रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे 60 करोड़ भारतीय
तेजी से बढ़ी सभी जरूरी चीजों की कीमतें
नई दिल्ली (ब्यूरो)। मौजूदा वित्त वर्ष में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। देश में अमृतकाल चल रहा है। 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की तैयारी भी शुरू हो गई है। इधर हालांकि उच्च महंगाई दर और उच्च बेरोजगारी दर के बीच लग्जरी वस्तुओ और आवश्यक चीजों की कीमतों के बीच असमानता देखी जा रही है।
भोजन, कपड़े और रहने की मूलभूत आवश्यकताओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। अभी भी इस देश में 813.5 मिलियन गरीबों को अभी भी फ्री में भोजन की आवश्यकता है। 45 प्रतिशत (60 करोड़) लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान का ही संघर्ष चल रहा है।
एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आय असमानता देखी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीर्ष 10 फीसदी और 1 फीसदी कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी और 22 फीसदी हिस्सा रखते हैं। लोगों की मूलभूत आवश्यकता को लेकर ज्यादातर भारतीय संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी वस्तुओं में बढ़ोतरी के कारण ज्यादातर चीजों के दाम में इजाफा देखा जा रहा है।
इस कारण कम आय वाले परिवारों को आवश्यक समानों को खरीदने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दो महीनों में शहरी बाजारों में 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के छोटे पैक का कुल बिक्री में योगदान लगभग 5 फीसदी बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग की कमी देखते हुए अब आटे के 1 किलो के पैकिंग और तेल के 250 ग्राम के पैकिंग भी बाजार में उतारे जा रहे हैं।
Source – DD