Sulemani Chai – उम्मत का दर्द दिल मे, बाकी मुजाहिद बिल में..आई के का माल,और फकीर की झोली…

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उम्मत का दर्द दिल मे, बाकी मुजाहिद बिल में..

एक तरफ जहाँ 75 कड़ोड़ के एक खसरे को बचा कर पूरे शहर के समाज सेवियों और जिम्मेदारो ने अपनी पीठ थपथपाई थी। वही क़र्बला की जमीन जिसका दर्द मुस्लिम समाज के हर शख्स के दिल मे है। वही जिन जिम्मेदारो की लापरवाही की वजह से करीब ढाई सौ कड़ोड़ की जमीन थाली मे सजा कर निगम को दे दी गई। इस सब मे सबसे पहले केस पंच मुसलमान की तरफ से उस वक़्त के काजी याक़ूब अली, कुर्बान हुसैन ने केस लड़ा उनके इन्तेकाल के बाद उनके बेटे और काजी इशरत अली को पार्टी बनना था, लेकिन उन्होंने सिर्फ बग्गी मे बैठकर नमाज पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाई इस केस मे एक्स पार्टी बनना और इसकी जिम्मेदारी निभाना मुनासिब नही समझा,इसके बाद क़र्बला कमेटी से उस वक़्त के सदर कल्लू पहलवान, गुलाम मोहम्मद उसके बाद जफर बेग के साथ नासिर खान( नस्सू नेता ) ने केस जीत के करीब पहुंचाया सभी हटते गए और केस छोड़ते गए दूसरी गलती अभी सात साल से सदर फारूक राईन जो केस जीतने के बाद केस की तारीखों पर ही नही गए,साहब कह रहे है वकील ने बुलाया नही,अब साहब गलती तो हमारी ही रही, इसी के साथ आज तक सभी जिम्मेदार बस वकीलों से राय ही ले रहे है।जबकि इस मसले को लेकर एक एक किलो का वजन मिल्लत का हर फर्द आपने सर पर लेकर घूम रहा है।।

आई के का माल,और फकीर की झोली…

इंदौर शहर जहाँ हर छोटे बड़े समाज और वर्ग ने आपने स्कुल हॉस्पिटल बना रखे है ऐसे मे सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग मुस्लिम समाज बस एक एजुकेशनल सोसायटी तक ही सिमित है,जहा दूसरी जगाहो पर हर वर्ग से सभी को लेकर खिदमत के काम किये जाते है,वही शहर की इतनी बड़ी सोसयटी भाई,भतीजा चाचा,ससुर को लेकर एक ही परिवार तक सिमित रह गई है, दूसरी बात हर जिम्मेदारी यहां एक ही शख्स को सालो से दी जा रही है,क्यों ना शहर के हर हिस्से से एक एक शख्स कोर कमेटी मे हो और मेम्बरो मे समाज की हर जमात से चार चार लोग शामिल हो इसको लेकर पूरे शहर मे एक मुहीम चलनी चाहिए इसी के साथ सभी कामों को लेकर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए,मुस्तहिको को मिलने वाली मदद किसी एक फ़क़ीर की झोली मे जाना ठीक नही।।

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कौम के लिए हर हिस्से से उठने लगी आवाज..

कौम की आवाज़ भी सियासी लोग नफा नुकसान, अपना पराया देखके उठाते हैं एडवांस एकेडमी के पास की बेशकीमती ज़मीन के मामले में पूरे इंदौर की दोनों पार्टी की अल्पसंख्यक जमात चुप थी क्योंकि उसमें कुछ बड़े नाम थे, सिर्फ खजराना के एक पार्षद ने आवाज़ उठाई पर चर्चा है कि उनके खिलाफ एक, एफ आई आर की खुन्नस के चलते आवाज निकली थी। लेकिन पर आज़ाद नगर मे अवैसी की पार्टी के असलम खान , शेख शाकिर के साथ ही खजराने से मिर्जा अरशद बेग तबरेज मंसूरी ने जब भी आवाज़ बुलंद की थी, और अभी कर्बला मामले मे भी इनकी आवाज कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष शेख अलिम की भी आवाज़ के साथ में नजऱ आ रही है।

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