इंदौर ( cabinet exercise madhya pradesh)। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की हवा चलने के बाद मंत्रियों के नामों को लेकर जहां कई कवायद लगने लगी है, वहीं भाजपा के बड़े नेता मान रहे हैं कि पहले तो विस्तार की कोई संभावना इसलिए नहीं है कि मात्र पांच से छह महीने का समय ही मंत्री पद के लिए मिलेगा। दूसरी ओर इस कार्यकाल में कोई भी काम किया जाना संभव नहीं होगा। इंदौर से यूं तो तीन नामों पर हर बार बात शुरू होती है, परंतु संभावना नहीं के बराबर ही रहती है। शिवराज मंत्रिमंडल में केवल पांच ही पद खाली हैं और इनमें से तीन के लिए भाजपा के ही पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में नए मंत्रियों की सूची में इंदौर का नाम जुड़ना संभव नहीं होगा।
भाजपा के संगठन के सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार दिसंबर अंत या जनवरी में ही किए जाने को लेकर कवायद बताई जा रही है। हिमाचल और गुजरात के चुनाव समाप्त होने के बाद भाजपा को मध्यप्रदेश सहित अन्य रायों में भी चुनावी तैयारी शुरू करनी होगी और इसीलिए निगम-मंडलों की नियुक्तियों से लेकर एल्डरमैन भी अभी नहीं बनाए जा रहे हैं, क्योंकि पचास लोगों की नियुक्ति करने के बाद पांच सौ कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब सत्ता और संगठन मोल नहीं लेगा। ऐसे में अब सारी नियुक्तियां मध्यप्रदेश के अगले साल अक्टूबर में होने वाले चुनाव के बाद ही नई सरकार के बनने के बाद ही की जाएगी।
पिछली बार मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर क्षेत्र क्रमांक दो के विधायक रमेश मेंदोला (Ramesh Mendola) को सांवेर में चुनाव में जिताने की जवाबदारी देने के बाद मुख्यमंत्री ने खुद उनसे वादा किया था कि चुनाव समाप्ति के बाद विस्तार में उन्हें स्थान दिया जाएगा, परंतु राजनीतिक समीकरण के चलते वे मंत्री पद नहीं पा सके। दूसरी ओर अब चार बार स्वछता का तमगा दिलाने वाली मालिनी गौड़ को लेकर भी संभावना बताई जा रही थी, पर इसमें भी दिक्कत है। ग्रामीण क्षेत्र से उषा ठाकुर महिला कोटे में पहले से ही यहां पर बनी हुई हैं।
इसके अलावा तीसरा नाम पूर्व मंत्री और विधायक महेंद्र हार्डिया का है। वे पहले स्वास्थ्य रायमंत्री भी रह चुके हैं और पिछड़ा वर्ग से आते हैं। संगठन के बड़े नेताओं का कहना है कि अब इंदौर को नया मंत्री पद मिलने की संभावना बेहद कम है, क्योंकि किसी को मंत्री बनाने के बाद अधिकारियों की ताकत भी कम हो जाएगी और अभी तक इंदौर में होने वाले सभी फैसले मुख्यमंत्री की सहमति से ही होते रहे हैं, यानी जनवरी में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद काम करने के लिए अगस्त तक का समय अधिकतम मिलेगा। इसके बाद आचार संहिता लग जाएगी। cabinet exercise madhya pradesh