कांग्रेस का दावा पिछड़ों का आरक्षण बढ़ा नहीं घट गया
कांग्रेस में अब पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में लाने की रणनीति पर कामकाज शुरू
इंदौर। मध्यप्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत जाति पिछड़े वर्ग से आती है, जिसमें मुख्य रूप से यादव,खाती, जायसवाल, चौकसे, कोहली, जाटव, चौरसिया, तम्बोली, केलोता, कहार, सैनी, फूलमाली, वर्मा, सुतार, कुशवाह, धोबी, धनगर, लोधी सहित अन्य मिश्रित जातियों को कमलनाथ की पूर्ववर्ती सरकार ने दृष्टिगत रखते हुए 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े वर्ग को दिए जाने की घोषणा करते हुए पंचायत एवं नगर निकाय का परिसमन किया गया था, जिसमें महापौर का चुनाव पार्षद दल द्वारा चुना जाना भी था। परंतु शिवराज सरकार के पुन: सत्ता में वापस आते ही पूर्ववर्ती सरकार के निर्णयों को बदलते हुए वार्ड एवं पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया था। इसके चलते पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण भी अधर में लटक गया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पंचायत एवं नगर निकाय के चुनाव की राह स्पष्ट होते ही दोनों ही पार्टियों में हलचल तेज हो गई है।
वहीं मिशन 2023 विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए कांग्रेस मुख्यालय पर कमलनाथ की अगुवाई में संगठन को मजबूत कर लगातार सोशल इंजीनियरिंग पर काम चल रहा था, जिसके चलते शिथिल पड़े कांग्रेस के सामाजिक प्रकोष्ठ को पुनर्जीवित कर विभिन्न समाजों से कांग्रेसी विचारधारा वाले नेताओं की नियुक्ति की जा रही थी। अब जबकि प्रदेश में किसी भी वक्त छोटे चुनाव की आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में कमलनाथ द्वारा संगठन स्तर पर की जा रही सोशल इंजीनियरिंग का पंचायत एवं नगर निकायों के चुनाव में लिटमस टेस्ट हो जाएगा। शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने भी वार्डवार संभावित प्रत्याशियों से मंत्रणा करना आरंभ कर दिया है। साथ ही पार्टी लाइन के तहत पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार 85 वार्डो में से लगभग बीस वार्डों में पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए वरिष्ठ नेताओं से सामंजस्य स्थापित कर चर्चा आरंभ कर दी है। कांग्रेस से भी पिछड़ा वर्ग से दावेदारी कर रहे विधानसभा एक से योगेंद्र मौर्य, मुकेश यादव, बच्चा यादव, कोमल सोनी, लखन बरेटा, दीपू यादव, मुकेश यादव, प्रवेश पहलवान, शिवम यादव, विधानसभा दो से राधू जायसवाल, कोमल यादव, राजा पटेल, अशोक यादव, जय गोपाला, राजेश यादव, अमित पटेल, धर्मेंद्र मौर्य, अजय चौकसे, चिंटू चौकसे, बब्बू यादव, मुकेश यादव, शिव गुर्जर, राजा चौकसे, विधानसभा 3 शहर कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया, नीलेश सेन, राम यादव, सोनू यादव, दिनेश कुशवाह, पारस बुढ़ाना, शांतिलाल सैनी, प्रदीप जायसवाल, विधानसभा चार नितेश राजोरिया, अर्चना राठौर, अशोक वर्मा, धर्मेंद्र गेंदर, आकाश जायसवाल, प्रकाश पटेल, रोहित यादव, भूपेंद्र केतके, विधानसभा पांच से आशीष चौधरी, संतोष यादव, सुदामा चौधरी, विनय छोटे यादव, संतोष वर्मा,सचिन यादव, सुभाष यादव आदि ने अपनी सक्रियता वार्डों में बढ़ा दी है।
कमलनाथ के दांव में उलझे शिवराज..
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कमलनाथ ने 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े वर्ग को देने की जो घोषणा की थी। उसमें पिछले दरवाजे से आने वाले शिवराज सिंह चौहान फंस गए और 27 प्रतिशत आरक्षण उनके गले की हड्डी बन गई। अब जबकि कमलनाथ मुख्यमंत्री होते तो वो सर्वोच्च न्यायालय की 50 प्रतिशत आरक्षण की बॉर्डर लाइन पर कैसे खेलते यह देखना मजेदार होता। लेकिन एक कुशल राजनीतिज्ञ खिलाड़ी की तरह शिवराज को फंसता देख तुरन्त ही उन्होंने पार्टी लाइन के तहत पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत एवं निकाय चुनाव में टिकट देने की घोषणा कर दी। वहीं शिवराज सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण न देने की नसीहत के चलते उनकी स्थिति सांप छछुंदर जैसी हो गई, जिसके चलते भाजपा ने भी आनन-फानन में पिछड़े वर्ग को 30 प्रतिशत स्थानीय चुनाव में टिकट देने की घोषणा करनी पड़ी।
आरक्षण से किसे होगा लाभ?
सर्वोच्च न्यायालय की शरण मं जाकर शिवराज सरकार 50 प्रतिशत बॉर्डर लाइन के अंदर सिमट कर रह गए और 14 प्रतिशत आरक्षण ही पिछड़ा वर्ग को मिल पाया। अब जबकि पिछड़ा वर्ग का उत्थान ओर अभ्युदय प्रदेश की राजनीति में होना तय है। अब देखना दिलचस्प होगा दोनों ही राजनैतिक दल किस तरह पिछड़ा वर्ग को पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव में अपने साथ ला पाते हैं। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अन्य पार्टियों की खासतौर पर बसपा और आम आदमी पार्टी की चुप्पी भी पिछड़े वर्ग के मन में संशय प्रदान करती है। वहीं कमलनाथ जो चाहते थे। अंत में शिवराज सरकार को वही करना पड़ा। पिछड़ा वर्ग किस दल के साथ जाता है यह तो आने वाले निकाय चुनाव ही बताएंगे।