मुंबई (ब्यूरो)। रिजर्व बैंक के तमाम प्रयास के बाद भी रुपए की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। अभी तक डॉलर के मुकाबले दुबले होते रुपए को बचाने में 12 करोड़ डॉलर का हवन रिजर्व बैंक कर चुका है। दूसरी ओर स्टेन चार्टर्ड ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 45 अरब डॉलर तक और घट जाएगा। यानी अब भारत के पास 8 महीने का ही आयात करने के लिए भंडार रह जाएगा। सितंबर में दूसरी ओर उठाए गए कर्ज के लिए भी 387 करोड़ डॉलर का भुगतान सरकार को करना है। इसका असर भी विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने जा रहा है। अब रिजर्व बैंक के लिए महंगाई को छोड़कर रुपए को बचाने के लिए बड़ी ताकत लगानी होगी। लगातार शेयर बाजार के गिरने से विदेशी निवेशक 26 अरब डॉलर निकालकर ले गए। इसके कारण आने वाला समय देश की अर्थव्यवस्था के लिए कठिन परिस्थिति के संकेत दे रहा है।
डॉलर के मजबूत होने और रूस-यूक्रेन युद्ध की मार के चलते अब रुपया लगातार दुबला हो रहा है, जिसके बारे में कारोबारियों का भी कहना है कि यह 79 रुपए प्रति डॉलर तक जाएगा। इसका असर देश के आयात पर पड़ेगा। पूरी तरह स्वदेशी हो जाने के बाद भी अब देश नई महंगाई की दिशा में बढ़ने लगा है। आयात हो रहे कच्चे तेल के कारण पेट्रोल-डीजल से लेकर फ्रिज, टीवी, खिलौने सहित 100 से अधिक उत्पाद रुपए की गिरावट के कारण नई महंगाई में चले जाएंगे। जहां सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टेक्स कम कर राहत दी है वहीं दूसरी ओर तेल कंपनियों का कहना है कि इससे केवल सरकार ने आम लोगों को राहत दी है। तेल कंपनियों का घाटा यथावत है। उन्हें डीजल पर 24 रुपए और पेट्रोल पर 12 रुपए घाटा हो रहा है, क्योंकि कच्चा तेल 105 डॉलर के आसपास ही बना हुआ है। देश में आयात और निर्यात के घाटे के बीच भारी अंतर हो चुका है। वहीं सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर था जो 13 मई 2022 को घटकर 593 अरब डॉलर रह गया है। यानी अभी 8 माह का और आयात किया जा सकेगा। दूसरी ओर विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर के नहीं आने का आठवें सप्ताह भी क्रम बना हुआ है। नेपाल ने सात महीने का विदेशी मुद्रा भंडार बचने के बाद कई सामानों के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि श्रीलंका ने प्रतिबंध नहीं लगाए थे।