इंदौर। नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों में तालमेल नहीं होने से कंट्रोल रूम को सही जानकारी नहीं मिल रही। अधिकारियों का कहना है कि कान्ह नदी जोन 17 से होकर गुजरती है। इन जोन से अभी तक यह जानकारी कंट्रोल रूम नहीं पहुंचाई गई कि किस जोन से कितनी गाद निकाली गई और कितनी बाकी है। यही कारण है कि निगम का हर अधिकारी यह बताने में असमर्थ है। नदी सफाई अभियान के तहत 7 करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद भी कान्ह को उसका मूल स्वरूप में सरकार अब तक नहीं लौटा पाई।
पिछले कुछ सालों में इंदौर की कान्ह नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत सरकार ने अभी तक सफाई अभियान में ही 500 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए हैं। बावजूद इनके नदी को अपने मूल स्वरूप में लौटने में सफलता कोसों दूर दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं अमृत योजना के तहत सीवरेज नेटवर्क का विस्तार करने और शहर में 7 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में 220 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च कर नदी किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। इन सबका हिसाब-किताब तो निगम के आधिकारिक सूत्रों के पास है, मगर इन दिनों किस हिस्से से कितनी गाद निकाली गई इसकी जानकारी निगम के अधिकारी देने से कतरा रहे हैं, जिससे नदी सफाई अभियान की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। नगर निगम प्रतिवर्ष बारिश पूर्व नदी की सफाई में दर्जनभर पोकलेन मशीन उतरता है, जिससे गाद निकालने व नदी गहरीकरण के साथ ही अन्य कचरा भी निकाला जाता है।
आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल इसके अलावा अत्याधुनिक विड हार्वेस्टर मशीन का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह मशीन तेजी से गाद व जलकुंभी के साथ-साथ अन्य कचरा भी आसानी से निकाल देती है। ताकि बारिश में नदी में ज्यादा पानी समाए। वर्तमान में निगम प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती पूर्व के वर्षों में बिछाई गई सीवरेज लाइन के ब्लॉकेज दूर करने की है। इस काम में निगम का सबसे ज्यादा समय बर्बाद हो रहा है। सबसे बड़ी चुनौती 21 किमी लंबी कान्ह नदी से गंदे पानी को अलग करने की है। जबकि 15 किमी लंबी सरस्वती नदी 90 प्रतिशत तक साफ की जा चुकी है। शहर में नदी-नालों की सफाई के लिए 2016 से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। दो साल से काम प्रभावित हालांकि कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष इसका काफी काम प्रभावित हुआ है। सरकार का लक्ष्य है कि शहर में बहने वाले सभी नालों में किसी भी तरह के गंदे पानी की बजाए भविष्य में केवल बरसाती पानी ही बहना चाहिए। इसके लिए निगम ने जनभागीदारी से कई जगह घरेलू आउटफाल बंद करवाने का काम भी किया गया है। निगम के अधिकारियों का दावा है कि इतने कम समय में इतना काम किसी शहर अभी तक नहीं हो पाया है। बारिश को 10 दिन शेष, होगी मुश्किल बारिश को 10 दिन शेष हैं। नदियों की सफाई पर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर चुका है, लेकिन अभी भी नदियों में गाद जमी पड़ी है। सीवरेज के चेम्बर साफ नहीं हो रहे हैं। ड्रेनेज लाइनें चौक होने की शिकायतें रोजाना कंट्रोल रुम में दर्ज हो रही है, इसके बावजूद निगम बेसुध है। निगम ने जल्द इन समस्याओं के निराकरण पर ध्यान नहीं दिया तो बारिश में हालत भयावह हो जाएंगे। पूर्व में शहर के कई इलाकों में बारिश का पानी जमा हो गया था। अब निगम ने निकासी को लेकर योजना बनाई थी। 5 इंच में जलजमाव जिस तरह से निगम सफाई को लेकर काम कर रहा है, उससे यह तय माना जा रहा है कि एक ही दिन में पांच इंच बारिश हो गई तो कई निचली बस्तियां जलमग्न हो जाएगी। ऐसे में लोगों को जानमाल का नुकसान हो सकता है। कई बस्तियों में पानी निकासी की व्यवस्था नहीं है।