इंदौर। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 लंबे समय से भाजपा के प्रभाव का क्षेत्र माना जाता है। यहां पर 13 वार्ड आते हैं। पिछली बार भाजपा की महापौर लड़ी क्षेत्र की विधायक मालिनी गौड़ के प्रभाव के कारणयहां पर 11 सीटों पर भाजपा की बढ़त दिखाई दी थी। इस बार बदले हुए समीकरणों के चलते दो मुस्लिम वार्ड के अलावा दो और वार्ड कांग्रेस की झोली में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस क्षेत्र में उम्मीदवारों को तय करने में क्षेत्रीय विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ की पसंद को पहली प्राथमिकता दी गई। इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने के सांसद शंकर लालवानी के सभी प्रयास शून्य रहे। वे यहां केवल एक उम्मीदवार ही ला पाए। दूसरी ओर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे सहित इस क्षेत्र के ताकतवर नेता रहे पूर्व नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा भी यहां खाली हाथ ही रहे। दूसरी ओर इस बार कांग्रेस को दो वार्डों में बढ़त मिलने की संभावना इसलिए बन गई है कि यहां एक वार्ड में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक योगेश गेंदर को उम्मीदवार बनाने में मंत्री तुलसी सिलावट सफल हो गए हैं। दूसरी ओर कंचन गिदवानी के क्षेत्र में भी भाजपाइयों में खुली नाराजगी देखी जा रही है।
वार्ड 65, संत कंवरराम महिला: 9033, पुरुष 9069 कुल मतदाता 18109
ये वार्ड भाजपा के प्रभाव का ही माना जाता है। इस वार्ड से पिछली बार भी भाजपा की सरिता मंगवानी 8 हजार 900 वोटों से विजयी हुई थी। इस बार भाजपा ने यहां से कमलेश कालरा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से सुनिल यादव मैदान में हैं। यह वार्ड पूरी तरह सिंधी बाहुल्य ही कहलाता है। इस वार्ड से कांग्रेस के गोपाल कोडवानी की उम्मीदवारी तय थी। परंतु नामांकन में नाम की चूक से कोडवानी का नामांकन निरस्त हो गया और गेंद भाजपा के पाले में वापस आ गई। इस बार भी इस वार्ड में भाजपा को ही बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। यह वार्ड सिंधी बहूल क्षेत्र होने के कारण माना जाता है कि आबादी भाजपा के साथ ही शुरू से जुड़ी रही है। दूसरी और अब इस क्षेत्र में कांग्रेस का कोई सिंधी नेता इतना ताकतवर नहीं बचा है जिसके प्रभाव से कांग्रेस को लाभ मिल सके। हांलाकि इस वार्ड में अभी भी विकास कार्यो की रफ्तार कम है अन्य वार्डों के मुकाबले यहां छोटी-छोटी समस्याएं बनी हुई है।
वार्ड 66 शहीद हेमू कालानी महिला: 8366, पुरुष 8349 कुल मतदाता 16706
यह वार्ड सिंधी बाहुल्य क्षेत्र कहलाता है। इस वार्ड से पिछली बार कांग्रेस द्वारा नाम वापसी हो जाने के कारण भाजपा की उम्मीदवार कंचनगिदवानी निर्विरोध निर्वाचित हो गई थी। इस बार इंदौर के सांसद और इस क्षेत्र में अपना प्रभाव कायम रखने वाले शंकर लालवानी इस बार भी कंचन गिदवानी को उम्मीदवार बनाने में सफल हो गए। कांग्रेस ने कंचनगिदवानी के सामने गुरजोत गिल को उम्मीदवार बनाया है। इस वार्ड में कंचन गिदवानी के खिलाफ भाजपा के बीस से अधिक लोगों ने विद्रोह करते हुए नामांकन भरा था। परंतु बाद में समझाइश के बाद नाम वापसी की प्रक्रिया में शामिल हो गए थे। इधर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि नाम वापसी के बाद भी भाजपा के कई दिग्गज अभी भी मन साफ नहीं कर पाए हैं। इसलिए यहां बिना टीम के चुनाव लड़ा जा रहा है। इस वार्ड से यदि भाजपा की नाराजगी का लाभ कांग्रेस को मिला तो ही यह सीट कांग्रेस के पाले में आ सकती है। इस वार्ड में सिंधी और सिक्ख समाज का बड़ा प्रभाव है। विधानसभा में भी यहां भाजपा ने अच्छी बढ़त हासिल की थी।
वार्ड 67 महाराजा होल्कर महिला 8373, पुरुष 8486 कुल मतदाता 16859
यह वार्ड गरीब बस्तियों और हरिजन क्षेत्र के प्रभाव में माना जाता है। इस वार्ड से पिछली बार भाजपा के राकेश शुक्ला मात्र 693 वोट से विजयी हुई थे। उन्होंने इस क्षेत्र के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे उजागरसिंह चड्ढा के पुत्र सुरजीतसिंह चड्डा को हराया था। इस बार यहां भाजपा से प्रिया डांगी और कांग्रेस से अर्चना राठौर आमने-सामने हैं। इस वार्ड में पिछली बार भाजपा की लहर के बाद भी जीत का अंतर बेहद कम था। यदि इस बार मतदान का प्रतिशत नीचे आया तो कुछ हद तक कांग्रेस को लाभ यहां मिल सकता है।
वार्ड 68 बंबई बाजार महिला 7506, पुरुष 7287 कुल मतदाता 14703
यह वार्ड कांग्रेस के प्रभाव का वार्ड माना जाता है। यहां से पिछली बार अयाज बेग की पत्नी पार्षद रही थी। परंतु इस वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवारों के कारण मुकाबला देखा जा रहा है। भाजपा में इस वार्ड से सूरज सिरवया को मैदान में उतारा है। पिछली बार भी कांग्रेस यहां से 2856 वोटों से विजयी हुई थी। इस बार भी समीकरण कांग्रेस के पक्ष में है लेकिन निर्दलीय अनवर देहलवी, अयाज बेग को कड़ी टक्कर दे रहे हंै। छीपा बिरादरी के वोटर यहां बड़ी तादाद में हैं। ये अभी तक कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं। देहलवी ने इन्हीं वोटों में सेंध लगाई है। एक ओर उम्मीदवार बंटी टांपिया यहां है, जो ओवेसी की पार्टी से यहां खड़े हुए हैं। पिछले चुनाव में भी टांपिया दावेदारी जता रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिला। इस बार उन्होंने मजलिस का दामन थाम लिया। इस वार्ड से कांग्रेस को इस बार महापौर के मतदान में बढ़त की उम्मीद है।
वार्ड 69 जवाहर मार्ग महिला 10212, पुरुष 10087 कुल मतदाता 2029९
यह वार्ड क्षेत्रीय विधायक मालिनी गौड़ का गृह वार्ड माना जाता है। इस वार्ड में बड़ी आबादी सामान्य जाति की है और पूरा वार्ड वैश्य समाज के लोगों से भरा हुआ है। यहां पर वैश्य समाज का ही वोट अभी तक भाजपा के खाते में जाता रहा है। पिछली बार भी भाजपा के शंकर यादव ने कांग्रेस के योगेश गेंदर को 1142 वोटों से हराया था। इस बार कांग्रेस ने यहां पर अपने ताकतवर कार्यकर्ता मधुसूदन भलिका की पत्नी शिखा भलिका को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा की ओर से यहां पर नीता राठौर को उम्मीदवार बनाया है। नीता राठौर भाजपा के मंडल अध्यक्ष रामबाबू राठौर की पत्नी है। यह वार्ड सामान्य होने के कारण इस बार मतों के बीच अच्छा खासा विभाजन देखने को मिलेगा। भलिका महेश नगर सहित कुछ और क्षेत्रों में भी लंबे समय से काम कर रहे हैं और इसका लाभ उन्हेें मिल सकता है। माहेश्वरी समाज के कई परिवार भी भलिका के पक्ष में यहां प्रचार कर रहे हैं।