इंदौर। मानसून की पहली बारिश ने एक बार फिर शहर के कई इलाकों को जलमग्न कर दिया है। साढ़े तीन घण्टे में 2 इंच बारिश ने इंदौर के विकास मॉडल की पोल खोल कर रख दी है। मानसून की शुरुआत में यह स्थिति सामने आ रही है, तो सोचिए आने वाले दिनों में एक बार में चार से छह इंच बारिश हो जाए तो शहर के क्या हालात होंगे। गुरुवार हुई बारिश के बाद शुक्रवार अलसुबह से ही शहर की कई कालोनियों में लोग अपने घरों में घुसे बारिश के पानी को बाहर निकलते दिखे।
शहर में आधा इंच से भी कम बारिश में ही सड़कें, बस्तियां और कॉलोनी जलमग्न हो जाती हैं, जबकि यह हालात न बनें इसके लिए नगर निगम हर साल 21.70 करोड़ रुपए खर्च करता है। जनता की मेहनत की कमाई खर्च होने के बाद भी अमूमन हर साल यही स्थिति सामने आती है। इंदौर में गुरुवार शाम हुई 2 इंच तेज बारिश के बाद पानी ने शहर को फिर तरबतर कर दिया। वाटर प्लस का तगमा लेने वाले इंदौर में कुछ ही घंटों की बारिश ने फिर सड़कों को तालाब में बदल दिया। शहर की शायद ही कोई कॉलोनी होगी जहाँ जल जमाव की शिकायत सामने नहीं आई हो। जल जमाव की शिकायत से अलसुबह से ही निगम अधिकारियों के फोन घनघनाने लग गए थे। निगमायुक्त ने अधिकारियों को नींद से जगाकर अमले के साथ फील्ड में जाकर सड़कों से जलनिकासी के उपाय करने के निर्देश दिए। पहले भी कई बार इंदौर में हुई तेज बारिश के बाद कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति बन गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी निगम ने किसी प्रकार की कोई तैयारी नहीं की, यही कारण है कि शहर के मध्य क्षेत्र चंद्रभागा, चम्पाबाग, कलालकुई, भाट मोहल्ला, जूनी इंदौर, गंगवाल, मल्हारगंज, सरवटे, जवाहर मार्ग तोड़ा, हरसिद्धि, मच्छी बाजार से लेकर छत्रीबाग में सड़कों पर नदियां बह रही थी, वहीं ड्रेनेज और स्टार्म वॉटर लाइन की सफाई नहीं होने से सुबह तक सड़को पर पनी भरा रहा। इस सीजन की पहली बारिश ने ही इदौर के विकास मॉडल का आइना दिख दिया है। ऐसी ही बारिश एक बार मे 5 इंच हो जाए तो इसके लिए निगम ने क्या तैयारी की है, इसका जवाब देने के लिए निगम के जिम्मेदार अफसर तैयार नहीं है।
इतनी इंजीनियरिंग के बावजूद भी व्यवस्था फैल शहर में जल-जमाव न हो, इसके लिए जमीनी स्तर पर पैसा खर्च करने की व्यवस्था की गई है। शहर में पानी भराने वाले स्थानों पर क्या व्यवस्था करना है, यह जोनल स्तर पर तय होता है। जोनल अधिकारी ही उसकी प्लानिंग कर मुख्यालय को भेजते हैं। ज्यादातर सड़कों के किनारे स्टॉर्म वाटर लाइन डालने, पुरानी लाइन साफ करवाने, नालियां बनवाने, सीवरेज लाइनों की सफाई और डिस्पोजल की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव निगम मुख्यालय से स्वीकृत कराकर अफसर काम करवाते हैं। ये काम अफसरों को इंजीनियरिंग के हिसाब से करने होते हैं, लेकिन निगम अधिकारी पार्षदों के हिसाब से नाली बनाने और सड़कों के निर्माण की व्यवस्था करते हैं, जिससे हमेशा ही यह व्यवस्था फेल हो जाती है। निगम रिकॉर्ड के मुताबिक सड़कों और बस्तियों के पानी की निकासी के लिए बजट में आवंटित करोड़ो रूपये की राशि निगम के अफसर खर्च भी करते हैं, पर जैसे ही पानी गिरता है, शहर पानी-पानी हो जाता है।
बारिश के पहले की तैयारी, 2 इंच बारिश में बह गई मानसून के पहले की तैयारी को लेकर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने अफसरों को निर्देश दिए थे, कि जल जमाव वाले क्षेत्रों का सर्वे कर पूरी रिपोर्ट तैयार करें और उनके कारण भी स्पष्ट किए जाएं। साथ ही इन क्षेत्रों में नई स्टार्म वाटर लाइन बिछाने के प्रस्ताव तैयार कर काम शुरू कराया जाए। स्टार्म वाटर लाइनों को चैनलाइज करने के साथ-साथ इस बात का भी खास ध्यान रखा जाए कि वहां दोबारा जल जमाव की स्थिति न बने। जिन क्षेत्रों में पहले से स्टार्म वाटर लाइनें बिछी हैं, वहां साफ-सफाई से लेकर उन्हें चैक करने के लिए निगम की टीमें भी भेजने की बात कही थी, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश मुख्य मार्गों पर बिछाई गई स्टार्म वाटर लाइनों की सफाई का अभियान ठीक ढंग से चलाया नहीं गया। नदी नालों से गाद साफ करने की शुरुआत भी इस बार नहीं हो पाई। बीआरटीएस पर पानी की निकासी की योजना हर साल सामने आने के बावजूद इस पर काम नहीं किया गया।
3 से 4 दिन तक हल्की से मध्यम बारिश मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर में गुरुवार दोपहर के पहले तक 65.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है। मौसम केंद्र के मुताबिक इंदौर में अगले 3 से 4 दिन तक हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। वर्तमान में एक चक्रवाती घेरा राजस्थान और एक अपतटीय द्रोणिका बनी हुई है। जिसके असर से अरब सागर से हल्की नमी आ रही है। गुरुवार को शहर में अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 33.7 डिग्री दर्ज किया गया। वही गुरुवार सुबह न्यूनतम तापमान 23.8 डिग्री दर्ज किया गया जो कि सामान्य था।