इंदौर। नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया (पप्पू भाटिया) ने बीती रात जहरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या कर ली। वे निगम में वर्षों से काम कर रहे थे और समय पर पैसा न मिलने से मानसिक रूप से परेशान थे। बताया गया है कि करीब 30 करोड़ रुपए उनका निगम पर बकाया था। पिछले दिनों छोटे ठेकेदारों ने उनके कार्यालय पर हंगामा भी कियाथा। घर पर भी पैसा मांगने वाले पहुंच जाते थे। निगम के लिए पप्पू भाटिया संकट मोचक थे। हर समय हर दिन निगम के लिए मौजूद रहते थे और काफी सहज, सरल व्यवहार के थे।
एक तरह से पप्पू भाटिया नगर निगम के संकटमोचक ठेकेदार माने जाते थे। Contractor Bhatia commits suicide due to outstanding dues of crores! स्वच्छता अभियान हो, प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा हो, प्रवासी भारतीय सम्मेलन हो या नगर निगम के अन्य कोई प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन हो या उज्जैन सिंहस्थ में इंदौर नगर निगम को मिली जिम्मेदारी हो निर्माण संबंधी हर चुनौतीपूर्ण काम के लिए निगम और जिला प्रशासन को पप्पू भाटिया की ही याद आती थी।
सूत्रों के मुताबिक पप्पू भाटिया जितनी तेजी से नगर निगम के निर्माण कार्य संबंधी टॉस्क को निर्धारित समय में पूरा करते थे उस तत्परता से उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा था। लंबे समय से करोड़ों के बिलों का भुगतान निगम अधिकारियों द्वारा नहीं किए जाने से परेशान पप्पू भाटिया ब्याज पर पैसा उठाकर मजदूरों, निर्माण सामग्री, अन्य संसाधन उपलब्ध कराने वालों का अपने स्तर पर भुगतान कर रहे थे।
सूत्रों ने यह भी बताया कि कई इंजीनियर भाटिया पर काम करने का दबाव बनाते थे। जनकार्य विभाग के इंजीनियर कई बार उनके आफिस (निगम परिसर) में बैठे रहते थे। पिछले दिनों उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी और अटेक भी आया था। कुछ वर्षों से निगम की आर्थिक हालत ठीक नहीं है और 1200 से 1500 करोड़ रुपए कुल ठेकेदारों का बकाया है। निगम चुनाव बाद देनदारी तेजी से बढ़ी जबकि न तो सरकार से आवश्यकता अनुसार पैसा मिल रहा है न ही निगम की आवक में ज्यादा वृद्धि हो रही है।