इंदौर। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा नेताओं की सक्रियता कम होने और मतदान का प्रतिशत कम होने का फीडबेक लेने भाजपा के प्रदेश महामंत्री हितानंद शर्मा सोमवार को इंदौर में थे। यहां नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा नेताओं की अंदरूनी गुटबाजी और कम मतदान के प्रतिशत पर स्थानीय पदाधिकारियों से फीडबेक लिया। इस दौरान वे आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के साथ भाजपा के महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के घर भी पंहुचे।
इंदौर नगरीय निकाय चुनाव में इस बार भजपा नेताओं की सक्रियता कम होने पर सवाल पहले दिन से उठ रहे हैं। उसके बाद चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं का चुनावी मिस मैनेजमेंट और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की कम सक्रियता की शिकायत भाजपा में संगठन स्तर तक पहुंची थी, जिसे लेकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री हितानंद शर्मा सोमवार को दिनभर शहर में रहकर पार्टी के अलग-अलग नेतृत्व से फीडबेक लेते रहे। सबसे पहले वे भाजपा कार्यालय पहुंचे और नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से चुनावी फीडबेक लिया। इस दौरान उन्होंने पार्टी कार्यालय पर अन्य पदाधिकारियों से भी फीडबेक लिया। प्रदेश महामंत्री हितानंद ने विधानसभा 3 और 5 मतदान की समीक्षा में उठे सवालों पर भी जानकारी ली। दरअसल, रविवार को भाजपा के पार्टी कार्यालय पर इंदौर की विधानसभा 3 और 5 की समीक्षा बैठक में कम मतदान और कांग्रेस की मजबूत स्थिति पर सवाल उठे थे, जिस पर हितानंद शर्मा ने जानकारी ली। वहीं नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अनमने मन से काम करने को लेकर उठ रहे सवाल की जानकारी ली। हितानंद शर्मा ने पार्टी नेताओं के अलावा खुद के निजी सम्पर्कों के माध्यम से भी चुनाव अभियान की खामियों की जानकारी ली गई।
परिणाम के बाद संगठन उठाएगा कदम
हितानंद के फीडबैक में पार्टी की अंदरूनी कलह की बात तो जाहिर नहीं हुई है, लेकिन भाजपा और सामाजिक संगठनों के बीच चुनावी तालमेल नहीं होने की जानकारी दी गई है, जिससे नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी को मतदान के दिन नुकसान उठाना पड़ा। वहीं पार्षद पद के उमीदवारों का सामाजिक लोगों से तालमेल नहीं होने की बात भी सामने आई है। हितानंद भोपाल जाने से पहले शहर में प्रभाव रखने वाले भाजपा नेताओं की इस बार चुनाव में भूमिका पर भी फीडबैक लेकर गए हैं। सम्भवत: इस फीडबैक पर चुनाव परिणाम के बाद समीक्षा कर भाजप का संगठन फैसला ले सकता है।
भार्गव के घर पहुंच कर लिया फीडबैक
प्रदेश महामंत्री हितानंद शर्मा,आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के साथ महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के घर भी चुनाव का फीडबैक लेने पहुंचे। इस दौरान हितानंद शर्मा ने भाजपा पदाधिकारियों और अन्य स्थानों से लिए गए फीडबैक के आधार पर भार्गव से भी चुनाव को लेकर सवाल पूछे। हितानंद का सबसे ज्यादा जोर कम मतदान को लेकर था, जिसमें ज्यादतर पार्टी नेताओं ने मतदाता सूची में गड़बड़ी और नाम काटने की शिकायत के साथ ठीकरा प्रशासन के सिर पर फोड़ने की कोशिश की। हालांकि भार्गव ने अपने फीडबैक में ऐसी कोई बात नहीं कही जिससे शहर के अन्य नेताओं से उनकी नाराजगी सामने आए।
मांगा वोटों का हिसाब निगम चुनाव में मतदाता सूची को लेकर भाजपा में हड़कंप मच गया है। भोपाल तक घमासान मचने के बाद विधानसभा स्तर पर मंडलवार प्रत्याशियों को बुलाकर हारजीत का आंकड़ा लिया जा रहा है। संगठन पिछले चुनाव के समीकरण पर भी चर्चा कर रहा है। पिछली बार क्या आंकड़ा था, इस पर चर्चा की गई व कम ज्यादा के कारण जानने की कोशिश की गई। कम मतदान और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी भाजपा के स्थानीय संगठन के लिए गले की हड्डी बन गया है। भाजपा की सरकार होने के बावजूद मतदाता सूची से नाम गायब हो गए, जिसके कारण भाजपा के गढ़ में भी नुकसान हो रहा है। वोट कम होंने के साथ-साथ अब मैनेजमेंट फेल होने की बात भी सामने आई है। रणदिवे ने सभी प्रत्याशियों से अलग अलग चर्चा की गई। विधानसभा 4 में अन्य विधानसभा की तरह शिकवा शिकायत तो सामने नहीं आई, लेकिन विधायक मालिनी गौड़ के विधानसभा व महापौर प्रत्याशी रहने पर वोटों के आंकड़े पर चर्चा की गई, लेकिन इस बार कम वोटों से जीतने के दावे पर पूछा गया कि अब कम कैसे हो गया, इस पर चर्चा की गई। पार्टी कार्यलय पर आयोजित इस बैठक में 4 मंडल अध्यक्षों के साथ 13 प्रत्याशी मौजूद थे।
संघ भी मान रहा है इस बार महापौर की डगर आसान नहीं इंदौर। इंदौर में नगरीय निकाय चुनाव में हुए कम मतदान को लेकर भाजपा के समीकरण में उलझन पैदा हो गई है। अब कम मतदान का मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। दूसरी ओर संघ से जुड़े हुए तमाम वरिष्ठ कार्यकर्ता भी मान रहे हैं कि इस बार इंदौर में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। विपरित परिणामों को लेकर सभी जगहों पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है। संघ मान रहा है कि महापौर उम्मीदवार की जमीन नहीं थी और इसके कारण पहचान का संकट कार्यकर्ताओं के बीच बना रहा और इसी कारण से कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं दिखाई दिया। कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं को घरों से निकालने का काम न करते हुए पूरी तरह चुप्पी साध ली जो भाजपा के लिए सबसे ज्यादा नुकसान दायक होगी।