वीडियोकॉन को बैंकों के 65000 करोड़ देना थे, मिले 2962 करोड़ जेट एयरवेज के 7000 करोड़ का मामला 385 करोड़ में निपट गया
कॉर्पोरेट घरानों की अरबों की देनदारी चंद करोड़ों में निपट गई, नए कानून से चांदी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। बैंकों के साथ अरबों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले कारोबारियों के उद्योग सरकार रेवड़ी की तरह बेच रही है। हालत यह है कि पांच लाख सोलह हजार करोड़ के बैंकों के बकाया वाले उद्योगों की नीलामी से सरकार को केवल दो लाख करोड़ रुपया ही वापस आया है। कई ऐसे उद्योग हैं, जिनसे पैसा आने की संभावना भी नहीं है। एक रुपए की वसूली में से अड़तीस पैसे ही वापस लौटकर आ रहे हैं। बैंकों का बोझ खत्म करने के चक्कर में यह खेल चल रहा है। दूसरी ओर छोटे लोन लेने वाले यदि राशि जमा न कर पाएं तो उनके घर का सामान तक नीलाम हो जाता है। दो बड़ी औद्योगिक इकाइयां कैसे बेची गईं, इसको इस प्रकार से समझा जा सकता है।
देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रानिक कंपनी वीडियोकॉन ने एसबीआई सहित छह बैंकों से पैंसठ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के लोन ले रखे हैं। तेरह अलग-अलग कंपनियों के नाम पर यह लोन लिए गए और बाद में कंपनी संचालकों ने खुद को दिवालिया घोषित करते हुए मार्च 2021 में लागू किए गए नए कानून के तहत खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया में शामिल कर लिया। बैंकों ने कंपनी के पूरे सामान की नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की तो बैंकों को मिले 2962 करोड़ रुपए मिले, यानी रुपए के पांच पैसे मिल रहे हैं। दूसरी ओर इस मामले में अब किसी और कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। इसके अलावा एक अन्य प्रकरण जेट एयरवेज का है। जेट एयरवेज से बैंकों को 7800 करोड़ की वसूली करनी थी। जेट एयरवेज की दुनिया भर में सम्पत्ति मौजूद है। यह कंपनी मुफ्त में ही लगभग चली गई। इस कंपनी की कीमत जालान समूह ने 385 करोड़ रुपए तय की, जिसे स्वीकार कर लिया गया है, जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा की तो सम्पत्ति है। इस समझौते में सबसे ज्यादा नुकसान शेयर होल्डरों को हुआ है। उन्हें सौ शेयर के बदले एक शेयर मिलेगा, वहीं कर्मचारियों के 715 करोड़ बकाया के बदले में 52 करोड़ रुपए ही केवल दिए जाएंगे। एक ओर जहां सरकार के नए कानून से बैंकों की बैलेंस शीट सुधरेगी, वहीं उद्योगपति भी कर्ज से बिना कुछ दिए मुक्त हो जाएंगे। इसके बाद भी उद्योगपतियों के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति रहेगी, जिससे सरकार कोई भी पैसा वसूल नहीं कर रही है। कुल मिलाकर अरबों रुपए की सम्पत्ति देश के उद्योगपति फिर से लाखों रुपए में खरीदकर अपना कामकाज शुरू कर रहे हैं। इन कंपनियों में भी वे ही लोग वापस पदस्थ हो रहे हैं, जिन्होंने पुरानी कंपनियों में भी बड़े पैमाने पर सरकार को चूना लगाया था।