रालामंडल अभ्यारण्य के आसपास बन रही 50 से अधिक टाउनशिप उलझ गई

रालामंडल का इको सेंसेटिव जोन तैयार, कागजी प्रक्रिया में 10 किलोमीटर और 100 मीटर का खेल

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इंदौर।
रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य के आसपास कम से कम एक किलोमीटर परिधि क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन बनाया गया है। 2.3455 वर्ग किलोमीटर में फैले रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य में नए रहवासी, व्यावसायिक, औद्योगिक या खनन क्षेत्र को अनुमति नहीं दी जाएगी। इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर चुका है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और नेशनल पार्क का सेंसेटिव जोन 10 किलोमीटर रखने की बात कही थी, जिसके बाद इंदौर के रालामंडल अभ्यारण्य के आसपास बने निर्माण और टाउनशिप को बचाने का खेल शुरू हो गया। latest land mafia news in indore

वर्तमान में रालामंडल अभ्यारण्य में इन्दोर के महाराजा शिवाजीराव होलकर कई राजा जंगल में शिकार के लिए आते थे। 1905 में यहां स्थित पहाड़ी की चोटी पर एक शिकारगाह भी बनाई गई, जिसे कुछ समय पहले वन विभाग ने म्यूजियम का रूप दिया है। वहीं 9 फरवरी 1989 को इसे वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किया गया था। वर्तमान में रालामंडल की सीमा से जिस 100 मीटर क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन बनाया जाना प्रस्तावित है, उसका कुल क्षेत्रफल 0.810 वर्ग किलोमीटर है। latest land mafia news in indore

इसकी जद में रालामंडल गांव, नायता मुंडला, सनावदिया, बिहाडिय़ा और मिर्जापुर का हिस्सा आ रहा है। इसमें अभी सिल्वर स्प्रिंग और रिवेरा टाउनशिप का हिस्सा, पटेल कॉलेज, अमय खुरासिया प्ले ग्राउंड, एक गैस गोदाम, होमगार्ड क्वार्टर्स सहित फार्म हाउस और रालामंडल गांव के साथ ही कृषि व वन क्षेत्र शामिल है। ऐसे में वन विभाग पूर्व में हो चुके निर्माण को तोड़ने के बजाए उनको बचाने का रास्ता निकाल रहा है। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन पर कई स्तर पर विवाद के बाद वन विभाग के अधिकारियों को क्षेत्र तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे लागू करने के लिए नए सिरे से गाइडलाईन बनाई गई है, जिसमें ईको सेंसेटिव जोन में इन गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। रालामंडल अभ्यारण के आसपास पचास से अधिक टाउनशिप के कर्ताधर्ता भोपाल तक अपनी ताकत लगा रहे हैं हालांकि यहां पर सभी निर्माणों पर अब रोक लगना तय है।

कौन-कौन से प्रतिबंध लगाये गये?
– स्थानीय निवासियों के घरों के निर्माण या मरम्मत के लिए जमीन खोदने को छोडक़र सभी तरह के नए और मौजूदा खनिज खनन और क्रशर प्रतिबंधित होंगे।
– जोन में नए या मौजूदा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग को अनुमति नहीं होगी। यहां गैरप्रदूषणकारी कुटीर उद्योगों को अनुमति दी जा सकेगी।
– किसी खतरनाक वस्तु का प्रयोग, उत्पादन या प्रसंस्करण प्रतिबंधित होगा, साथ ही ईंट भट्टों, आरा मशीनों या जलाऊ लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग भी प्रतिबंधित होगा।
– इस क्षेत्र में बड़े होटल या रिसॉर्ट भी नहीं बनाए जा सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन के अनुसार अभयारण्य के आसपास इको सेंसेटिव जोन रहता है। यहां निर्माण व अन्य कार्यों के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है।

-नरेंद्र पंडवा, डीएफओ

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