एकदम लल्लन टॉप गणित… इन दिनों राजनीति में खेल की परंपरा भी शुरू हो गई है। खेल भी ऐसे-ऐसे कि राजनीतिक दांव-पेंच के बीच गुरु-चेले भी आमने-सामने हो रहे हैं। कई जगहों पर गुुरु भाई मठ पर कब्जे की तैयारी कर रहे हैं। क्षेत्र क्रमांक दो और क्षेत्र क्रमांक तीन की सांझी विरासत में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दिनों काछी मोहल्ले के एक पेलवान भगवा फैशियल करवाकर अब भाजपाई रंग में रंग गए हैं। उनके भाजपा में आने की कथा भी बड़ी विचित्र है। उनके प्रवेश को लेकर रणनीति क्षेत्र क्रमांक एक के भिया समर्थकों ने बनाई थी। हालांकि क्षेत्र क्रमांक दो के असरदार और तीन के सरदार को वे कई बार कांग्रेस में रहते हुए भारतीय भाषा के अलंकारों से सुशोभित कर चुके थे। यह बात असरदार ने भिया को भी कही है। भिया ने कहा कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं है। हालांकि इस कार्यक्रम में क्षेत्र क्रमांक दो की पूरी टीम अलग-थलग रही। कार्यक्रम में कहीं नहीं दिखी। स्वाभाविक है दो के असरदार और तीन के सरदार भी क्षेत्र में लंबे समय से परचम लहरा रहे थे। उनकी नाराजगी दरकिनार होने से यह बात दादा को भी नागवार गुजरी है, परंतु इधर सूत्र बता रहे हैं कि काछी मोहल्ले के ये पेलवान जिन्हें दो नंबर का लाल कपड़ा कहकर बुलाया जाता है, ये पेलवान उनकी खींची हुई लक्ष्मण रेखा पार नहीं करते हैं और लाल कपड़े को यानि मोहन सेंगर को अपने बड़े भाई की तरह भी मानते हैं। सूत्रों का दावा है कि भाजपा में उन्हें पहुंचाने का गणित और रणनीति उनकी ही बनाई हुई थी, यानी परदे के पीछे पूरे खेल में मोहन सेंगर की भूमिका थी? ये सारी बातें भाजपा में ही इन दिनों चल रही हैं और जो चल रहा है, उसे बताए जाने में कोई हर्ज नहीं है। अब भाजपा और पेलवान की राजनीति वे ही जानें। ना भौजी ना… अब हम आ गए है न…
निकाय चुनाव का ऐलान होने के बाद कई क्षेत्रों में ऐसे परिवारों को बड़ी राहत मिली है, जो रात-रात में पानी के अभाव में अपने परिजनों के साथ मोहल्लों में बाल्टी लेकर घूमा करते हैं। चुनावी ऐलान से इन सभी में हर्ष व्याप्त है। उनका मानना है कि अब भीषण गरमी में कम से कम पानी तो चुनाव के आने तक घर पर पहुंचता रहेगा। देर रात इन दिनों घरों के बाहर एक-दो नहीं, चार-पांच आवाजें आ रही हैं- भाभीजी मैं आ गया, कितना पानी चाहिए, ले लीजिए। फिर भाभियां कहती हैं कि दो से तीन महीने से पानी का बड़ा संकट था। तब पानी वाले भिया कहते हैं कि वो मैं बाहर चला गया था, अब आप चिंता न करें। साथ ही वे यह भी कह देते हैं कि बस भाभीजी, आप अपने देवर पर स्नेह बना के रखना। हालत यह है कि बाल्टी लेकर घूमने वाली महिलाओं के घरों में गिलास-कटोरी तक पानी से भर रहे हैं। बिना मूंछों के भी होती है रंगबाजी…
रंगबाजी करने के लिए नत्थूलाल जैसी मूंछे नहीं चाहिए, कभी-कभी बिना मूंछों के भी रंगबाजी का मजा अलग ही होता है। बड़े-बड़े दिग्गज ऐसे लोगों से सामने मुकाबला करने की बजाय आड़ से अपना कामकाज चलाते रहते है। अब मामला है 2 नंबर क्षेत्र का। यहां की रंगबाजी ऐसी है कि सत्ता और संगठन दोनों ही इस क्षेत्र को अलग लोकसभा ही मानते है और यह भी मानते है कि यह हमारे क्षेत्र में नहीं आता है। पिछले दिनों कचरा शुल्क को लेकर जब पूरे शहर में अभियान चला तो भी क्षेत्र क्रमांक 2 में अधिकारियों ने अपना कचरा करवाने की बजाय गाड़ी में गाना बजवाना ही ठीक समझा। तो दूसरी ओर यही स्थिति संगठन की है कि अभी विधानसभा स्तर पर संगठन की बैठकें तेजी से चल रही हैं। क्षेत्र क्रमांक 3 की बैठक कल निपट गई। 2 नंबर की बैठक को लेकर तारीख ही तय नहीं हो रही है। गौरव बाबू तो तारीख लेने जाने से रहे और उनके पास ऐसा कोई है नहीं जो दादा के गले में घंटी बांध दे। इसी चक्कर में पहले भी संगठन के गठन में नाम लटके रहे तो अब बैठकों को लेकर नेता 2 नंबर में लटके रहे है। हालांकि लोगों का कहना है कि जो मजा 2 नंबर के काम में वह 1 नंबर के काम में नहीं है। -9826667063