पुष्यमित्र के रूप में लगातार 5 वीं बार भाजपा तथास्तु

परम्परागत वोटों से भाजपा के गढ़ मजबूत रहे , शहर में मित्र पुष्यमित्र का उदय....

इंदौर। इंदौर की जनता ने रविवार को लगातार 5 वीं बार नगर में भाजपा सरकार पर अपनी मुहर लगा दी। इस बार 24 वें मेयर के रूप में सबसे युवा महापौर मिला है। पुष्यमित्र भार्गव के साथ-साथ भाजपा को 64 पार्षद भी मिले हैं, जो बड़ी जीत के साथ नई परिषद में काम करेंगे। वहीं कांग्रेस को 19 वार्डों में सफलता मिली है। कांग्रेस सिर्फ 4 वार्डों की जीत की संख्या बढ़ा पाई है। भार्गव अब पांच साल नगर सरकार के मुखिया होंगे। उन्हें अब नई जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ना होगा। कल सुबह से ही कांग्रेस व भाजपा के नेता व कार्यकर्ता नेहरू स्टेडियम पहुंच गए थे, जहां नगर सरकार का मुखिया कौन होगा इसका फैसला होना था। कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला सुबह 7 बजे से ही स्टेडियम पहुंच गए थे।

 

जीत के लिए आश्वस्त पुष्यमित्र भार्गव दोपहर बाद पहुंचे जीत का बड़ा अंतर मिल जाने के बाद भार्गव पहुंचे। पुष्यमित्र के पहुंचते ही जश्न मनाना शुरू हो गया था। शाम 6 बजे ही भार्गव हजारों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचे। दोनों ही दलों के पार्षद उम्मीदवार अपने-अपने वार्डों की चिंता कर रहे थे। जैसे-जैसे परिणाम आते गए वैसे-वैसे कई धुरंधर निकलते भी गए। विधानसभा 1 के वार्ड 1 में गोलू अग्निहोत्री की पत्नी प्रीति अग्निहोत्री चुनाव हार गई। गोलू को विधानसभा 4 का प्रभारी भी बनाया था व कमलनाथ के इशारे पर वो चार नंबर के भविष्य के कांग्रेस उम्मीदवार भी नजर आ रहे थे लेकिन पत्नी को ही चुनाव नहीं जीता पाए। हालांकि इस वार्ड में अग्निहोत्री परिवार का कब्जा रहा है। एक बार राजा अग्निहोत्री चुनाव जीते थे। वहीं प्रीति 2 बार पार्षद रह चुकी थी।

वार्ड 4 ससुर के बाद बहू की जीत….
यहां से भाजपा से गोपाल मालू 2 बार पार्षद रह चुके हैं। उनके निधन के बाद उनकी बहू को भाजपा ने मैदान में उतारा था। पारिवारिक परष्ठभूमि काम आई।

यादव परिवार की विरासत कायम
वार्ड 10 में पूर्व विधायक रहे रामलाल यादव भल्लू की बहू विनितिका दीपू यादव ने भाजपा के संतोष गौर को हराया है। गौर मंत्री उषा ठाकुर के नजदीकी हैं लेकिन वे दूसरे वार्ड में पार्षद थे। पार्टी ने इस बार यहां मौका दिया, लेकिन शिकस्त हाथ लगी। गौर तीसरी बार मैदान में थे। वहीं विनितिका भी तीसरी बार भाग्य आजमा रही थी, लेकिन भाग्य ने विनितिका का साथ दिया।

पराग का वनवास खत्म
वार्ड 13 में भाजपा के पूर्व पार्षद पराग कौशल फिर से पार्षद बने हैं। वे कैलाश विजयवर्गीय के समय पार्षद बने थे। अब 15 साल के वनवास के बाद फिर पार्षद बन गए हैं।

पिता के बाद पुत्र भी पार्षद
कांग्रेस नेता के के यादव के पुत्र शिवम यादव वार्ड 17 से पार्षद बन गए हैं। शिवम के पिता भी पार्षद रहे हैं व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीकी हैं।

ससुराल पक्ष से जीते मुन्नालाल
वार्ड 27 में भाजपा के मुन्नालाल यादव अपने सामने कांग्रेस से (बेटे के ससुराल के पक्ष के) उम्मीदवार से चुनाव लड़ रहे थे जिसके कारण वे बड़े पशोपेश में थे, लेकिन अंतत: मुन्नालाल यादव अपने समधि से ही चुनाव जीत गए।

पटवारी के साढू भाजपा से जीते
कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी के साढू के घर से सीमा संजय चौधरी भी वार्ड 34 से चुनाव जीत गई है। हालांकि वे भाजपा उम्मीदवार थी। खाती समाज की राजनीति करते रहे पटवारी इस वार्ड में नहीं पहुंचे। ये वार्ड भी खाती बाहुल्य है।

विजयवर्गीय की प्रतिष्ठा रही वार्ड 64
विधानसभा 3 की सबसे चर्चित सीट वार्ड 64 थी। यहां मनीष मामा को राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने टिकट दिया था जबकि यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खास पवन जैसवाल का टिकट मांग रहे थे लेकिन विजयवर्गीय मामा के लिए अड़ गए थे। जीत भी संशय में थी, लेकिन अंतत: मनीष मामा जीत गए।

सिंधिया के दोनों उम्मीदवार जीते
मंत्री सिंधिया व तुलसी सिलावट अपने समर्थकों को टिकट दिला पाए थे। एक मनोज मिश्रा व दूसरे योगेश गेन्दर। वे पिछली बार कांग्रेस से लड़े थे लेकिन वार्ड 69 से हार गए थे। अब भाजपा से वार्ड 72 से जीत गए।

महामंत्री अखंड चुनाव हारी
भाजपा की नगर महामंत्री सविता अखंड चुनाव हार गई है। हालांकि वे एक बार पार्षद रही हैं लेकिन महामंत्री बनने के बाद टिकट मिलना मुश्किल था लेकिन विधायक महेंद्र हार्डिया के कारण उन्हें टिकट मिल गया व हार गई।

कोर्ट की नौकरी छोड़ पार्षद बने प्रशांत
उच्च न्यायालय में नौकरी कर रहे प्रशांत बडवे नौकरी छोड़ चुनावी मैदान में उतरे थे। अचानक टिकट मिलने से वार्ड 80 में विरोध भी हुआ था, लेकिन अब चुनाव जीत गए।

बबलू शर्मा ने नहीं मनाया जश्न
85 वार्डो में सर्वाधिक मतों से जीते अभिषेक बबलू शर्मा अपनी जीत का जश्न नहीं मना रहे हैं। उनके वार्ड में एक बच्चे की गड्ढे में गिरने से मौत हो गई थी, जिसके कारण उन्होंने समर्थकों से जश्न मनाने का मना कर दिया था।

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