भाजपा में इन दिनों एक दूसरे को निपटाने के अभियान में भाजपा खुद निपटने की स्थिति में आ गई है। अकेले शिवराजसिंह चौहान ही पूरे प्रदेश में किला लड़ा रहे है। दूसरी ओर हर क्षेत्र में बगावत दिखने लगी है। इसे कोई भी समझना नहीं चाह रहा है कि पार्टी में अचानक ऐसा क्या घटा की तेजी से दूसरे और तीसरे क्रम के नेता पीछे हट रहे हैं तो वहीं कार्यकर्ता पूरी तरह चुप हो चुके है। शिवराजसिंह चौहान 2008 से 2023 तक सत्ता में रहे परंतु इतना विद्रोह नहीं हुआ इस मामले में भाजपा के ही घर बैठे एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शिवराजसिंह चौहान समन्वय की राजनीति करते हैं यदि उन्होंने इंदौर में कृष्ण मुरारी मोघे को जोड़े रखा तो धार में विक्रम वर्मा को भी दरकिनार नहीं होने दिया। ऐसे ही कई संभागों में वे संतुलन समय के साथ बनाते रहे। चाहे नंदकुमार सिंह चौहान का मामला हो या अरविंद मेनन का सब जगह समन्वय के साथ विद्रोह भी खत्म होता रहा। अब शिवराजसिंह चौहान को दरकिनार किए जाने को लेकर किए जा रहे उच्च स्तरीय प्रयास भाजपा के लिए भी घातक रहेंगे। शिवराज को निपटाने के चक्कर में पूरी पार्टी दांव पर लग चुकी है कार्यकर्ता दुधारी तलवार होता है जब वह विपक्ष पर हमला करता है तो वह पार्टी को मजबूत कर देता है, परंतु जब वह अपनी ही पार्टी में हमला शुरु करता है तो पार्टी तहस नहस होना शुरु हो जाती है। वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि भाजपा का कबाड़ा सुहास भगत पूरी तरह कर गये है। जिन्होंने पार्टी में रायशुमारी को दरकिनार कर ग्यारह जिलों में अपने अध्यक्षों को थोप दिया था। इंदौर की रायशुमारी में उमेश शर्मा सबसे ऊपर थे जिन्हें पार्टी ने भरपूर उपयोग के बाद कहीं का नहीं छोड़ा। अब पार्टी में सुहास भगत के अधूरे काम हितानंद शर्मा पूरे कर रहे हैं। सुहास भगत के बोये पाप तो दिख चुके अब आने वाले हितानंद के पाप भी पार्टी देखेगी। वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि जिन्होंने जीवन में सभाग की बैठक नहीं ली वे इन दिनों कार्यकर्ताओं को ज्ञान दे रहे हैं। जो भाजपा देशभर के लिए माडल थी, जिसकी संगठन क्षमता का उपयोग देशभर में होता था अब उसी भाजपा को ज्ञान देने के लिए वे आ रहे हैं जो मध्यप्रदेश की माटी और कार्यकर्ता दोनों से ही अनभिज्ञ है। इसके अलावा सबसे बड़ी बात की संघ के प्रचारक अब अलग होकर नई पार्टी बना रहे है। अहंकार में शिखर पर बैठे नेता घृतराष्ट्र की तरह आंखों में पट्टी बांधकर फैसले ले रहे है। अब तो केवल फैसलों के नतीजों को लेकर ही कार्यकर्ताओं को इंतजार है।
एक और वीडियो लांच हो गया…
सोशल मीडिया पर इन दिनों बहुत ही चुनिंदा लोगों के पास ज्योंतिबाबू के खास मंत्रियों में शामिल मंत्री का वीडियों आया है। इसमे मंत्रीजी स्वयं अलग-अलग आसन में दिख रहे है। जो भी हो इस वीडियों की हम ना तो पुष्टी करते है और ना प्रमाणित इस प्रकार कुल ज्योतिबाबू के तीन मंत्रियों के वीडियों की चर्चा बाजार में शुरु हो गई है। करतब दिखाने वालों का कहना है कि सही समय पर सही वीडियों दिखाई देंगे। इसके पूर्व आदिवासी अंचल के एक मंत्री को लेकर भी वीडियों सामने आया था, जिसमे महिला उनके कच्चे चि_े उजागर कर रही थी अब एक ओर आडियो भी बाजार में कुछ जगहों पर आया है, जिसमे एक मंत्री पुत्र लेनदेन को लेकर बातचीत करते सुने गये हैं। बताने वाले बता रहे हैं कि यह तो ट्रेलर है हालांकि एक ओर दावा भी हो रहा है कि कांग्रेस के भी एक पूर्व विधायक का दिल्ली में बना वीडियों भी सुरक्षित है उसके भी बाजार में आने को लेकर सही समय की चर्चा है। हालांकि अभी सभी प्रकार के नेता विकास कार्य छोड़ धरम करम में लगे हुए हैं। हालांकि राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है।
नजरें बदनावर पर निशाना महू में…
भाजपा से मुक्त होकर कांग्रेस में पहुंचे वरिष्ठ नेता भंवरसिंह शेखावत कहां से लड़ेंगे यह तो समय के साथ ही तय होगा परंतु बदनावर में उनके साथ भाजपा के ही तीन कट्टर नेता जो संघ में भी हस्तक्षेप रखते थे कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। बदनावर में इस बार राजवर्द्धनसिंह दत्तीगांव को भाजपा में ही जीतने के लाले पड़ रहे हैं इधर भंवरसिंह शेखावत की बदनावर की बजाए नजरें महू पर टिक गई है यहां पर तीन बार मैदान हार चुके अंतरसिंह दरबार इस बार मैदान से बाहर हो गये हैं। भंवरसिंह शेखावत भाजपा के उन नेताओं में शुमार है, जिन्होंने कांग्रेस के सहकारिता क्षेत्र को तहस-नहस करने में अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा के पहले कार्यकाल में उन्हें सहकारिता क्षेत्र की संस्थाओं पर भाजपा के काबिज कराने को लेकर भरपूर उपयोग पार्टी ने किया था। फिर जैसा पार्टी में हो रहा है, कि घर बैठाओ अभियान में शेखावत भी निपट गए। महू में अब मैदान खाली है हालांकि कांग्रेस इस बार स्थानीय उम्मीदवार पर ही ज्यादा जोर दे रही है। सही समय पर सही राजनीति करने वाले रामकिशोर शुक्ला भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं फर्क इतना है कि शेखावत बातचीत करने के बाद लाये गये है और रामकिशोर खुद बातचीत कर वापस लौट रहे हैं। जो भी हो इस बार महू से उषा दीदी का मामला भी बिगड़ चुका है अब यह समय बतायेगा कि कौन कैसे बाजी मारेगा।