सड़क पर खड़े होकर लोन बांटा तो जेल भेजा जाएगा
आत्महत्याओं के बाद पुलिस एक्शन में, कंपनी भी रहेगी दोषी, पैसे का दबाव बनाने से बढ़ रही घटनाएं
इंदौर। साइकल पर हाथोहाथ और 24 घंटे में लोन उपलब्ध कराने वालों पर अब पुलिस ने नजर दौड़ाना शुरू कर दी है। लोन लेने वाले ने आत्महत्या की तो साइकल वाला और जिस कंपनी की ओर से लोन दिया गया था, वह भी जेल की सलाखों के पीछे धकेले जाएंगे। लोन की किश्त नहीं चुकाने के बाद कंपनी के कर्मचारी पैसे जमा कराने के दबाव बनाते हैं।
लगातार दबाव बनाने से लोन लेने वाला डिपरेशन में आकर आत्महत्या कर लेता है। एक माह में इस प्रकार की पांच घटनाएं हो चुकी है। कल भी भागीरथपुरा में मोबाइल ऐप से लोन लेने के बाद युवक पैसे नहीं चुका पाया तो उसने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। मृतक ने सुसाइड नोट में लोन नहीं चुकाने और कर्मचारी द्वारा लगातार दबाव बनाने के कारण उक्त कदम उठाने की बात का उल्लेख किया था।
शहर में 200 से आधिक स्थानों पर कुकुरमुत्तों की तरह साइकल पर बैनर लगाकर युवक खड़े रहते हैं। बैनर पर लिखा रहता है कि आधार कार्ड लाइए और हाथोहाथ, 24 घंटे में लोन ले लीजिए। जरूरतमंद युवक बैनर देखकर लोन लेता है। लोन लेने वाले युवक से दो जमानतदारों के नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर लिए जाते हैं। युवक किसी तरह जमानतदारों के नाम देता है। लोन के आवेदन में अंग्रेजी में कई बातें लिखी रहती है, जो आमतौर पर युवक पढ़ नहीं पाता है। लोन लेने के बाद जब युवक समयसीमा में किश्तों का भुगतान नहीं करता है तो कंपनी द्वारा रखे गए वसूली एजेंट( बाउंसर कम बदमाश) परेशान करने लगते हैं।
पहले तो कंपनी के कथित एजेंट युवक को फोन लगाकर किश्त चुकाने का कहते हैं, जब किसी कारणवश युवक किश्तों को नहीं चुका पाता तो उसे तरह-तरह के दबाव डाले जाते हैं। मारपीट करने, बाइक छीनने, नौकरी वाले स्थान पर पहुंच जाते हैं। इससे लोन लेने वाला काफी परेशान हो जाता है। पिछले दिनों में भी एक ही परिवार के सात लोगों ने कर्ज नहीं चुकाने पर आत्महत्या कर ली थी। साइकल पर खड़े रहकर लोन चुकाने वाले 30 से 40 प्रतिशत तक ब्याज वसूलते हैं। ब्याज नहीं चुकाने पर मारपीट तक करते हैं।
साहूकारी बंद, सूदखोरी जारी
शहर में साहूकारी के लिए प्रशासन लायसेंस देता है। कई महीनों से साहूकारी बंद है, लेकिन सूदखोरी का कारोबार खुलेआम चल रहा है। शहर के कई नामचीन बदमाश इस गौरख धंधे में लिप्त हैं, जो युवकों को 30 से 40 प्रतिशत तक ब्याज वसूलते हैं। पुलिस को कई बार सूदखोरों की शिकायतें मिल चुकी है, लेकिन किसी सूदखोर पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। सूदखोर कई बार ब्याज पर पैसे लेने वालों से मकान और दुकान तक अपने नाम करा लेते हैं।