इंदौर। Case filed against Deepak Madda ईडी ने भूमाफिया दीपक महा उर्फ दिलीप सिसौदिया पर मनी लाण्ड्रिंग एक्ट की धारा तीन लगा दी है। इस धारा के बाद अब मद्दा को जमानत मिलने की राह कठिन हो गई है। ईडी के पास इस धारा के तहत चालान पेश करने के लिए 180 दिन का समय है, जब तक चालान पेश नहीं होगा मद्दा की जमानत भी आसान नहीं होगी। इस धारा में जहां मनी लाण्ड्रिंग की राशि के आधार पर तीन से सात साल की सजा है, वहीं राशि के दोगुना अर्थदंड भी है। ईडी ने इस घोटाले को एक हजार करोड़ से ज्यादा का माना है। ईडी स्पेशल कोर्ट के सामने अब मद्दा की पेशी 14 जुलाई लगी हुई है। उधर कल्पतरू सोसायटी जमीन घोटाले में भी वह गिरफ्तारी पर ही है और अब तिलकनगर थाने में भी त्रिशला सोसायटी जमीन घोटाले में भी एफआईआर हो चुकी है जिसमें भी गिरफ्तारी होगी ।
मनी लाण्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत मद्दा व अन्य गवाहों के जो भी बयान होंगे वह अपने आप में सबूत व दस्तावेज माने जाते हैं और इसे कोर्ट के समक्ष दिया गया बयान ही माना जाता है। सूत्रों के अनुसार मद्दा के साथ ही अन्य लोगों के बयानों में पिंटू छाबड़ा का भी नाम मुख्य रूप से आया है। पिंटू छाबडा और अरुण मामा उर्फ अरुण गोयल ने जमीनों में बड़ी हिस्सेदारी की है। अभी तक वे जांच के दायरे मेंनही् आए थे। केवल संपत्ति अटैच की गई थी। मद्दा के दखल वाली मजदूर पंचायत की पुष्पविहार सोसायटी में पिंटू छाबड़ा, केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी ने जमीन ली है, यह जमीन उसने अपने साले दीपेश वोरा, भाई कमलेश जैन और मैनेजर नसीम हैदर के जरिए बिकवाई। अयोध्यापुरी में सुरेंद्र संघवी के बेटे प्रतीक संघवी और मुकेश खत्री के साथ डायरेक्टरशिप में खुद ही जमीन खरीदी। वहीं दिलीप गुप्ता, राजेंद्र आगार, आशीष जैन, कुलभूषण मित्तल, अजय अग्रवाल सहित कई लोगों के भी मद्दा के साथ संबंध रहे हैं। श्रीराम संस्था, हिना पैलेस की जमीन के खेल में धवन बंधु भी मद्दा से जुड़े रहे हैं। Case filed against Deepak Madda
ईडी ने बताया है इतना बड़ा है घोटाला – ईजी (प्रवर्तन निदेशालय) ने खुलासा किया है कि भूमाफिया दीपक जन (मा) उर्फ दिलीप सिसौदिया द्वारा किया गया घोटाला एक हजार करोड़ से ज्यादा का है। यह उन जमीनों की संभावित आज की बाजार बल्यू है, जिसमें सदा की भूमिका रही है। सदा ने यह खुद अकेले नहीं किया है. इसमें कई बिल्डर्स और डेवलपर्स साथ रहे हैं और सभी ने मिलीभगत मन् सोसायटी की प्राइम लोकेशन पर स्थित जमीनों पर यह पूरा खेल किया है।
सीलिंग की जमीन की छूट का फायदा उठाया- ईडी -ईडी ने कहा कि इंदौर में महा पर दर्ज हुई विविध एफआईआर को ईडी ने मनी लॉड्रिंग एक्ट 2002 के तहत जांच में लिया है और केस दर्ज किया है। उसने विविध सहकारी समितियों की जमीन को अवैध रूप से खरीदा और बेचा है और दूसरों को हस्तांतरित की है। मदा के साथ नई बिल्डर्स, डेवलपर्स मिले हुए हैं और इनकी मिलीभगत से यह हुआ है। विविध लोगों ने कम कीमत में इन जमीनों की खरीदी-बिक्री की। यह जमीन शहरी भूमि सीलिंग एक्ट की धारा 20 के तहत छूट प्राप्त थी, ताकि लोगों को आवास मित्र सके। मदा ने इन सोसायटी में या खुद सीधे प्रवेश किया या फिर अपने लोगों को चुनावों में हेर-फेर बैठाया और फसलों को प्रभावित किया। Case filed against Deepak Madda
चंपू ने ही अपना नाम आर्जव के साथ जुड़वाया था
इंदौर के कुख्यात भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा champu ajmera के बेटे आर्जव अजमेरा पर 15 करोड़ के जमीन घोटाले में दर्ज एफआईआर मामले में हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने सुनवाई के बाद आर्डर सुरक्षित कर लिया है। भूमाफिया चंपू अजमेरा ने अपने बच्चे आर्जव को जेल जाने से बचाने के लिए एफआईआर में अपना नाम जुडवा लिया था, जबकि शिकायत में उसका कही नाम नहीं था। चंपू अजमेरा ने यह इसलिए किया था कि ताकि वह उच्चतम न्यायालय से मिली सर्शत जमानत का लाभ उठा सके। बाद में इस एफआईआर से चंपू अजमेरा का नाम विवाद होने के बाद हटाने की सूचना है। और आर्जव ने बाणगंगा थाने में दर्ज हुए एफआईआर को रद्द करने को लेकर यह याचिका दायर की है। याचिका की सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि जांच प्रारंभिक स्तर पर है और इसमें एक पीड़ित भी सामने आ चुका है और सबसे बड़ी बात है कि पुलक बिल्डकॉन के बैंक खाते की सिग्नेचर अथॉरिटी आर्जव अजमेरा और एक अन्य आरोपी अनोखेलाल पाटीदार है। यह दस्तावेज सामने आने के बाद आर्जव की मुश्किल बढ़ गई है।