इंदौर। नगर पालिक निगम चुनाव के लिए बुधवार को हुए मतदान को लेकर जमकर अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला। पहले तो मतदाताओं को मतदान पर्ची का वितरण ही नहीं किया गया। इसके बाद मतदाता मतदान पर्ची बनवाने के लिए हलाकान होते रहे। दूसरी ओर मतदाता लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से सैकड़ों मतदाता मतदान से वंचित रह गए। मतदाता लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से उन्हें मतदान करने का मौका नहीं दिया गया। इसे लेकर कई मतदान केंद्रों पर विवादपूर्ण स्थिति भी निर्मित हुई।
उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय के प्रथम चरण में इंदौर नगर पालिक निगम के ८५ वार्डों के पार्षद एवं महापौर पद के लिए ६ जुलाई को सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक मतदान हुआ। इस दौरान, मतदाताओं में मतदान के लिए अच्छा रुझान देखने को मिला। लोग सुबह से ही मतदान केंद्रों पर वोट डालने पहुंचने लगे थे, लेकिन सैकड़ों लोगों को उस समय काफी निराश होना पड़ा, जब उन्हें बताया गया कि मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है, इसलिए वे वोट नहीं डाल सकते। इस बात को लेकर, विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदाताओं और पीठासीन अधिकारी के बीच अच्छी खासी झड़प भी हुई। यहां यह प्रासंगिक है कि प्रत्येक चुनाव में मतदान से पहले निगमकर्मियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक वार्ड में मतदाताओं को मतदाता पर्ची का वितरण किया जाता है। इसके अलावा विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों द्वारा भी मतदाताओं को घर घर जाकर मतदाता पर्ची का वितरण किया जाता है। लेकिन इस बार अधिकांश वार्डों में न तो निगमकर्मी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मतदाता पर्चियों का वितरण किया गया और ना ही राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाता पर्ची के वितरण में रुची दिखाई। इतना ही नहीं मतदान केंद्र पर वोट देने के लिए पहुंचे मतदाताओं को भी उस समय काफी परेशान होना पड़ा जब उन्हें पता चला ही उनके मतदान केंद्र ही बदल दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त राजनैतिक दलों के एजेंटों द्वारा जो पर्चियां उपलब्ध करवाई गई उनका मतदान केंद्रों में मेल नहीं होने से भी उन्हें काफी परेशान होना पड़ा। हद तो तब हो गई जब एक ही परिवार के मतदाताओं की वोटिंग के लिए उन्हें अलग अलग मतदान केंद्रों पर जाना पड़ा। इससे परेशान होकर कई मतदाताओं ने वोटिंग करने के बजाए घर लौटना ही ठीक समझा
लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से नहीं दिया मतदान का मौका, कई जगह हुए विवाद जिन मतदाताओं का नाम लिस्ट में नहीं था, उनका कहना था कि जब पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उनका नाम मतदाता लिस्ट में था और उन्होंने वोटिंग भी की थी तो फिर इस बार उनका नाम लिस्ट से कैसे हट गया। कई तो ऐसे मतदाता थे, जिनके हाल ही में नए कलर फोटो वाले वोटिंग कार्ड बने हैं और उनके बच्चों के नाम लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन माता-पिता का नाम लिस्ट में नहीं था। इस वजह से ऐसे सैकड़ों मतदाता मतदान करने से वंचित रह गए और शासन-प्रशासन को कोसते नजर आए। इस मामले को लेकर दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों ने भी पीठासीन अधिकारी के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई। बावजूद इसके, नतीजा सिफर ही रहा। अंतत हर वार्ड में ऐसे कई मतदाता थे जिन्हें बगैर वोट डाले ही अपने घर की राह पकड़नी पड़ी।