नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक ने कल असहनीय हो चुकी महंगाई को रोकने के लिए आपात स्थिति में मौद्रिक नीति की बैठक कर ब्याज दरों को बढ़ाने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान से जहां सस्ते कर्ज का युग अब समाप्त हो गया वहीं बैंकों से कर्ज लेने वाले उद्योगपतियों से लेकर कार और मकान लोन ले चुके लोगों को अब 10 से 11 प्रतिशत तक ब्याज देना होगा। यानी भीषण महंगाई के बाद कर्ज के ब्याज की मार भी शुरू हो जाएगी। दूसरी ओर घोर कर्ज में डूबी केन्द्र और राज्य सरकारों को भी अब महंगा कर्ज मिलेगा, बांड बाजार में कल से ही ब्याज दरों में उछाल आ गया है। दूसरी ओर बैंकों ने आज से ही ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है। आरबीआई की नई नीति के तहत बाजार से 87 हजार करोड़ रुपए निकल जाएंगे।
रिजर्व बैंक द्वारा आपात स्थिति में घोषित की गई मौद्रिक नीति के कारण कल शेयर बाजार में चंद मिनट में ही 1307 अंकों की गिरावट के साथ साढ़े 6 लाख करोड़ के लगभग निवेशकों के स्वाहा हो गए। भीषण महंगाई को लेकर आरबीआई गवर्नर ने भी अपनी ओर से अंतिम प्रयास कर लिया है। अब इसके बाद महंगाई पर नियंत्रण के सारे प्रयास सरकार को ही करने होंगे। रिजर्व बैंक गवर्नर ने मार्च में खाद्यान की महंगाई के अलावा खाद्य तेल की महंगाई का जिक्र करते हुए कहा कि अब यह जिद्दी हो चुकी है। यानी अब आने वाले समय में गेहूं की महंगाई का असर भी दिखाई देगा। 40 बेसेस पाइंट के साथ ही 50 सीआरआर की वृद्धि के कारण आम आदमी के लिए ब्याज दरें 10 से 11 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। दूसरी ओर बैंकें जमा पर ब्याज दरें बढ़ाने को लेकर अभी मौन हैं। इससे जमा और कर्ज के बीच बड़ा अंतर दिखाई देगा। आरबीआई को जून में नई मौद्रिक नीति का ऐलान करना था परंतु उसके द्वारा मई में ही मौद्रिक नीति का ऐलान किया जाना बता रहा है कि महंगाई को लेकर अब उसके भी हाथ-पांव फूल रहे हैं। यदि नियंत्रण नहीं रहा तो आने वाले महीनों में इसके और घातक परिणाम होंगे। महंगाई से लोग त्रस्त और सरकार का खजाना झमाझम
भीषम महंगाई के कारण लगभग हर सामान पर 20 से 30 प्रतिशत तक जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है। अप्रैल में 1.65 लाख करोड़ रुपए जीएसटी कलेक्शन एकत्र हुआ है। इधर महंगाई का आंकड़ा भी अभी आना बाकी है। यही स्थिति रही तो मई माह का जीएसटी कलेक्शन 2 लाख करोड़ के लगभग होगा। सरकारें भारी कर्ज में डूबी हुई है
केन्द्र सरकार इस समय कई दशकों बाद कर्ज के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है जो जीडीपी का 99 प्रतिशत है। इस साल भी सरकार 11 लाख करोड़ रुपए कर्ज बाजार से लेने जा रही है। सरकार को भी अब महंगी ब्याज दरों पर ही कर्ज उठाना होगा, या फिर अपने खर्चों में 30 प्रतिशत तक कमी करनी होगी जो संभव नहीं है। नए कर्ज बनेंगे मुसीबत
आरबीआई के कर्ज पर ब्याज बढ़ाए जाने के कारण राज्यों को और बड़ी मुसीबत का सामना करना होगा, जो पहले से ही कामकाज चलाने के लिए भी लगातार कर्ज ले रही हैं, उन्हें भी अब 8 प्रतिशत से ऊपर ही नए कर्ज मिल पाएंगे। टैक्स दरों में और इजाफा होगा
राज्य सरकारें अब किसी भी प्रकार की छूट टैक्स में नहीं दे पाएंगी दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल सहित कई सुविधाओं पर टैक्स की मार और बढ़ेगी। टोल सहित रजिस्ट्री और रोड टैक्स सहित कई टैक्स में अगले माहों में इजाफा होता दिखाई देगा।