इंदौर। बारिश का मौसम आने में अभी एक महज एक पखवाड़े का समय है, दूसरी ओर नदी-नालों की अभी तक साफ-सफाई ही नहीं हो सकी । यहां अभी भी गाद जमी हुई है और जलकुंभी विस्तार कर चुकी है। अब यदि बारिश शुरू हुई तो नदी-नालों में जमी गाद से शहर में जल-जमाव की समस्या पैर पसारने में देर नहीं लगाएगी। यदि ऐसा हुआ तो इस बार शहर में नाव भी चलाना पड़ सकती है।
यहां पर यह प्रासंगिक है कि पिछले बरस कान्ह- सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने और साफ-सफाई में अव्वल आकर स्वच्छता का पंच लगाने के लिए नगर निगम ने नाला टेपिंग अभियान चलाया था। उद्येश्य अच्छा था कि नदी-नालों में सीवरेज का पानी न मिले। बावजूद इसके, बिना किसी प्लानिंग के जल्दबाजी में किए गए नाला टेपिंग के काम ने बारिश के दिनों में शहरवासियों को परेशानी में डाल दिया था। कई मोहल्ले और कालोनियां जल-जमाव के कारण टापू बन गए थे और शहरवासियों को कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ा था। हालात तो यह थे, कि बीआरटीएस कारीडोर पर तीन-तीन फीट पानी जमा हो गया था और यहां से वाहन चालकों का गुजरना भी मुश्किल हो गया था। उस समय काफी हो-हल्ला मचा था और लोगों ने निगम को भी खूब कोसा। नतीजा यह रहा कि इस समस्या से निपटने के लिए निगम को पुन: नाले खोलने पड़े ताकि जल जमाव की समस्या से निजात मिल सके। निगम के इस प्रयास से उस समस्या से तो तात्कालिक मुक्ति मिल गई, लेकिन फिर इस मामले को भुला दिया गया।
कुछ जगह निकाली गाद, लेकिन ठिकाने नहीं लगाया
यहां पर यह महत्वपूर्ण है कि अभी भी कान्ह-सरस्वती में गाद और जलकुभी भरी पड़ी है, लेकिन उसे निकालने की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया है। कुछ जगह पर नगर निगम ने गाद तो निकाली, किन्तु उन्हें ठिकाने लगाने की बजाए किनारे पर ही छोड़ दी। अब यदि बारिश हुई तो यह गाद वापिस नदी नालों में समाहित हो जाएगी और एक बार फिर शहर को जल जमाव की समस्या से दो चार होना पड़ेगा।इस बार यदि ऐसा हुआ और जमकर बारिश हुई तो यह मानकर चलिए कि इस साल बारिश में शहर नाव चलाने की नौबत भी आ सकती है।
अब कहीं याद आई स्टार्म वाटर लाइन डालने की…
शहर में बीआरटीएस हो या फिर अन्य क्षेत्र, अब कहीं जाकर निगम को स्टार्म वाटर लाइन डालने की याद आई है।। देशभर में प्री मानसून गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं और एक-दो दिन में इंदौर में भी मानसून पूर्व की गतिविधियां शुरू हो सकती हैं। यदि यह गतिविधियां शुरू हुई तो स्टार्म वाटर लाइन डालना भी निगम के लिए टेढी खीर साबित होगा। देखना यह है कि निगम इन चुनौतियों से कैसे निपटता है और शहरवासियों को जल जमाव से मुक्ति मिलेगी या फिर उसे फिर पिछले बरस की तरह इन समस्याओं से जूझना पड़ेगा।
दो करोड़ का है बजट में प्रावधान…
यहां पर यह भी महत्वपूर्ण है कि हर साल नगर निगम नदी-नालों की सफाई के लिए अपने बजट में लगभग दो करोड़ रुपए का प्रावधान करता है। इस साल में भी इसके लिए प्रावधान किया गया है। नदी-नालों की सफाई न करवाने के पीछे जो कारण बताया जा रहा है, वह है स्वच्छता सर्वे। वाटर प्लस और सेवन स्टार का सर्वे होने के दौरान नदी से निकलने वाली गाद की वजह से निगम को नंबर कम होने की आशंका थी। इस वजह से गाद नहीं निकाली गई। अब इसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ सकता है।
जरूरत ही नहीं है…
इधर, जब इस प्रतिनिधि ने इस मामले में सीवरेज विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता से चर्चा की और नदी-नालों से गाद नहीं निकालने की बात कही तो उनका कहना था कि हमने नदी- नालों की टैपिंग करवा दी थी, जिसके कारण नदी-नालों में केवल साफ पानी आ रहा है। ऐेसे में सफाई की जरूरत ही नहीं थी। अब सवाल यह है कि यदि इनका कहना सच है तो फिर कान्ह-सरस्वती नदी का पानी काला क्योंदिखाई दे रहा है और बदबू क्यों मार रहा है… इतना सुनना था कि उन्होने फोन ही डिस्कनेक्ट कर दिया ।