मुंबई (ब्यूरो)। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार डॉलर की कमी और रुपए की डॉलर के मुकाबले हो रही दुर्गती के बाद रिजर्व बैंक ने अब डॉलर से मुक्त होने के लिए बड़े प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके चलते रूस की तरह ही भारत भी अब अपने सहयोगी देशों के साथ रुपए में ही व्यवहार करेगा।
भारत से किए जाने वाले निर्यात और आयात के लिए सहयोगी देशों की बैंकों में रूपी वास्ट्रो अकाउंट खोलना होगा जिससे कारोबारी लेन-देन रुपए में कर सकेंगे, जो बाजार दर पर होगा। उल्लेखनीय है कि आज रुपया और नीचे उतरकर 79.65 पैसा पर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक अपने प्रयास के बाद भी रुपये की दुर्गती नहीं रोक पा रही है। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर तेजी से पड़ रहा है।
रिजर्व बैंक रुपए की गिरती कीमत के बाद भविष्य में विदेशी मुद्रा भंडार पर आने वाले दबाव से निपटने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर चुका है। आरबीआई अब इस मामले में बड़े कदम उठाने जा रहा है, जिससे भारत को अब भविष्य में आयात के लिए डॉलर नहीं खरीदने होंगे। आरबीआई अब अपने सहयोगी देशों के साथ रुपए में ही आयात-निर्यात करेगा। निर्यात का भुगतान भी कारोबारियों को डॉलर के बजाय रुपये में होगा, जिस देश से आयात होगा वहां के कारोबारियों को उसी देश की करंसी में भुगतान हो जाएगा। इसके लिए रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को तैयार रहने के साथ अपने यहां खाते खोलने के लिए आरबीआई के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से अनुमति लेने के लिए कहा है। कारोबारियों को जिस देश में कारोबार करना होगा तो उन्हें उस देश की बैंक में खोले गए रूपी वास्ट्रो अकाउंट में पैसे जमा करने होंगे। इससे भारत पर अगले कुछ महीनों में डॉलर के लिए आ रहे बड़े दबाव से निपटने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम हो रहा है। दूसरी ओर देश से डॉलर तेजी से निकल रहे हैं। भारत के पास 9 माह के आयात का ही मुद्रा भंडार बचा है। वहीं लिए गए कर्ज का भुगतान भी अब डॉलर में ही करना है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद लगाए गए प्रतिबंध से निपटने के लिए रूस ने सहयोगी देशों से रूबल में व्यवहार शुरू कर दिया था, जिसके बाद 120 रूबल प्रति डॉलर से ताकतवर होते हुए प्रति डॉलर रूबल 55 तक पहुंच गया था। अमेरिका के सारे प्रयास के बाद भी रूस ने अपने आपको वापस खड़ा कर लिया। अमेरिका के 6000 से ज्यादा प्रतिबंध कोई काम नहीं आए।