शराब और चखना की होम डिलेवरी की तैयारी

स्वीगी और जोमेटो से अब भेजी जाएगी बीयर और वाइन, नियम बनाना शुरू

Preparation for home delivery of wine and tasting
Preparation for home delivery of wine and tasting

नई दिल्ली (ब्यूरो)। केन्द्र सरकार द्वारा शराब की होम डिलेवरी करने के साथ राजस्व बढ़ाने को लेकर दिए गए निर्देश के बाद कई राज्य इस दिशा में जुट गए हैं। अभी तक दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा सहित 10 राज्यों ने अपने यहां शराब की होम डिलेवरी कराए जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अंतर्गत स्वीगी और जमेटो से होम डिलेवरी के लिए बातचीत की गई है। अब नए नियम बनाए जा रहे हैं। इसके बाद अब बियर और वाइन की होम डिलेवरी शुरू हो जाएगी जिससे राज्यों को टैक्स के रूप में बड़ा राजस्व मिलने लगेगा।

अब वह दिन दूर नहीं जब पीने वालों को कलाली तक नहीं जाना होगा, उन्हें घर पर ही शराब और चखने की डिलेवरी 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास टैक्स लगाए जाने के अधिकार बेहद कम हो गए हंै। इधर दूसरी ओर अब राज्य अपना खजाना भरने के लिए दूसरे रास्ते तलाश रहे हैं। इस बीच केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों राज्य सरकारों को राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की होम डिलेवरी किए जाने को लेकर प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को राज्यों ने तुरंत लपक लिया। 10 से अधिक राज्य अपने यहां शराब और बियर की होम डिलेवरी को लेकर नियम बनाने लगे हैं।  Preparation for home delivery of wine and tasting

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यह शराब कितनी मात्रा में अधिकतम दी जाएगी, इसे लेकर नियम बनाए जा रहे हैं। दूसरी ओर स्वीगी और जमेटो से शराब की कोरियर को लेकर बातचीत राज्य सरकारों द्वारा की गई है ।अब इसे आनलाइन बुकिंग के माध्यम से मंगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोविड के समय में महाराष्ट्र, आसाम, गोवा ने इसे प्रयोग के रूप में प्रारंभ किया था और इसके कारण सरकार का राजस्व भी बढ़ा था। उल्लेखनीय है कि शराब पर सर्वाधिक टैक्स राज्य सरकार वसूल कर रही हैं और आय का बड़ा साधन शराब होती है।

इसलिए अब माना जा रहा है कि आने वाले समय में लगभग सभी राज्यो में शराब और नमकीन की साथ में होम डिलेवरी प्रारंभ हो जाएगी। तमिलनाडु, गोआ, पंजाब में यह शुरू हो चुका है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को अलग-अलग प्रकार के 20 से अधिक टैक्स से राजस्व प्राप्त होता था, परंतु जीएसटी के बाद सभी प्रकार के टैक्स राज्यों के पास से समाप्त हो गए हैं। इसके चलते राज्य अब नए टैक्स नहीं लगा सकते हैं, इसलिए अब राजस्व को लेकर इसी प्रकार के कई और प्रयोग भी राज्यों में दिखाई देने लगेंगे।

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