गुस्ताखी माफ़…- भिया ऐसे ही कार्यकर्ताओं के नाड़ी वैद्य नहीं कहलाते…भगत और भक्ति का समापनकाल शुरू
गुस्ताखी माफ़…
भिया ऐसे ही कार्यकर्ताओं के नाड़ी वैद्य नहीं कहलाते…
राजनीति में फूंक-फूंक कर कदम रखना एक कुशल नेता के लिए जरुरी होता है और वह कदम नहीं भी रखे तो फूंकते रहना हर समय जरुरी होता है और यदि समय रहते हुए फूंकने से चूक जाओ तो फिर नेता को कोई भी फूंक सकता है।
इन दिनों भाजपा में फूंकने की राजनीति ही चल रही है। नाराजगी को लेकर अलग- अलग स्थानों पर धीमी आवाज में विरोध तो हो रहा है और खुले खाते में सीधे बोल देना आसान नहीं होता है ना जाने कौन हरिराम हो जाए। पिछले दिनों शहर में एक कार्यक्रम के दौरान भिया यानी कैलाश विजयवर्गीय ने शंख फूंकते हुए दो टूक कह दिया कि शहर को स्वच्छता का तमगा अधिकारियों की बदौलत नहीं इस शहर के राजनेताओं और आम लोगों के कारण मिला है। कहना सही है ऐसे किसी भी काम को कहने के पूर्व ऊपर बैठे नेताओं की इच्छाशक्ति की सबसे ज्यादा जरुरत होती है।
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अब वह चाहे राजबाड़े के आसपास के चौड़ीकरण का मामला हो या फिर बांड रोड़ का। इन सब मामलों में भिया के बारे में कहा जा सकता है कि वे इस शहर में भाजपा के ऐसे नाड़ी वैद्य है जो कार्यकर्ता की नब्ज को पहचानते है और हाथ रखकर ही हाल जान लेते है। उन्होंने जान लिया है कि इस समय भाजपा कार्यकर्ता नौकरशाही से त्रस्त है। मन की बात तो कोई भी कर सकता हैं। सही नेता वहीं है जो कार्यकर्ताओं के दिल की बात सही समय पर नाड़ी देखकर कह सकें। इसी के साथ उन्हें जहां निशाना लगाना था वह भी लगा दिया तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री के लगातार अधिकारियों पर आश्रित होने को लेकर भी वे पहले भी तीर चलाते रहे है।
पंद्रह दिन पूर्व भी उन्होंने नौकरशाही को लेकर तंज कसा था। और जो भी हो इन दिनों उन्होंने सिद्ध कर दिया कि वे सही समय पर सही नाड़ी पहचान सकते है और हा अब ठाकुर सा. के हाथ भी खुले हुए है, तो फिर क्या चार अंगुल चौबीस ….
भगत और भक्ति का समापनकाल शुरू
भाजपा संगठन में इन दिनों कार्यकाल पूरा कर चुके अध्यक्षों की बिदाई समारोह शुरु हो गये हैं। पिछले दिनों पांच जिलों के अध्यक्षों को शाल श्रीफल देकर वहां पर नये अध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये हैं।
अब सारे नेताओं की नजरे भगत की भक्तिसे तेजस्व प्राप्त करने वाले गौरव रणदीवे पर आकर ठीक गई है। भाजपा में राधा तब तक ही नाच सकती है जब तक उसके पास नो मन तेल लेकर कोई खड़ा न हो। इधर गौरव बाबू जिनके तेल पर राधा बने हुए थे वे भी अब विलुप्त प्रजाति के नेताओं में शामिल होते जा रहे हैं।
ऐसे में लंबे समय से उधार बैठे आर.के. स्टूडियों ने अपने कलाकारों को काम पर लगा दिया है। दूसरी ओर कुछ और भी क्षेत्रों में इसकी भनक लग गई है कि गौरव बाबू पांच नंबर में अपनी चौसठ कला शुरु करने जा रहे है। बाबा ने भी परंपरा के अनुसार अपने क्षेत्र के लिए पटा बनेठी निकालकर रख ली है।
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वे भी इंतजार में है। इधर संगठन के बड़े नेता बता रहे हैं कि नगर अध्यक्ष के लिए उच्च स्तर पर पूर्व पार्षद और एमआईसी सदस्य के अलावा युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रहे कल्याण देवांग का नाम आगे बढ़ाया है। माडू की बैठक में भी पुराने नेताओं को सम्मान और पद देने को लेकर आम सहमति बनाई गई है। अब समय बतायेगा कि भाजपा में कहां कौन भेरु बनेगा और पुजायेगा।
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गुस्ताखी माफ़…