नगर निगम चुनाव में इस बार भाजपा ने जहां 56 टिकिट काट दिये वहीं कई वार्डों में पार्टी से ही बागी होकर लड़ रहे कार्यकर्ता से अधिकृत प्रत्याशी को नुकसान होगा। कांग्रेस में भी यही स्थिति है। वार्ड 51 मूसाखेड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और 5 बार अलग अलग वार्डों से चुनाव जीतने वाले छोटे यादव के सामने भाजपा ने कमल यादव का टिकिट काटकर मलखानसिंह कटारिया को मैदान में उतारा है मगर कमल यादव और कांग्रेस के बागी संतोष यादव के मैदान में डटे रहने से कहीं न कहीं छोटे के लिए मुसीबत हो सकती है। 20 हजार के मतदाता वाले वार्ड में 15 साल से भाजपा का पार्षद जीतता आया बावजूद इसके बारिश में जलजमाव और गर्मी मे पीने के पानी की समस्या यहां बड़ी है। कमल यादव ने दावा कि उन्होंने 40 करोड़ से अधिक के काम बीते 7 सालों में वार्ड में करवाए हैं।
रिंग रोड क्षेत्र के इस वार्ड में जहां यादवों में एक तरह से महाभारत होगी। वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पांच बार के अलग-अलग वार्डों से पार्षद रहे छोटे यादव के लिए यह सीट आसान नहीं रहेगी। कांग्रेस पार्टी से ही बागी होकर चुनाव लड़ रहे संतोष यादव का भी क्षेत्र में अच्छा होल्ड है और युवाओं की टीम उनके लिए काम कर रही है जबकि छोटे यादव अपने परिवार और पुरानी टीम व कार्यकर्ताओं के साथ छटी बार चुनाव जीतने में पूरी ताकत झोंक रहे है। इधर भाजपा के बागी कमल यादव ने भी भाजपा प्रत्याशी मलखानसिंह कटारिया के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है। कमल का कहना है कि 7 सालों में 40 करोड़ से अधिक के काम वार्ड में कराए है। हालांकि नागरिक जलजमाव और पीने के पानी जैसी समस्याओं से ग्रसित है। शिव नगर के पास जर्जर पुलिया नहीं बनी और लोग चद्दर लगाकर अपने घरों तक जाते है।
वार्ड में यादव, पालीवाल, कुमावत, सेन, लोधी, बौरासी समाज के मतदाता ज्यादा है। यहां शिव नगर, इंदिरा एकता नगर, रामनगर, विराट नगर, शाहीन नगर, शिवदर्शन नगर, आलोक नगर, चौधरी पार्क जैसी कॉलोनियां हैं। विराट नगर ही सिर्फ वैध कॉलोनी है बाकी पूरा वार्ड अवैध और स्लम है। रिंग रोड चौराहा से मुख्य मार्ग काफी संकरा है और मूसाखेड़ी क्षेत्र का यहां सबसे बड़ा बाजार भी लगता है। बारिश में इस सड़क पर दो से तीन फीट पानी भरा रहता है। बस्तियों की गलियों में भी जलजमाव की बड़ी समस्या है। कमल यादव ने 100 सड़कें, दो बगीचे, ड्रेनज लाइन के अलावा कई विकास कार्य करने का दावा किया। हालांकि वार्ड में सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल के लिए अब तक नागरिक तरस रहे है।