प्लाटों की खातिर 9 बगीचे उजाड़ दिए, फिर सरकारी नाले पर बना दिया कालोनी का बगीचा
110 एकड़ में बाल श्मशान पर भी बड़ी गड़बड़ी
इंदौर (मुकेश ठाकुर)। जमीनों के फर्जीवाड़े में प्रशासन की तमाम कार्यवाहियों के बाद भी कई जगह बिना डर के जमीनों के नक्शों में हेराफेरी का काम चल रहा है। ऐसा ही कुछ मामला झलारिया में काटी गई कालोनी में भी देखा जा सकता है जहां टीएनसी के नक्शे में दिए गए 9 बगीचे पूरी तरह गायब हो गए और यहां भूखंड बेच दिए गए। दूसरी ओर एक बगीचा नाले की जमीन पर बनाकर नाले को भी आधा कर दिया।
ग्राम झ्लारिया खसरा क्रमांक 180/1/7/1 से लगाकर 197/6 कुल रक़बा 30.915 हेक्टेयर पर नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा 3/5 /2008 को अनुमति दी गई उक्त अभिन्यास में नो से ज़्यादा बगीचे स्वीकृत किये गये किंतु गोयल और ईडी जाँच में फँसे विजय अग्रवाल ने मिलकर सारे बगीचे उजाड़ कर दिये। अंपायर अर्बन के बगीचे इस लिये डेवलप कर दिये की कालोनाईजर रितेश चुघ और देवशीष अग्रवाल पुत्र विजय अग्रवाल ने नाले पर बगीचा बनाया जिसमें कालोनाइजर ने बीच में यानी अपनी ज़मीन में बगीचा नहीं बनाया इसलिए विकसित कर दिये जबकि अंपायर मेट्रो के बगीचे वीरान उजड़े चमन हो रहे है!
एक सो दस एकड़ की कालोनी में कोई सुविधा नहीं प्रशासन जाकर नक्शे में यह देखे की ई डब्ल्यू एस के मकान मालिक अपनी जगह पर कैसे जाये (देखिए नक्शे में द्ग2ह्य का रास्ता कहाँ से है और मोके पर क्या है) उसके बावजूद कलेक्टर कार्यालय कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया। अंपायर अर्बन में आयकर विभाग की आँख में धूल झोंककर डायरियो पर प्लाट बेचे गये! डायरियो पर विजय अग्रवाल के मैनेजर महेश जैन और रितेश चुग के हस्ताक्षर है।
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ईडी जाँच में फँसे विजय अग्रवाल इस कालोनी में डेवलपर है और बेटे देवाशीश अग्रवाल कहने को डेवलपर है पर ई डी को इस मामले की जाँच भी करना चाहिये की इस कालोनी में हवाला का पैसा तो नहीं लगा है। ज्ञातव्य है कि जैन बंधुओं के साथ हवाला में विजय अग्रवाल का नाम आने पर ई डी के शिकंजे में विजय अग्रवाल अंपायर वाइल्ड फ्लावर में फँसे है। सूत्र बताते है कि उक्त कालोनी में भी नाले और बाल श्मशान की भूमि में बड़ा खेल किया गया है। सूत्रों की माने तो पिंटू छाबड़ा गोयल इस मामले में फंसे हुए हैं। ईडी विजय अग्रवाल के तार जोड़े तो सारे किरदार एक दूसरे से जुड़े नजऱ आयेंगे।