सुलेमानी चाय: रअफत की चाय से ज्यादा गर्म है चमचों की केतली…तुम सांप तो हम नाग….
राहुल की यात्रा में राहत की बात...पार्टी फरामोश...
रअफत की चाय से ज्यादा गर्म है चमचों की केतली…
भाजपा में अल्पसंख्यक रेवड़ी खाना कुछ ही लोग जानते हैं। ऐसे लोग पहली कुर्सी जाने के पहले ही दूसरी के इंतेजाम में लग जाते हैं और कामयाब भी रहते हैं। फिलहाल भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रअफत वारसी की मोर्चे में कुर्सी का समय पूरा हो रहा है। रअफत ने पहले ही हज हाउस में लालबत्ती का इंतेजाम कर लिया है। ऐसे मामलों में जब तक नई कुर्सी मिल नहीं जाए, तब तक दुश्मनों को छोडो दोस्तों को भी बताया नहीं जाता कि पता नहीं कौन भांजी मार दे। लेकिन रअफत के छर्रों और अत्यंत लघु अल्पसंख्यक नेताओं को बधाई देने की ज्यादा ही जल्दी है। इस चक्कर में बेचारे रअफत का रायता ढुले तो ढुले। रअफत के पद की घोषणा छ्ह दिसम्बर को बोर्ड के बैठने के बाद होगी, लेकिन अंडों बच्चों और पिस्टन-छर्रों ने पहले ही बधाई दे देकर दुश्मनों के कान खड़े कर दिये। रअफत की छोड़ी हुई कुर्सी पर तो नासिर शाह की नज़रें हैं। इस पर कोई भी बैठे रअफत को फर्क नहीं पड़ता। फर्क इससे पड़ता है कि जो कुर्सी मिलने वाली है, उसे कोई ना ले उड़े। सियासत की कुर्सी टेंट हाउस वाली प्लास्टिक की कुर्सियों से भी हल्की होती हैं। जरा सी चर्चा की हवा लगी नहीं कि कुर्सी हवा में उड़ी नहीं।
तुम सांप तो हम नाग
इस्लामिया करीमिया सोसायटी की कमेटी के पुराने लोग अगर कमखुदा नहीं हैं, तो नई सोसायटी के लोग उनसे भी आगे बढ़ने की कोशिश में हैं। घटियापन की कोई ना कोई हद रोज़ान लांघी जा रही है। पुरानी कमेटी हार गई है तो उसे सब्र रखना चाहिए। जब उसका वक्त था तो उसने सोसायटी का खूब दोहन किया। जमाना जानता है कि किसके पास कल क्या था और आज क्या है। खैर पुरानी कमेटी को हकाल दिये जाने का दुख है और वो कदम कदम पर शिकायतें करके अपनी भड़ास निकाल रही है। दूसरी तरफ नई कमेटी के जिम्मेदार ओहदेदारान द्वारा ऐसे लोगों को ब्लेकमेलर तक कहा जा रहा है। इतना ही नहीं सोशल बायकाट की अपील भी एक जिम्मेदार शख्स ने जारी की है। वैसे किसी के सोशल बायकाट की अपील एक संज्ञेय अपराध है और जिसके खिलाफ यह अपील जारी की गई है, वो थाने में रिपोर्ट लिखवाकर जीना मुहाल कर सकता है। बड़े और जिम्मेदारी के पद पर जो शख्स है, उसे इतना कानून तो मालूम होना चाहिए कि किसी के बायकाट की अपील ऐसे सार्वजनिक तौर पर नहीं की जा सकती। खैर…जिसके खिलाफ अपील की गई है, वो रिपोर्ट ना ही लिखाए तो बेहतर है। कौम की छीछालेदार थाने अदालत में नहीं होना चाहिए। आपस में जूतों में दाल बांट कर खाई जा रही है, वही मुनासिब है। अब इससे आगे बात नहीं जाना चाहिए।
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