इन दिनों भाजपा की सरकार फिर से स्थापित करने को लेकर जमीनी नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को जोश भरने के लिए बड़े-बड़े दिग्गज नेता इंदौर की धरती पर अवतरित हो रहे हैं। पिछले पंद्रह साल से जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं का दोहन कर हिंदू हित, राष्ट्रहित और संस्कृति के हित में मैदान में पूरी शिद्दत के साथ लगाया जा रहा था, एक बार फिर उन्हें हिंदू हित के लिए फिर से जोतने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रश्न मत करो, बस राष्ट्रहित का मामला है, सत्ता में हमको वापस लाकर बिठा दो, सत्ता बहुत आवश्यक है, हम सत्ता में आने के बाद हिंदू हित और संस्कृति हित के लिए फिर से काम में लग जाएंगे। बाद में जमीनी नेता और कार्यकर्ता वापस अपने काम पर लग जाएंगे। इन दिनों भाजपा के कार्यकर्ताओं और वे नेता जो लंबे समय से पार्टी को ताकत भरने के लिए अपना सबकुछ समर्पित करते रहे, वे आज भी छोटा-सा सम्मान नहीं पा सके हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने कांग्रेस के साथ कुशल रणनीति अपनाते हुए भाजपा का परचम लहराया था। इन सब मामलों में भाजपा के वे नेता जो अब यह समझने लगे हैं कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद क्या स्थिति रहती है, उंगली पर गिना जाए तो 175 भाजपा नेता ऐसे होंगे, जो पिछले पंद्रह साल से सत्ता का आनंद ले रहे हैं, जबकि कई कार्यकर्ताओं को छोटे-छोटे पदों पर सत्ता और संगठन में जो भागीदारी मिलनी चाहिए थी, वह भी नहीं मिली। इंदौर के नए-नए बने प्रभारी पंडित नरोत्तम मिश्रा ने तो इंदौर आते ही ऐलान कर दिया था कि छह महीनों में सारी समितियों का गठन कर कार्यकर्ताओं को और मजबूत कर दिया जाएगा। कार्यकर्ता मान रहे हैं कि वे इंदौर प्रभारी से अब इंदौर पर भारी हो गए हैं। बैसाखी पर या फिर यूं कहें कि उधार के सिंदूर पर टिकी सरकार में कार्यकर्ता अभी भी बेबस हैं। दूसरी ओर सरकार से मंत्री पद का दर्जा प्राप्त कर चुके नेताओं का भी कहना है कि पद तो है, पर सुनने वाला कोई नहीं है। हालत यह है कि मुख्य सचिव से समय मांगने के बाद भी समय नहीं मिल पा रहा है। इधर संगठन की हालत तो भगवान भरोसे ही बनी हुई है।
कौन भिया तालाब खोद गए… ईनाम घोषित
क्या गजब बात है कि इंदौर कमिश्नरी में ऐसे चमत्कार हो रहे हैं। मामला यह है कि खरगोन जिले में सेगांव में एक तालाब का निर्माण शानदार तरीके से हो गया है। बड़ी मेहनत लगी होगी इस तालाब के निर्माण में। जिला कलेक्टर भी तालाब को देखने के बाद आश्चर्यचकित रह गए। किसने बनाया और कैसे बनाया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। कलेक्टर ने तालाब बनाने वालों को लेकर इनाम तक घोषित कर दिया। पंचायत सचिव तक हैरान हैं, जिला पंचायत सीईओ ने तो तालाब बनाने को लेकर जांच दल तक गठित कर दिया, वहीं शिवराजसिंह भी इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि इसकी जानकारी देने वाले को इनाम दिया जाएगा। अपने शिवराजसिंह नहीं हैं, यह खरगोन के कलेक्टर हैं। कलेक्टर सेगांव के दौरे पर पहुंचे थे और तिली की पहाड़ी पर उन्होंने जब तालाब देखा और जानकारी ली तो अधिकारी बगल में झांक रहे थे कि यह तालाब बनाने वाला मिस्टर इंडिया कहां है। इनाम घोषित है, कोई जानकारी हो तो दे सकते हैं।
कुछ तो गड़बड़ है…
इन दिनों नगर निगम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बांसुरी के कई छेद से अलग अलग संगीत की धुन बज रही है। यूं तो केवल दो ही धुन सुनाई पड़ रही है परंतु बाकी धुनें हवा में उड़ रही है। हो कुछ ऐसा रहा है कि सही तरीके से बांसुरी में हवा नहीं जा पा रही है। यानी महापौर और आयुक्त जी के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। पिछले दिनों अलग अलग दौरों में सफाई के निरिक्षण किये गये तो वहीं झोन की समीक्षा बैठक में कई अधिकारी शामिल नहीं हुए यह बैठक महापौर ने रखी थी। इधर अब बजट के अभाव में विकास के मामले भी दम तोड़ने लगे हैं।
अब की बार नैया भगवान भरोसे…
क्षेत्र क्रमांक 1 में अब संजीव बाबू यानी क्षेत्रीय विधायक सावन में भव्य रुद्राभिषेक अलग अलग जगहों पर एक साथ करवाने की तैयारी शुरु कर चुके हैं। इधर मथुरा वृंदावन तीरथ का दौर चल ही रहा है। नेताओं को अब यह अच्छी तरह समझ में आ गया है कि क्षेत्र में विकास कार्य तो अपनी जगह है कीचड़, जलजमाव, गंदगी तो आते जाते रहते है। यह तो समय का फेर है परंतु पुण्य का लाभ हमेशा कायम रहता है। जिसे दिलाया वह भी याद रखता है और जिसने लिया वह भी याद रखता है। साथ में फिर यात्रा पर कुछ भी खर्च नहीं होना हो तो यात्रा करवाने वाला स्वयं ही देवताओं की श्रेणी में आ जाता है। इन दिनों संजू बाबू सब काम छोड़कर दादा दयालु की तरह दे कथा रामायण के बाद तीरथ और फिर रुद्राभिषेक में पूरी ताकत से लग गये हैं। यूं भी पूरे देश में भक्तिभाव की ऐसी गंगा बह रही है कि आंटे दाल-चावल के भाव की चिंता कहा है जब कथा रामायण से ही वेतरणी पार हो रही है। हालांकि उनके विरोधी इन दिनों उनके द्वारा बोरिंग के किए एलानों को लेकर फिर से ढोलक पीटने की तैयारी कर चुके हैं। एक पूर्व विधायक का यह भी दावा है कि उन्होंने हमारे कराये बोरिंग भी अपने खाते में लिख लिये हैं जो भी हो काम तो चल ही रहा है।
और अंत में…
मध्यप्रदेश में अगले चार माह बाद चुनावी तैयारियों में इस बार बीजेपी की राजनीति पूरी तरह बदली हुई दिखाई दे रही है। इंदौर के भाजपा के बड़े नेताओं का दावा है कि भाजपा में जीत का पर्याय माने जाने वाले मामा यानी शिवराजजी अब पार्टी के नारों से गायब हो गये हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में एक मात्र जिताऊ चेहरा रहने के बाद भी नारे भी उनके नाम के आसपास ही गूंजते थे, लेकिन अब जरा सीन में चेंज है। चुनाव हुए नारे भी है पर शिवराज नहीं है। २००८ में शिवराज है तो विश्वास है, 2013 में फिर भाजपा फिर शिवराज, २०१८ में माफ करो महाराज हमारे नेता शिवराज तो इस बार २०२३ में अबकी बार २०० पार, बंटाधार से आरपार यानी बिजेपी में भी बयार बदल रही है। इधर भाजपा में ही उनके विरोधी कह रहा है कि मध्यप्रदेश में मोदी ही बड़ा चेहरा होंगे। संगठन में वीडी शर्मा ही डंटे रहेंगे।