इंदौर। कांग्रेस ने अपनी चुनावी तैयारियों को जाजम पर लाना शुरू कर दिया है। पहले चरण में जून में ही 50 सीटों पर उम्मीदवारों को हरी झंडी मौखिक रूप से दी जाएगी। इनमें इंदौर की भी तीन सीटें शामिल हैं जिन पर एक और दो लोगों को मैदान में तैयारी करने के लिए कहा जा रहा है। अंतिम निर्णय मैदानी तैयारी के बाद होने वाले सर्वे पर भी होगा, परंतु लगभग उम्मीदवार तय माने जाएंगे। इसके अलावा प्रकोष्ठों को बड़े पैमाने पर मजबूत कर हर विधानसभा में समितियों का गठन भी किया जा रहा है जो अपने स्तर पर भी कांग्रेस को मजबूत कर सके। इसी के साथ इस बार चुनाव केन्द्र सरकार की महंगाई और मध्यप्रदेश में बढ़ रहे कर्ज के कारण होने वाले नुकसान से आगाह किए जाने को लेकर लड़ा जाएगा।
कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि कई वरिष्ठ नेताओं को इस बार समझाइश भी दी जा रही है कि वे खुद चुनावी मैदान से अपने आप को अलग करे। क्योंकि वे एक चुनाव हार और एक चुनाव जीत रहे हैं। इससे भी कई सीटों को नुकसान होता है। ऐसे में उनसे संगठन में काम करने के लिए कहा जा रहा है। दूसरी ओर इंदौर में चार सीटों पर उम्मीदवारों को मौखिक रूप से हरी झंडी देकर उन्हें अभी से मैदान तैयार करने के लिए कहा गया है।
इसके अलावा सांवेर और क्षेत्र क्रमांक 2 के लिए भी अभी से ही तैयारी शुरू की जा रही है। महू में अंतरसिंह दरबार के लगातार हारने के बाद यहां इस बार नया चेहरा मैदान में उतारा जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस मालवा और निमाड़ की कई सीटों पर वापसी को लेकर अपने समीकरण तैयार करने लगी है। खासकर झाबुआ सहित खरगोन, खंडवा के छत्रपों को ही उम्मीदवारों के लिए तलाश करने का काम दिया गया। कई जगहों पर इस बार कांग्रेस के वापसी के आसार दिख रहे है।
90 सीटों पर कांग्रेस अभी भी मजबूत है। उल्लेखनीय है 48 सीटों पर जहां लगातार कांग्रेस जीत रही है उन पर भी संघ और भाजपा ने चुनाव जीतने को लेकर अपनी तैयारी शुरू की है। दूसरी ओर कांग्रेस ने बूथ स्तर पर इस बार पकड़ बनाने के लिए स्वप्निल कोठारी को कमान दी है और उसके परिणाम भी दिखाई देने लगे है। तो दूसरी ओर लंबे समय बाद प्रदेशभर के उद्योगपति और व्यापारियों को जोड़ने के लिए अजय चौरडिया को प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाकर विधानसभा स्तर पर भी कारोबारियों को जोड़ा जा रहा है।
इस बार लंबे समय बाद बड़ी रणनीति के तहत कांग्रेस से भाजपा की ओर गए उद्योगपतियों, कारोबारियों और व्यापारियों को चाय पर चर्चा जैसे कार्यक्रम कर सीधे जोड़ा जा रहा है। और भी प्रकोष्ठ तेजी से काम कर रहे है। पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के माध्यम से कांग्रेस अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने के लिए भी लगातार मजबूत किया जा रहा है। कांग्रेस के एक सर्वे में इस समय पूरे प्रदेश में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर लोगों में भारी नाराजगी दिखाई दे रही है और इसी को कांग्रेस आने वाले चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाएगी।