भोपाल (ब्यूरो)। इस बार भाजपा जहां एकदम नए चेहरों को मैदान में उतारने को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर चुकी है। भाजपा छोटे चुनाव में परिवारवाद को इस बार समाप्त करने जा रही है। पूर्व पार्षदों और उनके रिश्तेदारों को इस बार निकाय चुनाव में दूर रखा जाएगा। दूसरी ओर कांग्रेस ने बूथ मैनेजमेंट की तैयारी पूरी करने के बाद इस बार जिन वार्डों में चुनाव जीते जा सकते हैं उन वार्डों में उम्मीदवारों के नामों का ऐलान पहले कर दिया जाएगा। इसके लिए चुनाव समितियों को भी निर्देश दिए हैं कि वे सिंगल नाम ही भोपाल भेजें।
भाजपा ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों में पूर्व पार्षदों और परिवारवाद को टिकट नहीं देते हुए नए चेहरों पर दांव खेला था हालांकि इस दौरान भारी विरोध का सामना भी करना पड़ा था, इसके बावजूद तीनों नगर निगम में भाजपा स्थापित हो सकी है। इसी मॉडल पर अब मध्यप्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव ने भी नई रणनीति बनाते हुए नगरीय निकाय चुनाव में पूर्व पार्षदों एवं उनके बेटों तथा परिवारजनों को चुनाव से दूर रखने की रणनीति बना ली है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी हाईकमान के निर्देश पर पूरी तरह से अब नए चेहरों पर ही दांव खेला जाएगा। वहीं पार्टी के एक अन्य सूत्र ने बताया कि महिलाओं को भी 50 फीसदी तक पार्षदों को टिकट देने का निर्णय पार्टी ने लिया है उस पर भी अमल किया जाएगा।
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के लिए महापौर, अध्यक्ष के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है। कांग्रेस और भाजपा में अब प्रत्याशी चयन को लेकर कवायद तेज हो गई है। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के माध्यम से जहां एक ओर कांग्रेस 2023 में सत्ता में लौटने की तैयारी कर रही है। वहीं भाजपा फिर सत्ता में बने रहने के लिए पूरी ताकत लगाने में जुट गई है।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव घोषित करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। गांव-गांव में पंचायतों में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। हालांकि पंचायत चुनाव पूरी तरह से गैरदलिय होते है। इसके बावजूद भी भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने समर्थकों को जीताने और पंचायतों में काबिज कराने को लेकर तैयारियों में जुट गए है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर प्रभारियों की नियुक्तियां कर दी हैं। एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि महापौर के लिए किसी विधायक को भी वे प्रत्याशी बना सकते है। वहीं भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का मानना है कि 16 नगर निगम के महापौर के लिए नए चेहरों को सामने लाने पर पार्टी विचार कर रही है। अभी देखा गया है कि राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर भी जहां पाटीदार और दलित वोटों को साधने की कोशिश की गई है। वहीं ऐसी स्थिति में महापौर पद के माध्यम से भी भाजपा अपने भरोसेमंद उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।