इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण में योजना क्रमांक १७१ की समाविष्ट भूमियों के संबंध में लिया गया फैसला भविष्य के लिए एक नजीर बन जाएगा। पहली बार ऐसा हो रहा है कि सरकार को दरकिनार कर सीधे प्राधिकरण बोर्ड ने जमीन मुक्त करने को लेकर बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखकर १३ सहकारी संस्थाओं की भूमियों को मुक्त करने और उनके सदस्यों को भूखंड देने को लेकर सहमति दी थी। बोर्ड की यह बैठक १३ अप्रैल को हुई थी जिसके संकल्प क्रमांक ५७ में स्कीम नं. १७१ को लेकर कई निर्णय लिये गये। इसके पूर्व राऊ की जमीन को धारा १६५ से मुक्त करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया था और कैबिनेट की बैठक में राऊ की उक्त जमीन को योजना से मुक्त किया गया। योजना क्रमांक १७१ की इस भूमि के अधिग्रहण को लेकर प्राधिकरण ५० (७) तक की कार्रवाई कर चुका है। अब प्राधिकरण को भी इस जमीन को लेकर किसी भी प्रकार का नि$र्णय लेने के अधिकार नहीं है।
विकास प्राधिकरण ने पहले इसी जमीन पर योजना क्रमांक १३२ डाली थी बाद में इसी जमीन पर योजना क्रमांक १७१ डाली गई। वर्ष २०१२ में इंदौर विकास प्राधिकरण ने इस योजना में शामिल सभी भूमियों के लिए ५० (१) से लेकर ५० (४) की कार्रवाई की जिसमे आपत्तियों की सुनवाई भी हो चुकी थी। इसके बाद प्राधिकरण ने ५० (७) की कार्रवाई कर योजना को यहां अमलीजामा पहना दिया। यहां पर भूमाफियाओं की १३ से अधिक सहकारी संस्थाओं की जमीनें भी शामिल हैं। १३ अप्रैल को हुई बैठक में संकल्प क्रमांक ५७ में इस जमीन को मुक्त करने के मामले में कई बिंदुओं को छुपाया गया और इसे मुक्त करने को लेकर नि$र्णय लिया गया। खुद संकल्प में यह माना गया है कि योजना क्रमांक १७१ के अंतर्गत जो शासकीय और विवादित भूमि है उन्हें विवादित ही माना जाएगा। सक्षम न्यायालय ने निराकरण के उपरांत इसके संबंध में विचार किया जाएगा। प्राधिकरण की योजना क्रमांक १७१ ग्राम खजराना के सर्वे नं. समाविष्ट है और धारा ५० (७) के प्रकाशन भी मध्यप्रदेश राजपत्र में ४ मई २०१२ को हो चुका है। इसमे भी उक्त १३ संस्थाओं के अधिकांश भूखंडों के बारे में प्राधिकरण के ही विषय क्रमांक ३२ के बने नोट में स्पष्ट है कि उक्त १३ संस्थाओं में अधिकांश भूखंडों की जांच और पुष्टी १ अक्टूबर २०२१ तक अपर कलेक्टर एवं उपायुक्त सहकारिता से प्राप्त होना है परंतु स्मरण पत्र देने के बाद भी २७-३-२०२३ तक कोई जवाब नहीं आया। दूसरी ओर भूमाफिया अभियान के अंतर्गत जिला प्रशासन ने भी जमीनें छुड़वाकर पात्र हितग्राहियों को दे दी है। तीसरे बिंदु में लिखा गया है भूमाफियाओं ने रिकार्डों में भारी हेराफेरी की है और इसकी वर्तमान जांच भी उपायुक्त सहकारिता में लंबित है।
यह भी आपत्ति थी कि यदि प्राधिकरण द्वारा आज उपरोक्त योजना क्रमांक १७१ की जमीन की एनओसी नियमों के तहत दे देता है तो भूमाफियाओं द्वारा तत्काल जमीनों का विक्रय कर दिया जाएगा और इससे पात्र हितग्राही वंचित रह जाएगा क्योंकि सदस्यों की सूची तो संस्थाओं को ही देना है और वह कितनी सही होगी यह सब जानते हैं। दूसरी ओर योजना क्रमांक १७१ की जमीन मुक्त किये जाने का अधिकार प्राधिकरण के पास अब नहीं है। इस योजना को कैबिनेट से ही समाप्त किया जा सकता है। दूसरी ओर योजना से मुक्त किये जाने को लेकर कोई जानकारी नहीं निकाली गई कि योजना क्रमांक १७१ में कितनी जमीन है किन संस्थाओं का कब्जा है। संस्थाओं से समझौते में २० प्रतिशत या ५० प्रतिशत जमीन को लेकर प्राधिकरण ने कोई समझौता कर रखा है और सबसे बड़ी बात इस जमीन को लेकर किसी भी प्रकार की विधिक राय नहीं ली गई है।
इस मामले में प्राधिकरण के ही पूर्व अधिकारियों का कहना है कि जब पूरी योजना पर ही कार्रवाई होने के बाद इंदौर विकास प्राधिकरण कोई भी फैसला लेता है तो वह पूरी तरह नियमों के विपरित है। उल्लेखनीय है कि स्कीम नं. १७१ में भूखंड धारियों के लिए व्यक्तिगत एनओसी जारी करने का प्रारुप भी प्राधिकरण ने जारी कर दिया है। दूसरी ओर सदस्यों को लेकर संस्थाएँ कोई भी सूची को अंतिम रुप अभी तक नहीं दे पाई है। ऐसे में इस कदम से भी कोई फायदा नहीं होगा। हालांकि २५ सदस्यों ने २१ अप्रैल तक कुछ आवेदन जमा किये हैं। आज प्राधिकरण का बजट पेश होने के पहले पूर्व बैठक के प्रस्ताव पर अनुमोदन किया जाएगा।
सभी संस्थाएँ विवादास्पद योजना में समाविष्ट सभी १३ सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडलों को लेकर जिला प्रशासन लगातार कार्रवाई करता रहा है। यहां पर जमीनें बड़ी तादाद में प्लाट होल्डरों को न देकर भूमाफियाओं को बेच दी गई थी और इसी कारण कई जगहों पर आज भी भूखंड नहीं मिल पा रहे हैं। इनमे से कुछ संस्थाओं के संचालकों को तात्कालिन कलेक्टर मनीष सिंह जेल तक भेज चुके हैं और कुछ माफियाओं ने जमीन सरैंडर भी की है।
संकल्प 9 में निजी विकास की अनुमति देने पर रोक विकास प्राधिकरण से निजी विकास की अनुमति को लेकर विवाद बढ़ने के बाद संकल्प ९ के अंतर्गत निजी विकास की अनुमति पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी उसके बाद भी यहां पर दी है।
191 हेक्टेयर भूमि योजना में योजना क्रमांक १७१ में १९१ हेक्टेयर भूमि शामिल है इसमे से ७० प्रतिशत भूमि १३ संस्थाओं के पास है। सबसे ज्यादा ४६ हेक्टेयर भूमि पुष्प विहार में है। ३० प्रतिशत भूमि के बड़े टूकड़े जमीन के शहर के बड़े कारोबारियों के पास है। जिन्हें निजी विकास अनुमति का भरपूर लाभ मिलेगा।