स्प्रेक्ट्रम मॉल पर विवाद, अब मुख्यमंत्री को होगी शिकायत

शहर के दिग्गज नेता लगे नक्शा निरस्त करवाने में, टीएनसीपी, निगम अधिकारियों ने उड़ाई नियमों की धज्जियां

Controversy over Spectrum Mall, now Chief Minister will complain
Controversy over Spectrum Mall, now Chief Minister will complain

इन्दौर। अन्नपूर्णा मंदिर के पास तालाब के पहले तेजपुर गड़बड़ी की सर्वे नंबर 59/5/3 की 0.421 हेक्टेयर जमीन पर बन रहे आरआर स्पे्रक्ट्रम शॉपिंग मॉल को लेकर नगर निगम की एमआईसी की बैठक में भारी हंगामे के बाद अब मामला और बढ़ गया है। टीएनसीपी सहित नगर निगम से पास नक्शे पर भी सवाल उठे हैं। शहर के दिग्गज नेताओं ने अब नक्शा रद्द करवाने के लिए भोपाल तक गुहार लगा दी है।

वहीं आवश्यकता पडऩे पर न्यायालय की शरण भी ली जाएगी। अधिकारियों के सरंक्षण में बन रहे उक्त मॉल का मामला मुख्यमंत्री को भी बताया जाएगा। एमआईसी सदस्य और क्षेत्रीय पार्षद अभिषेक शर्मा बबलू ने पीएसपी लेंडयूज (अस्पताल, स्कूल के लिए आरक्षित जमीन) वाली जमीन पर बने रहे मॉल की शिकायत मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव, संभागायुक्त, कलेक्टर, निगमायुक्त को की है। अपर आयुक्त ने शिकायत के बाद जांच करने की बात कही है।

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इन्दौर से लेकर भोपाल तक कई आईएएस और पूर्व मुख्य सचिव के खास व्यक्ति की जमीन पर बन रहे स्पे्रक्ट्रम मॉल पर भारी विवाद हो गया है। सूत्रों ने बताया कि उक्त जमीन मास्टर प्लान 2021 में पीएसपी यूज की है अर्थात यहां अस्पताल, स्कूल जैसे निर्माण ही हो सकते हैं मगर टीएनसीपी और नगर निगम से मिल अनुमति पर विवाद है। पिछले सप्ताह एमआईसी की बैठक में भी हंगामा मचा था और अन्नपूर्णा क्षेत्र के पार्षद श्री शर्मा ने पत्र लिखकर मॉल के निर्माण पर सवाल उठाए हैं। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयर्गीय सहित प्रमुख सचिव, संभागायुक्त, कलेक्टर और निगमायुक्त को पत्र लिखकर भवन अधिकारी पर भी नियमों के विपरीत नक्शा पास करने की बात कही है।

मॉल में एक ग्रुप के व्यक्ति रेशो डील के तहत साझेदार हैं। शिकायत में मास्टर प्लान की सारणी क्रमांक 6.22 पेज नंबर 166 पर 29 नंबर पेराग्राफ पर मल्टीप्लेक्टस तो स्वीकार्य गतिविधि है मगर साथ में शॉपिंग मॉल नहीं है। साथ ही टीएनसीपी द्वारा दी गई मंजूरी में प्रीमियम ऑन एफएआर शुल्क जमा करना था मगर निगम में इसे माफ कर दिया गया जिसमें भवन अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठे हैं। नक्शे में ग्राउंड कवरेज में 40 फीसदी स्थान दिया है जो पीएसपी में नहीं होता है।

कई मामलों में निगम ने मुंह की खाई

निगम अधिकारी कई बार नियमों को धता बताते हुए निर्माण की मंजूरी दे देेते हैं फिर बाद में जब शिकायत होती है और जांच में मामला सही पाया जाता है तो आयुक्त को भी मुंह की खानी पड़ती है। न्यायालयीन मामलों में भी अधिकारी आयुक्त को गुमराह कर देते हैं। पिछले साल न्यायालय ने कास्ट भी लगाई। अवैध निर्माण और नक्शें के विपरीत निर्माण की सैकड़ों शिकायतें लंबित हैं। उक्त मॉल को लेकर भी अब निगम की साख पर सवाल उठ रहे हैं। लोकायुक्त ने भी कई मामलों में अपर आयुक्त सहित भवन अधिकारियों को तलब किया है।

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