सभी तालाब लबालब फिर मुंडी और लिंबोदी क्यों नहीं भरे

चैनलों पर कब्जे ने रोकी तालाबों की आव, 50 इंच बारिश में भी 30 प्रतिशत खाली

All the ponds are full then why Mundi and Limbodi are not filled?
All the ponds are full then why Mundi and Limbodi are not filled?

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)। सरकार ने शहर के प्राकृतिक जल ोतों को बचाने के लिए करोड़ों रुपए स्वाह कर दिए, मगर उन्हें बचाने में आज तक कामयाब नहीं हो पाया। शहर के ज्यादातर तालाबों पर हुए अतिक्रमण के चलते उनकी चैनलों पर कब्जे हो गए, इन अवैध कब्जों ने 70 प्रतिशत तक इन तालाबों की आव पर रोक लगा रखी हैं। नतीजतन भरपूर बारिश होने के बाद भी यह कुछ तालाब 70 प्रतिशत तक ही भर पाए हैं। इन तालाबों में गर्मी के दिनों में भी पर्याप्त पानी बच पाएगा यह कहना संभव नहीं हैं। नगर निगम के उदासीन रवैए के चलते चैनलों के कब्जे नहीं हटाए जाने से ज्यादातर तालाबों की यह दुर्दशा हो रही हैं। वहीं शहर के मध्य से गुजरने वाली कान्ह नदीं पर करोड़ों रुपए स्वाह कर दिए गए मगर, वह आज तक नदी का रुप नहीं ले सकी।

शहर में स्थित तालाबों की स्थिति जानने के लिए दैनिक दोपहर की टीम ने शहर के तालाबों का जायजा लिया, तो पाया कि इन दिनों ज्यादातर तालाबों की स्थिति दयनिय हो रही हैं। चैनलों के माध्यम से प्राकृतिक रुप से भर जाने वाले तालाब इन दिनों 70 प्रतिशत भी पूरे नहीं भर पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण इन तालाबों की चैनलों पर सालों से हो चुके कच्चे-पक्के अतिक्रमण है, जो नगर निगम को अभी तक नहीं दिखाई दिए या इन्हें हटाने की हिम्मत अधिकारी नहीं जुटा पाए। शहर के शुरुआती तालाबों में सबसे पहले मुंडी तालाब आता हैं, जो इंदौर शहर की सीमा पर स्थित पहाड़ों से बहने वाले पानी से प्राकृतिक रुप से भर जाता हैं।

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जब यह तालाब पूरा भर जाता हैं, तो इसके ओवरफ्लो से बड़ा बिलावली तालाब प्राकृतिक रुप से ही भरा जाता हैं। मजेदार बात यह है कि नगर निगम द्वारा जारी की जाने वाली लिस्ट में मुंडी तालाब का जिक्र ही नहीं किया जाता हैं। मुंडी तालाब के पुरी तरह से भर जाने के बाद जब इससे ओवरफ्लो होता हैं तो उससे लिंबोदी तालाब(क्षमता 11 फीट )भरता है जो कि इस बार मात्र चार से पांच फीट ही भर पाया हैं। बड़ा बिलावली तालाब जिसमें पानी भरने की क्षमता 34 फिट हैं मगर वह भी 50 इंच पानी में मात्र 25 फीट ही भर पाया हैं। जब बिलावली तालाब पुरा भर जाता था तो उसके ओवरफ्लो से छोड़ा बिलावली तालाब जिसकी क्षमता 12 फीट की हैं वह भी अतिक्रमण की वजह से मात्र 8 फीट (अगर छोटे बिलावली तालाब की सही गहराई देखी जाए तो 12 फीट है ही नहीं) ही भर पाया हैं।

इनका कहना हैं…

इतनी लंबी बरसात के बाद भी बड़ी बिलावली और लिंबोदी तालाबों का 30 प्रतिशत खाली रह जाना चिंता का विषय होना चाहिए। निश्चित तौर से यह किसी न किसी लापरवाही का परिणाम है, इसकी सभी आव ओर चैनलों की तकनीकी जांच होकर उसकी कमियों और अवरोधों को तत्काल दुर करना चाहिए । ्
अतुल शेठ

ऐसी थी शहर के तालाबों की व्यवस्था…

होलकर शासन द्वारा शहर में बनाए गए सभी तालाबों में पानी पहुंचाने की पूरी योजना नेचुरल ग्रेडिएन्ट के आधार पर डिजाइन की गई थी। जोकि जमीन की स्वाभाविक ढलान (स्लोप) को आधार आधारित होने के कारण थोड़ी सी ही बारिश में यह तलाबा भर जाते थे। इन तालाबों के भर जाने से जहां इनमें गर्मी तक पानी भरा रहता था वहीं इनसे शहर के कुएं व बाउडिय़ां भी रिचार्ज हो जाती थी। जिनसे कर वॉटर लेवल हमेशा ऊंचा रहता था।

मुंह फैलाए बैठा हैं तालाबों में अतिक्रमण का मगरमच्छ

शहर के मुंडी तालाब की चैनलों पर इतने अतिक्रमण हो गए कि उन्हें हटा पाना नगर निगम के बूते की बात नहीं बची। इन अतिक्रमणों की लगातार अनदेखी होने से अतिक्रमणकर्ताओं के हौंसले इतने बुलंद हो गए कि वह तालाब में ही खेती करने लगे। शहर के ज्यादातर तालाबों में अतिक्रमण का मगरमच्छ अपनी सलतनत जमाए बैठा हैं। यही कारण हैं कि मुंडी व लिंबोदी के साथ ही ज्यादातर तालाब गर्मी आते ही सूख जाते हैं। सूखे हुए कुछ भाग पर खेती होती है तो कुछ पर नमी की वजह से उगी घास को चौपाएं चरते रहते हैं। गर्मी के दिनों में तालाब के सिर्फ एक छोटे से हिस्से में पानी दिखाई देता हैं। इसी तरह बड़ा व छोटा बिलावली के भी हाल हैं, कुछ सालों में इसकी तह में पड़ी दरारों को लोग देख चुके हैं। वहीं बात करें पिपल्यापाला की तो इसके भी हाल गर्मीयों में बेहाल हो जाते हैं। शहर के बाशिंदे इसे भी जब-तक सूखा हुआ देख चुके हैं। यही कारण हैं कि यहां से वोट क्लब को बंद किया गया। इसी तरह नगर निगम की उदासीनता की कहानी नहर भंडारे में पानी रोकने के लिए बनया गया स्टॉप डैम भी बयां कर रहा हैं।

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