गुस्ताखी माफ -मूंछें हो तो… और डर हो तो…आदर्श से ज्यादा अच्छा ज्ञान बगारना…नए नाम कर्नाटक के…चल पड़ी गुलानी की…
मूंछें हो तो… और डर हो तो…
कुछ भी हो, मूंछें और डर एक जैसे हो सकते हैं। कहावत है-मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी और डर हो तो मनीषसिंह जैसा। तीन दिन पूर्व कोरोना महामारी के बाद कर्फ्यू की अवधि में भोपाल का संदेश आया कि अवधि अब रात्रि 11 बजे से सुबह 6 बजे तक रहेगी। छोटे कारोबारियों में हर्ष व्याप्त हो गया। कई युवा कारोबारी अपनी दुकानें देर रात्रि खोलने की तैयारी में लग गए। पूरे शहर में व्यापारियों के बीच भ्रम बना रहा। इस बीच सियागंज के अनुभवी व्यापारियों का अनुभव काम आया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री भी बोल दें कि दुकानें खोल लो, कामकाज करो, तो भी जब तक जिलाधीश का वीडियो कामकाज करने के लिए नहीं आएगा, हम नहीं खोलेंगे। इसके बाद युवा व्यापारियों ने कहा सरकार का आदेश है, कामकाज कर सकते हैं। वे नहीं माने। अतत: जिलाधीश को लेकर ही स्थिति स्पष्ट हुई। उन्होंने कहा इंदौर का फैसला कमेटी में होगा। बुजुर्ग व्यापारियों ने कहा यहां मनीषसिंह साहब की सरकार है, फैसला वही, जो वो करें।
आदर्श से ज्यादा अच्छा ज्ञान बगारना…
महू की विधायक और सांस्कृतिक मंत्री ने पिछले दिनों एक सुझाव दिया कि जो सक्षम हैं, वे प्रधानमंत्री कोष में पांच सौ रुपए जमा करवा दें, ताकि राशि दूसरे के कामों में आ सके। सुझाव अच्छा है। सवाल यह उठ रहा है कि सबसे पहले उन्हें खुद पांच सौ रुपए कोष में जमा कर अपना आदर्श प्रस्तुत करना था। इसके बाद उनके तमाम समर्थकों से यह राशि जमा करवाना थी, वहीं अपनी विधानसभा में इसे लेकर प्रचार करना था तो वे निश्चित रूप से आदर्श होतीं, परंतु आजकल ज्ञान देना और आदर्श प्रस्तुत करने में बड़ा फर्क है। हालत बता रही है कि यह ज्ञान है, आदर्श नहीं।
नए नाम कर्नाटक के…
भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री सुहास भगत के जाने की तैयारी के साथ ही नए संगठन महामंत्री को लेकर उच्चस्तरीय कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए प्रमुख रूप से शैलेंद्र बरुआ और हितानंद शर्मा के नाम अभी सबसे ऊपर हैं, परंतु इस बार मध्यप्रदेश में संगठन महामंत्री के लिए एकदम चौंकाने वाला नाम सामने आएगा। नए नाम के लिए कर्नाटक से मध्यप्रदेश में किसी को भेजे जाने की तैयारी की गई है।
सेंट्रल एक्साइज में इन दिनों उगाई के लिए एक नाम सबसे ऊपर चल रहा है और वे भी बाजार में शहर के बड़े नेता के करीबी होने का दावा कर रहे हैं। विभाग ने उन्हें वसूली के लिए बकायदा एक सरकारी गाड़ी भी दे रखी है। हालांकि उन्हें निरीक्षक हेडक्वार्टर के पद पर पदस्थ किया गया है। दो दिन पूर्व द्वारकापुरी में वसूली कर रहे थे। उसके पूर्व छावनी मंडी में भी उनका परचम लहराता रहा। इन सज्जन का नाम प्रदीप गुलानी है। आप इन्हें गोली-बिस्किट का कामकाज करने वाला न समझें। इनके परिवार का यह काम हुआ करता था, लोग ऐसा कहते हैं। जो भी हो, विभाग का और बड़े नेताजी दोनों का ध्यान वे अकेले ही रख सकते हैं।
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