गुस्ताखी माफ़-दादा अभिमन्यु तो गोपी बाबू की लॉटरी लग सकती है…60 वार्डों में सिंगल नाम, 25 में झगड़े…

दादा अभिमन्यु तो गोपी बाबू की लॉटरी लग सकती है…


क्षेत्र क्र. 2 के विधायक दादा दयालु की समझ में आ गया है कि इस महाभारत में उनकी हालत अभिमन्यु की तरह हो गई है। किसी और को निपटाने की रणनीति में वे घिरा गए हैं। मामा और उनके साथी नहीं चाहते थे कि भोपाल में कृष्णा गौर महापौर बने और उन्हें रोकने के लिए विधायक महापौर नहीं बनाए जाएंगे कि नीति लाई गई। इस बयार में दादा दयालु अपने आप ही बाहर हो गए। हालांकि कल पेलवान ने ग्वालियर रियासत के मुखिया के द्वारे पहुंच कर भी दादा दयालु का पक्ष रखा। वैसे भी सांवेर में दादा दयालु के प्रयास से ही वे रिकार्ड मतों से जीते थे। दूसरी ओर बैठक शुरू होने के साथ ही केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योति बाबू के बीच हुए वाक युद्ध के बाद माहौल बदल गया। परिणाम यह हुआ कि अब महापौर के फैसले भोपाल से निकलकर दिल्ली चले गए हैं। नाटक-नौटंकी देखते हुए दादा दयालु ने खुद ही फतवा जारी कर दिया कि वे उम्मीदवार नहीं हैं। दूसरी ओर इस बीच ताजा समीकरण में गोपी बाबू की लाटरी भी खुल सकती है क्योंकि उन्हें लेकर आम सहमति बन सकती है। वैसे भी भाजपा में इन दिनों कार्यकर्ता उसके कामों से कम और भाग्य से ज्यादा पद पा रहे हैं। 20 साल डंडे खाने वाले और जेल जाने वाले इन दिनों कतार में हैं। जिनका कोई नाम नहीं ले रहा है। दूसरी ओर निशांत खरे जैसे नाम बिना बुलाए ही चले आ रहे हैं। जिनका भाजपा की रीति-नीति से कोई लेना-देना नहीं है। जो भी हो कुछ लोगों की उंगली पर नाचने वाले महापौर तो शहर को मिल ही जाएगा।
60 वार्डों में सिंगल नाम, 25 में झगड़े…


कांग्रेस तमाम कोशिश के बाद भी महापौर के बाद पार्षदों के नामों को लेकर ऐलान नहीं कर पा रही है। भोपाल में 3-3 नामों का पैनल लेकर पहुंचे विनय बाबू डांट के बाद अब फिर नए नामों का पैनल बनाकर संभागीय संगठन मंत्री के द्वारे लिस्ट लेकर पहुंचे हैं। इस बार 60 वार्डों में सिंगल नाम दिए जा चुके हैं। केवल 25 में ही दो नाम को लेकर पैनल बनाया गया है। दूसरी ओर कमलनाथ के नए आदेश को इंदौर में कितना अमलीजामा पहनाया जा सकता है, यह तो समय ही बताएगा। कई दिग्गजों के विधायक की दौड़ में नंबर नहीं लग रहे हैं, वे पार्षद में ही चकरी बने हुए हैं। नए आदेश में कहा गया है कि अब घरेलू वार्डों से ही उम्मीदवारों का चयन होगा। ऐसे में छोटे यादव जैसे दिग्गज वार्ड 51 से बाहर हो गए तो चिंटू चौकसे और राजू भदौरिया को भी अब चुनावी मैदान से हटना होगा। देखना होगा कि कमलनाथ के इस आदेश का कितना पालन इंदौर में हो पाएगा।
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