सुलेमानी चाय-मुस्लिम इलाकों में ना उम्मीद हो रहे भाजापा के उम्मीदवार…किस करवट बैठेगा निर्दलियों का ऊँट…व्यापारिक रिश्तों से मिला खजराने से कांग्रेस का एक टिकट…
मुस्लिम इलाकों में ना उम्मीद हो रहे भाजापा के उम्मीदवार…
मुस्लिम इलाकों में भाजपा के उम्मीदवार इस बार ना उम्मीद के जंजाल में फंसते नजर आ रहे है। सालों से इन इलाकों में जो मुस्लिम पार्षद बनने का सपना संजोये थे उनकी हाय शायद इन उम्मीदवारों को लग रही है, टिकट की ख्वाहिश में ना जाने कितनी जगह रुसवा हो चुके भाजपा के मुस्लिम नेताओं की बददुआएं और दीनदयाल कार्यालय की गलती का खमियाजा अब ये बेचारे भुगत रहे है। पहले तो बेचारों को गाली कूचे समझ नहीं आ रहे, दूसरा इस पर अगर कोई भाजापा कार्यकर्ता इन इलाकों में मिल जाये तो वो भी सीधे मुंह बात तक नहीं कर रहा, बेचारों को टिकट तो मिल गया लेकिन अब कार्यकर्ता नहीं मिल रहे, टिकट के लिए जितनी मारा मारी थी, उससे ज्यादा परेशान तो ये बेचारे टिकट ले कर हो गए है और शायद यही सोच रहे है कभी कभी बिना टिकट भी सवारी ज्यादा फायदेमंद रहती है।
किस करवट बैठेगा निर्दलियों का ऊँट…
खजराना वार्ड 38 से जहां बीजेपी के उम्मीदवार को वार्ड की हदें देखने मे महीना भर लग सकता है, कमोबेश यही हालत शहर के दूसरे मुस्लिम इलाकों में सभी बीजेपी प्रत्याशियों की है। वहीं खजराने में कांग्रेस भी अच्छी कीमत में कमजोर घोड़े पर दांव लगा चुकी है। यहां से कांग्रेस बीजेपी निर्दलियों को टक्कर तो दे सकते है, पर जितना मुश्किल दिख रहा है, जिस तरह 38 में निर्दलीय उम्मीदवार उस्मान की उम्मीद ज्यादा है। वही 39 से भी निर्दलीय वाहिद अली इस बार इकबाल खान को आसमान दिखा सकते है, लेकिन जीतने के बाद किसका ऊंट किस करवट बैठता है इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है।
व्यापारिक रिश्तों से मिला खजराने से कांग्रेस का एक टिकट… अब टिकट के लिए राजनीतिक पकड़ जरूरी नहीं, अगर आपके बड़े नेताओं से व्यापारिक रिश्ते है, तो कभी कभी वो भी काम कर सकते है। खजराने से कांग्रेस का एक टिकट प्रदेश के एक पूव मंत्री के साथ क़रीब सौ एकड़ की टाउनशिप काटने को लेकर हुवा है।
अब जहा दलबदलू, निष्क्रियता और सिर्फ मंहगी कारो से शाहरुख खान की तरह हाथ हिलाने वाले नेता को भी व्यापारिक रिश्तों के चलते टिकट मिलने लगे है, वहीं अगर ये खजराने के सुपरस्टार गलती से जीत भी जाते है, तो उन्हें कार से उतारना कोई आसान काम नहीं होगा, सिर्फ बालकनी और कार से ही उनका हाथ ही हिलता हुवा नजर आयेगा, बिना जमीन पर उतर कर जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर जमीनी नेता को टिकिट देना बताता है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए कारोबार को ज्यादा तवज्जो चुनाव में भी दी जाती है। टिकट लाने वाले ये व्यापारी नेता कौन है इसका पता आप लगाइये, हमने तो तम्बू में बंबू ठोक दिया है।