिब्बीओं से कल दोपहर बाद फैसला आना शुरू हो जाएगा। यहां दो कमरों में डाक मतपत्रों से भरी पेटी है तो 6 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन।


कल सुबह 97 टेबलों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के मतपत्रों की गिनती होगी तो 8 टेबलों पर डाक मतपत्रों की। गहमा गहमी भरे माहौल में कोई खुशियों की झड़ी में नहायेगा तो कोई गम के समंदर में डूबेगा। नगर सरकार के मुकद्दर के फैसले का समय आ चुका है। सुबह 7 बजे स्ट्रांग रूम खुलते ही 1 हजार अधिकारी व कर्मचारी सभी 360 उम्मीदवारों के भविष्य की गणना में जुट जाएंगे। दोपहर बाद स्थिति साफ होते होते शाम तक स्पष्ट हो जाएंगी। जिससे बहुतों का नसीब संवर जाएगा तो कईयों का मुकद्दर रूठ जाएगा। वैसे तो यह घड़ी दो साल पहले आने वाली थी मगर इस घड़ी पर वैश्विक कोरोना महामारी का लॉक डाउन लग जाने से पिछड़ गई।

इससे यह भी साबित हो गया कि नेताओ के बगैर कुछ नही हो सकता। क्योंकि इन्ही दो सालों में इंदौर नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने (कुछ अपवाद को छोड़) शहर को स्वच्छता की दौड़ में अव्वल ही रखा। शहर का प्रथम नागरिक बनने की दौड़ में 19 उम्मीदवार है, मगर जनता को आकर्षित सिर्फ कांग्रेस के संजय शुक्ला ओर भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव ही करा सके। इनका भविष्य तय कर रहे है 9 लाख 36 हजार 213 पुरुष व 8 लाख 99 हजार 017 महिला मतदाता हैं। इनमें 86 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं।

वार्ड क्रमांक 79 शहर का सबसे बड़ा वार्ड है यहां 35881 मतदाता होने से इसका परिणाम सबसे आखिरी में आएगा। जबकि सबसे छोटा वार्ड 52 होने से इसका परिणाम सबसे पहले, यहां 14011 मतदाता है। पिछले 20 वर्षो से नगर निगम में भाजपा की परिषद व महापौर होने से एंटीइनकम्बेंसी के प्रभाव को नकारा नही जा सकता। अब ऊंट किस करवट बैठता है यह तो कल देर रात ही पता चल सकेगा। तब तक तो इन सभी की यही रात अंतिम ओर यही रात भारी है…।

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