गुस्ताखी माफ –अंतत: प्रभारी भये प्रकट कृपाला…जाए तो… और न जाए तो…… और अंत में
अंतत: प्रभारी भये प्रकट कृपाला…
अंतत: शहर के नए-नए प्रभारी मंत्री ने अपने दो दिनी दौरे में पूरे इंदौर के हर घाट पर स्नान किया। पिछले कार्यकाल में जब वे स्वास्थ्य मंत्री थे, तब वे इंदौर की तरफ पांव करके भी नहीं सोते थे। पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने कभी अपना मुखड़ा इस शहर को नहीं दिखाया। केवल दो विभाग समारोह में शामिल होने के लिए वे पिछले कार्यकाल में आए थे। एम.वाय. में 17 बच्चों की मौत के बाद भी उन्होंने इस दिशा में खड़े होकर देखा भी नहीं था। अब यही कारण है कि प्रदेश के लगभग हर मंत्री के समर्थक इस शहर में मौजूद हैं, परंतु पंडित नरोत्तम मिश्रा के कुछ रिश्तेदार ही यहां पर हैं। वे भी अकेले ही सुर और ताल मिलाते रहते हैं। हालांकि सूत्र कह रहे है उन्होंने दिग्गज नेताओं के घरों में सुरंग बना ली है। जानकारी सबकी है।
जाए तो… और न जाए तो…
पिछले दिनों रेसीडेंसी कोठी पर उस समय बड़ा अजीब वाकया घटा, जब प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा और परभारी मंत्री तुलसी सिलावट अचानक आमने-सामने हो गए। इस दौरान नरोत्तम मिश्रा के पीछे विधायकों और भाजपा नेताओं का लवाजमा था। उन्होंने पेलवान को देखते ही कहा -अरे आप दिल्ली नहीं गए, मुझे लगा, आप दिल्ली गए हो। पेलवान ने गर्दन हिलाई तो धीरे से पीछे खड़े विधायकों ने कहा- मंत्रालय ऐसा मिला है कि जाने और नहीं जाने से क्या फर्क पड़ेगा। अब यह भी बता दें कि रेल मंत्रालय की बात ही अलग है। वैसे भी भाजपा में आकर उन्हें हवाई राजनीति का अच्छा खासा ज्ञान हो चुका है इसका लाभ उन्हें मिलेगा।
… और अंत में
भाजपा के एक बड़े नेता का दर्द इन दिनों कुछ ऐसा छलक आया कि उन्होंने कहा पंद्रह साल सत्ता में रहने के बाद भी सत्ता के लायक नहीं समझा और अब नई सरकार में तो नाव के चप्पू ही दूसरों के पास हैं। ताजा राजनीति में एक सबक यह है कि किसी दूसरे दल में लंबी राजनीति करने के बाद फिर भाजपा में आते तो शायद ज्यादा सम्मान मिलता।