गुस्ताखी माफ –कार्यकर्ता प्रताड़ना कार्यक्रम…नमाज का मामला था रोजे गले हो गए…
कार्यकर्ता प्रताड़ना कार्यक्रम…
इन दिनों भाजपा के नए नेता अपने आपको प्रताड़ितों की श्रेणी में शामिल मान रहे हैं। भाजपा के नेताओं द्वारा रोज जारी हो रहे फतवों में अब जेब ढीली करना पड़ रही है। चाहे वैक्सीन लगवाने का कार्यक्रम हो या पार्टी का अन्य कार्यक्रम हो, नाश्ते से लेकर लाने तक का खर्च जेब से हो रहा है। इधर ना-ना करते हुए भी निकाय चुनाव एक वर्ष के लिए आगे बढ़ ही गए हैं। अक्टूबर और नवंबर के पहले चुनाव नहीं होंगे। वैसे भी आयोग बारिश में चुनाव कराए जाने को लेकर सहमत नहीं होता है। इसका प्रावधान भी बना हुआ है। आपातकाल में ही कोई चुनाव होते हैं। अब पुराने पार्षदों के पास तो थोड़ा-बहुत माल था, परंतु नए उम्मीदवार तो माल आने से पहले माल लगाने को लेकर प्रताड़ित हो रहे हैं।
नमाज का मामला था रोजे गले हो गए…
दो दिन से भाजपा की प्रदेश इकाई की वर्चुअल बैठक को लेकर शहर में दीनदयाल भवन में तैयारियां चल रही थीं। इन तैयारियों को लेकर पूरी जवाबदारी पहले नगर अध्यक्ष के माथे ही चल रही थी, परंतु दो दिन पूर्व ही भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत ने बैठक लेकर यह जानकारी ली कि क्या तैयारियां हैं? इस दौरान जबलपुर की इकाई ने बताया कि शहर और ग्रामीण दोनों का आयोजन एक ही स्थान पर किया जा रहा है। इस पर सुहास भगत ने सख्त एतराज लेते हुए कहा कि नगर और ग्रामीण दोनों ही इकाइयों के कार्यक्रम अलग-अलग होंगे। बैठे-बिठाए ग्रामीण अध्यक्ष राजेश सोनकर के बांस बरेली हो गए। कोई तैयारी नहीं थी, दीनदयाल भवन में ऊपर के हॉल में तुरंत बैंड-बाजा-बारात का कार्यक्रम लगाया गया। अब नगर इकाई का नीचे के हॉल में कार्यक्रम था। वहां पर फूल बंगले से लेकर शानदार तैयारियां थीं तो वहीं ग्रामीण इकाई के कार्यक्रम के लिए कूलर का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा था। वैसे भी उनकी रियासत पेलवान ने पहले ही लूट ली है। अब उनके पास सियासत करने के अलावा मुफलिसी में कुछ बचा भी नहीं था। राम-राम करके कार्यक्रम निपटाया जा रहा था।
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