इंदौर। नगर निगम चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ हैं कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टी के महापौर प्रत्याशियों को पार्षदों से अधिक वोट मिले हैं। वहीं निर्दलिया महापौर के प्रत्याशियों ने एक लाख से ज्यादा वोट ला कर इस बार सभी को चौंका दिया है। संजय शुक्ला 49603 वोट मिले जबकि कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों को 4 लाख 10 हजार 756 वोट मिले है। वहीं भाजपा के महापौर उम्मीदवार 5 लाख 93 हजार 856 तो भाजपा के पार्षद उम्मीदवारों को 5 लाख 73 हजार 255 वोट ंिमले हैं। वहीं अन्य व निर्दलियों ने भी पहली बार 1 लाख 11 हजार 118 वोट लाकर सभी को चौंका दिया है। जबकि भाजपा के परंपरागत वोटों से भाजपा के सभी गढ़ मजबूत रहे।
नगर सरकार के लिए हुए मतदान में मतदाताओं ने भाजपा व कांग्रेस के महापौर प्रत्याशियों को अपेक्षा से अधिक वोट मिले, हांलाकि कांग्रेस का सारा गणित निर्दलिय व अन्य महापौर प्रत्याशियों ने गड़बड़ा दिया। भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव 1 लाख 33 हजार 497 वोटो से विजय हुए, उन्हें मिले 5 लाख 38 हजार 561 वोट। जबकि भाजपा के सभी पार्षदों को 5 लाख 73 हजार 255 वोट मिले है। वही कांग्रेस के संजय शुक्ला को 4 लाख 60 हजार 359 वोट मिले। वही सभी कांग्रेस के पार्षद उम्मीदवरों को 4 लाख 10 हजार 756 वोट मिले। सबसे अधिक चौकाने वाले निर्दलीय महापौर अन्य रहे इन्हें 1 लाख 11 हजार 118 सो वोट मिले। इनमें कुलदीप सिंह पवार को सबसे ज्यादा 8 हजार 5 सो 10 तो प्रकाश महावर को 8 हजार 219 वोट मिले, वही तीसरे नंबर पर रही इंजीनियर लीला को 7 हजार 5 सो 43 मत प्राप्त हुए।
भाजपा में सबसे कम वोट से जितने वाले वार्ड 27 के मुन्नालाल यादव रहे। तो कांग्रेस में भी सबसे कम वोट से हारने वाले इसी वार्ड के विनोद बब्बू यादव है। वही भाजपा के कुछ पार्षद 5 बार से अलग अलग वार्डो से लगातार जीतते आ रहे है। वही भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गजो को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के पुराने व दिग्गज छोटे यादव अलग अलग वार्डो से 5 बार जीत चुके थे। मगर छटी बार वह चुनाव हार गए। बात करे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में बीजेपी को कांग्रेस की अपेक्षा दो प्रतिशत कम मत ही मिले है। वही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो में बीजेपी को मात्र 1 से 2 प्रतिशत वोट मिले है।