इंदौर। भाजपा की राजनीति में इतनी उठापटक उम्मीदवारों को लेकर पहली बार संगठन के नेता और कार्यकर्ता देख रहे हैं। इंदौर महापौर को लेकर भाजपा के बड़े नेताओं में ही इतनी ज्यादा खींचतान मच गई है कि उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनना मुश्किल है। निशांत खरे के नाम पर इंदौर संगठन के सभी नेताओं ने पूरी तरह अपना विरोध व्यक्त कर दिया है। हालांकि दौड़ से अभी यह नाम हटा नहीं है।
दूसरी ओर संगठन के नेता अभी भी ब्राह्मण के विरुद्ध ब्राह्मण उम्मीदवार को लेकर अभियान चला रहे हैं। इसमें मनोज द्विवेदी का नाम भी एक बार फिर तीन नामों में पहुंचा है। दूसरी ओर पुष्यमित्र भार्गव का नाम भी अभी विचार के लिए रखे हैं। महापौर उम्मीदवार का फैसला 17 तारीख को ही सुबह होगा। इधर पहली बार इंदौर के महापौर उम्मीदवार को लेकर इंदौर के किसी भी नेता से सलाह या विचार नहीं किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के महापौर उम्मीदवारी को लेकर चल रही खींचतान के बीच पार्षद उम्मीदवारों के नाम भी उलझ गए हैं। शहर के बड़े नेता निशांत खरे की उम्मीदवारी को लेकर भारी नाराज हैं और वे उम्मीदवारी होने का इंतजार कर रहे हैं। दिग्गज नेताओं ने कहा कि यह शहर का दुर्भाग्य होगा कि सागर में रहने वाला अब इंदौर का महापौर होगा। इंदौर में भाजपा को उम्मीदवार के लिए कार्यकर्ता नहीं मिलना यह शहर के लिए भी शर्मनाक होगा। दूसरी ओर माना जा रहा है भाजपा अब इंदौर में चल रही खींचतान और नाराजी के बीच निशांत खरे का नाम पीछे हटाकर स्थानीय स्तर पर ही किसी को मैदान में उतारने पर भी विचार कर सकता है। हालांकि अभी भी नरेन्द्र सिंह तोमर सुदर्शन गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर पूरी तरह आशान्वित हंै। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लम्बे समय काम कर चुके अभिभाषक और पूर्व उपमहाधिवक्ता मनोज द्विवेदी का नाम भी देर रात संगठन स्तर पर रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि इंदौर के उम्मीदवार को लेकर मुख्यमंत्री की सहमति के बिना कुछ भी संभव नहीं होगा। मुख्यमंत्री इंदौर में उम्मीदवार के चयन के लिए भाजपा के नेताओं की बजाय प्रशासनिक रिपोर्ट भी देख रहे हैं।
नड्डा व कमलनाथ के फरमान से बड़ी दोनो दलों की मुसीबत…. इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के दो अलग अलग फरमानों से दोनो दलों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है जेपी नड्डा ने ये कहा कि विधायक व सांसद मेयर का चुनाव नही लड़ सकते वही कमलनाथ का ये आदेश की जो जहां रहेगा वही से टिकिट मिलेगा जिसके कारण जहां भाजपा में विधायक संसद व विधायक मेयर की दौड़ से बाहर हो गए वही कांग्रेस में अन्य वार्ड में चुनाव लड़ने के इच्छुक व तैयारी कर चुके नेता सकते में आ गए । अब दोनों ही दलों के नेता दौड़ से बाहर हो रहे है तो दोनों जगह बवाल हो रहा है।