गुस्ताखी माफ़: भैय्याजी कहिन पर क्या…दो नम्बर का मजा 1 नंबर में…मद्दा को तेज करने की कवायद…

अंतत: अक्षय का क्षय दूर हो ही गया...

gustakhi maaf

भैय्याजी कहिन पर क्या…

कांग्रेस से भाजपा फिर भाजपा से कांग्रेस राम जाने क्याचल रहा है उनकी लीला वे ही जाने महू के कांग्रेसी भाजपाई नेता रामकिशोर शुक्ल यानी भैयाजी इन दिनों अब वापस भाजपा की राजनीति में रम गये हैं। पिछले समय वे कांग्रेस में अपनी दावेदारी लाकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तमन्ना भी पूरी कर चुके थे। उन्होंने यह भी रहस्य बाद में उजागर किया कि वे षडयंत्र के तहत कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़े थे और इस षडयंत्र में उनकी उषा दीदी ने बड़ी मदद की थी। षडयंत्र का मामला था तो मदद तो करना ही थी। इधर भैयाजी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वाट्सएप के थ्रूअपने कुछ साथियों को मुंशी प्रेमचंदजी के स्लोगन के साथ गोदान का एक डायलाग लगाकर संदेश दिया है हम पढ़ने के बाद समझ नहीं पा रहे हैं यह संदेश उन्होंने किसे दिया है। अब इसीलिए इस संदेश पर चिंतन मनन का काम अपने पाठकों पर छोड़ देते हैं। वे ही जानेंगे कि संदेश किसे दिया गया है।

दो नम्बर का मजा 1 नंबर में…

लंबे समय से यह कहावत थी कि जो मजा शहर में दो नंबर के काम में आता है वह मजा एक नंबर में आ ही नहीं सकता। दो नंबर के काम करने का तरीका ही कुछ ऐसा है कि दो नंबरी भी कामकाज से खुश है। हम बात कर रहे हैं दादा दयालु के क्षेत्र क्रमांक 2 की यहां 365 दिन सांस्कृतिक समारोह भोजन भंडारे, कथा रामायण कहीं न कहीं चलते रहते हैं। सतयुग का दीदार इसी क्षेत्र में दिखाई देता है जहां हिरण और शेर एक ही भंडारे में एक साथ पत्तल लिए खड़े दिखते हैं। अब लोग दो नंबर के मानने लगे हैं कि दो नंबर से ज्यादा मजा एक नंबर में धीरे धीरे आने लगा है और एक नंबर में तो अभी काम करने का मजा ही अलग है। एक तो भिया का प्यार फिर दादा की दुलार और उसके बाद यदि आप पर दिल आ जाए तो फिर भविष्य की बात ही कुछ और होगी यहां फिर पता नहीं लाटरी लगने के बाद कब चौहान से चांदू हो जाए।

मद्दा को तेज करने की कवायद…

शहर के सबसे बड़े भूमाफिया यानी दीपक मद्दा अपने साथियों के प्रयास के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। दूसरी ओर उनके कारण शहर के माफियाओं की एक हजार करोड़ की जमीनें भी फंसी पड़ी हुई हैं। इसमे अगरबत्ती वालों से लेकर शहर को जमीनों के नाम पर बत्ती देने वाले भी शामिल है। दीपक मद्दा के साथ कई जगहों पर हिस्सेदारी रखने वाले इन दिनों जेल में जाकर भले ही नहीं मिल रहे हो पर फिर भी राजनेताओं के करीबी उन्हें निकालने में लगे हुए हैं। हालांकि इस मामले में पिछले दिनों यह भी प्रस्ताव गया कि उन्हें भाजपा ज्वाइन करा दी जाए ताकि उनका भी भविष्य प्रफुल्ल पटेल से लेकर अजीत पंवार जैसा सुधर जाए। पर जो भी हो शहर के कईदिग्गजों की जमीनें जहां उलझी हुई है वहीं मद्दा का परिवार अब धेले-धेले को लेकर मोहताज हो गया है। इधर, भाजपा के ताकतवर नेता के करीबी भी एक पत्रकार के साथ दो बार जेल में मद्दा को तेज करवाने के लिए पहुंच चुके है।

अंतत: अक्षय का क्षय दूर हो ही गया…

अंतत जिस बात की आशंका दैनिक दोपहर के गुस्ताखी माफ कालम में 22 अप्रैल को व्यक्त कर दी थी स्थिति वही बन गई। सात दिन पहले से ही अक्षय बम को घेरने के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अपनी रणनीति बनाना प्रारंभ कर दी थी। इसके चलते साम, दाम, दंड भेद का भरपूर उपयोग किया गया। अक्षय बम के परिवार को लेकर जो जानकारियां निकाली जा रही थी उसमे सबसे पहले जमीनी मामलों को तलाशा गया हालांकि इसमे ज्यादा जानकारी नहीं मिली वहीं उनके पिता कांति बम के भी पुराने रिकार्ड खंगाले गये परंतु इस बीच एक जानकारी ने ही भाजपा के नेताओं की लाटरी खुलवा दी मामला था अक्षय बम के कालेज के अलावा होप मिल की जमीन के मामले का घोटाला भी सामने आ गया। हालांकि नामांकन के दिन भी यह दांव खेला जा सकता था पर इसे रोककर रखा गया। इस मामले में सीबीआई जांच पहले से ही कई कॉलेजों की कर रही थी। इसमे करोड़ों रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया हुआ है। अब अक्षय कांति बम के पास जब पहले से ही 307 के मुकदमे में जेल जाने की तलवार लटकी हुई थी तो अगर बचते भी तो जांच में कभी भी उठ सकते थे। हालांकि अब कोई चिंता की बात नहीं है सत्यनारायण की कथा की तरह ही अब यह अध्याय समाप्त हो गया है। भाजपा में जाते ही ईडी सीबीआई सहित सभी मामलों से वे मुक्त होकर मोक्ष के लिए आगे बढ़ चुके हैं। कहा जा रहा है इस फिलिम की स्क्रीप्ट आरके स्टुडियो के बैनर तले ही लिखी गई थी।

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