रमजान आते ही मस्जिद कमेटी का हर मेम्बर काम कम करता है और चिल्लाता ज्यादा है । ऐसा लगता है कि वो नमाजियों को दिखाना चाहता है कि वो भी कमेटी मेम्बर है। जब मेम्बर की ये हालत है तो सदर साहब को तो अरतुगूल गाजी की सवारी आना लाजमी है। सदर साहब तो जनता का चन्दा कैसे खर्च करना है इस पर दिमाग लगते हैं। गर्मी में अब डक्ट का चलन हो चला है, सो, कुछ साल पहले ही लिए गए लाखो के बड़े-बड़े कूलरों को कबाड़ में डाल दिया गया है। कहीं तो इस बार एसी की तैयारी भी है, भले चंदे के लिए जनता की ऐसी की तैसी हो जाये। ये हालात शहर की कई मस्जिदों के हैं । मस्जिदों से दूसरे भी खैर के काम होना चाहिए। पूरे इलाके में हर घर की हालत की खबर होनी चाहिए। कहीं हम नमाजियों के आराम के चक्कर में अपने इलाके के उस गैरतमंद मुस्तहिक़ को ना भूल जाए जिसके घर मगरिब के बाद भी रोजा हो रहा है ।।
रानीपुरा की सियासत… और कोतवाली का चक्कर
रानीपुरा ने पूर्व विधायकअश्विन जोशी को पानी वाले बाबा का तमगा दिलाया था। यहां पानी कभी बड़ा मुद्दा था । टंकी का निर्माण और पार्षदों द्वारा करवाए बोरिंग से ये मुद्दा खत्म हो चुका है।इसके बाद भी कई पूर्व पार्षद इस मुद्दे से वोट पाने का ख्वाब पाले बैठे हैं। इसी चक्कर मे ये खारा- मीठा और सही- गलत का स्वाद लिये बिना ही दो दिन पहले हुए पानी विवाद में कूद पड़े। कांग्रेस पार्षद और बोरिंग पर कब्जा करने वाले सईद लाला के बीच मारपीट का विवाद थाने पहुंचा था। पता लगते ही पूर्व पार्षद भी पहुंच गए। मोहल्ले वाले पहले ही लाला पर लाल पीले होते रहते हैं । ऐसे में सब अन्साफ़ के इंसाफ को सही ठहरा रहे हैं। हांलाकि अभी चुनाव बहुत दूर है लेकिन पूर्व पार्षद की ये प्यास हमेशा कायम रहती है कि कब उन्हें अन्साफ़ के खिलाफ कोतवाली जाने का मौका मिल जाए।
जकरिया के गार्डन की तामीर में दिक्कत
खजराने में जकरिया कलोनी में जनता गार्डन को तरस रही है । तामीर कमेटी हाल के सामने गार्डन की जमीन भी खाली पड़ी है। अभी तक खजरना वार्ड 39 में गार्डन की इस जमीन पर किसी का कब्जा भी नही हुआ है , लेकिन कॉलोनी के ही कुछ जादूगर वहां गार्डन नही चाहते ओर बाकायदा इसके लिए निगम के तबेलों में हर महीने एक अच्छी खासी रकम भी पहुंचाते हैं । अब उन जादूगरों का इसमे क्या फायदा है, ये जादूगर और जकरिया कॉलोनी वाले ही बता सकते हैं। हम रमज़ान में गीबत नहीं कर रहे, सच्चाई बता रहे हैं। आगे की सच्चाई जानना है तो पार्षद से मिलें या फिर खुद तहकीक कर लें।
सज़ा का मज़ा ले रहे पूर्व पार्षद के बिरादर
चंदन नगर के पूर्व पार्षद के भाई पर जिला बदर की कार्रवाई क्या हुई, साहब तो तफरीह पर निकल पड़े। कार्रवाई कराने में ना जाने क्या क्या घिसवा चुके लोग भी सोच रहे हैं की सामने रहता तो परेशान तो कर सकते थे। अब तो कभी कश्मीर तो कभी दिल्ली के साथ साथ जिला बदर पर साहब भारत दर्शन को निकल पड़े हैं। खाने पीने की नई नई चीज़ों के साथ फेसबुक फोलवर्स बड़ा रहे रहे हैं। साथ ही साथ विरोधियों का खून भी जला रहे हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट को देखकर लगता है कि इंसान चाहे तो सज़ा को भी जो मज़ा बना सकता है। -मो. 9977862299