दूध से जले नहीं पर छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रहे हैं…
अंतत: महापौर परिषद में विभागों की रेवड़ी बंट ही गई। लम्बी खींचतान और ज्ञान धरा रह गया, परंतु अभी भी महापौर हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। इसका कारण यह है कि पुराने महापौर जितने भी रहे सबके प्रकरण लोकायुक्त से लेकर ईडी तक में ढेर शिकायती प्रमाणों के साथ पड़े हुए हैं। कुछ के मामले तो अदालत तक पहुंचे थे जहां पर उन्हीं की राय ली गई थी।
इधर सभापति के पाइप घोटाले का भी मामला बिलकुल तलवार की धार पर रखा हुआ है। दूसरी ओर एमआईसी में शामिल हुए तमाम पार्षद अपने शानदार कमरों को लेने के लिए जब नगर निगम में सचिव के पास पहुंच कर बताने लगे कि कौन से कमरे में एसी लगना है। इस पर सचिव ने कहा कि आप महापौरजी से बात कर लीजिएगा। बात आगे बढ़ी तो फिर दूर तलक चली गई। महापौर ने संविधान को देखने के बाद पाया कि एमआईसी सदस्यों को यहां कमरे देने का कोई प्रावधान नगरीय निकाय के नियमों में नहीं है। कार की बात तो बेकार है।
महापौर ने विधान पढ़ लिया है, उसमें लिखा है कि उन्हें साढ़े तेरह हजार रुपए वेतन मिलेगा। इसके साथ ही एक वाहन, बंगला मिलेगा। एक महीने में एक बार बैठक भत्ता भी मिलेगा। इसी से काम चलाना है। यानी एमआईसी सदस्यों को भले ही सब कुछ मिल गया हो पर कुछ भी मिलने वाला नहीं है। वहीं जनकार्य के लिए उन्होंने पूरी तरह अपनी टीम तैयार की है। यहां पर कोई भी फैसला उन्हें संज्ञान में लाए बिना नहीं हो सकेगा। महापौर मान रहे हैं कि अभी वे दूध के जले नहीं हैं पर पहले से ही छाछ फंूक-फूंककर पीने में क्या बुराई है। वैसे भी यहां पर कई एमआईसी सदस्य इतना फूंक चुके हंै कि उनके बारे में पूरे शहर में और अधिकारियों में चर्चा बनी हुई है। महापौर इन दिनों यह भी गाना गुनगुनाते हैं कि सब कुछ लुटाकर होश में आए तो क्या हुआ…।
बड़े फेरबदल के साथ उतरेंगे नए नेता…
भाजपा के संगठन में बैठे बड़े नेताओं का मानना है कि अगली विधानसभा चुनाव में इंदौर में बड़े राजनीतिक फेरबदल दिखाई देने लगे हैं और इसके लिए अगले 4 माह बाद ही जमीन तैयार होना शुरू हो जाएगी। दूसरी ओर पूरे प्रदेश के भाजपा के 32 नेता अपने पुत्रों के लिए जमीन बनाना शुरू कर रहे हंै और उन्होंने इसके लिए अपना आदर्श भी तलाश कर लिया है।
दूसरी ओर नए नामों में जिनका लड़ना पूरी तरह तय माना जा रहा है उसमें सांसद शंकर लालवानी भी विधानसभा में दिखाई देंगे। लोकसभा में इंदौर से ज्योति बाबू अपनी सारी जड़ें अभी से ठीक करना शुरू कर चुके हैं और इसीलिए वे नंदानगर की गलियों में चाय-चूड़ा कर आए हंै। वैसे भी कहा जाता है कि किसी भी नगर में प्रवेश के पहले भैरव पूजा बहुत जरूरी होती है और यह बात ज्योति बाबू और अच्छे से जानते हंै। दूसरी ओर अगली विधानसभा के लिए जिन नामों को दिल्ली तक जगह मिलेगी उनमें पुष्यमित्र भार्गव, जयपाल चावड़ा, गौरव रणदिवे, टीनू जैन और मिलिंद महाजन शामिल हैं। देखना यह होगा कि चौसर में कौन से नेता किसी जगह पर गणेशजी बन रहे हैं।
चिंदी लेकर घूम रहे हैं…
इन दिनों युवा मोर्चा में हुई नियुक्तियों के बाद पूरे शहर में भाजपा के बड़े नेताओं के यहां पदाधिकारी ऐसे पहुंच रहे हैं जैसे कैलाश विजयवर्गीय के घर सिंधियाजी और फिर उसके बाद सोशल मीडिया पर प्रचार कर रहे हंै कि उन्होंने गंभीर मामलों में बड़े नेताओं से चर्चा की। दूसरी ओर गरीब कार्यकर्ताओं को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जिस पार्टी का कार्यकर्ता सेंव-परमल खाकर अपना काम करता था वहीं चिंदी जैसे पद पाने के बाद कई नेता अपने आका सौगात मिश्रा को प्रसन्न करने के लिए लाखों रुपए का हवन कर रहे हैं। रोज उनका ब्रम्ह मुहुर्त में हर कार्यकर्ता को दर्शन करना पड़ रहा है। जो भी हो कामकाज भले ही न करना पड़े परंतु पहचान तो बन ही जाएगी। दिक्कत यह है कि उन गरीब गुर्गे कार्यकर्ताओं का क्या होगा जिनके पास अपने आपको बड़ा बताने के लिए मुट्ठीभर पैसे भी नहीं हैं।