Gustakhi Maaf – अच्छे दिन का इंतजार…अब भैय्या भये कोतवाल…और अंत में

अच्छे दिन का इंतजार…

कलेक्टर कार्यालय में दो एसडीएम इन दिनों अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं। पहले उनके अच्छे दिन चल रहे थे पर जिलाधीश की नजर लग जाने के बाद दोनों के दिन बदल गये और अब दोनों के पास कोई अनुभाग नहीं है खाली पीली के कामसे वे अपना दिन निकाल रहे हैं हालांकि वे एक बार फिर पूजा पाठ करवाकर चौघडिय़ा देखने के बाद फिर से जिलाधीश को प्रभावित करने के लिए उनके आसपास परिक्रमा लगा रहे हैं। जिलाधीश भी भोलेनाथ की तरह ना आंख खोल रहे हैं और ना देख रहे हैं। इनमे से एक राजेश परमार है और दूसरे ओमनारायण बड़कुल है। अब देखना होगा कि अच्छे दिन कब से प्रारंभ होंगे। यूं तो गनिमत है राहूकाल निकल गया वरना ना घर के रहते ना घाट के।

अब भैय्या भये कोतवाल…

इंदौर में पदस्थ होने के बाद कई थाना प्रभारी केवल थाने बदलकर ही अपनी आधी नौकरी इंदौर में ही निकाल लेते हैं। और उन्हें इंदौर से इतना प्रेम हो जाता है कि वे यहां से जाने को भी तैयार नहीं होते हैं। इसके चलते कुछ थाना प्रभारी तो अब इंदौर पर ही भारी हो गये हैं इंदौर में एक भी जनप्रतिनिधि की ताकत नहीं है कि वे किसी थाना प्रभारी को हटा सके या अपने किसी साथी को थाना प्रभारी बनवा सके। पहले ग्वालियर में जलवा पूजन के बाद थाना प्रभारी इंदौर सीधे आते थे। अब उज्जैन की जुगाड़ का पूरा उपयोग शुरु हो गया है। शहर के सबसे क्रीम थानों में शामिल विजयनगर, लसुडिय़ा, एमआईजी पर यदि आना है तो भोपाल में ही जलवा पूजन कर आया जा सकता है। इंदौर के नेताओं को तो नियुक्ति के बाद ही पता लग पाता है। विजय नगर में पदस्थ रहे थाना प्रभारी सीबीसिंह इन दिनों एमआईजी में विराजित हो गये हैं। विजयनगर पर गोली बिस्किट के कारोबारी संजय जैसवानी के वे इतने बड़े भगत थे कि उन्होंने कमिश्रर के आदेश को भी जूते की नोंक पर रखवा दिया था। संजय जैसवानी ने इंदौर के एक चार्टेड अकाउंटेंट को अगवा कर ४८ घंटे तक अपने घर बंद करके रखा। पुलिस कमिश्रर के हस्तक्षेप से जब जैसवानी से उसे मुक्त करवाया गया तो चाटर्ड अकाउंटेंट की तरफ से मुकदमा दर्ज करने के निर्देश सीबीसिंह को दिये गये तब सारी रामायण सामने आई कि यह मामला तो इस थाने का है ही नहीं इस मामले में लसुडिय़ा थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया।

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अब सवाल उठता है कि फिर विजयनगर पुलिस इस मामले में कार्रवाई क्यों करती रही। सीबीसिंह अपनी सीमा रेखा के पार जाकर पैसों के लिए किसी भी हद तक जाने वाले पुलिस अधिकारियों में जाने जाते हैं। अब एमआईजी पर उनकी नियुक्ति के बाद शायद लोग भुल गये होंगे कि इस क्षेत्र में गोल्डन गेट होटल में लगी आग के बाद अभी भी इस होटल के मालिकों से लोगों को पैसा लेना बाकि है इसकी सुपारी होटल मालिक जो पूर्व में थाना प्रभारी रह चुके हैं एक सीए के साथ सौ रुपये का समझौता बीस रुपये में करने के लिए दबाव बना रहे हैं। यह पूर्व थाना प्रभारी भी कम जादूगर नहीं थे। ट्रेवल्स एजेंसी और बैंक की धोखाधड़ी में दो साल सीबीआई से बचने के लिए भागते फिरे और बाद में नौकरी छोड़कर नये काम में लग गये। उनकी बनाई होटल में आग लगने के बाद पता लगा कि इसका बीमा नहीं था। अब यहां लोगों के लाखों रुपये उलझे हुए हैं। अब पाठक यह पता लगा ले की यह होटल किसकी है और माननीय थाना प्रभारी के क्या रिश्ते हैं?

और अंत में

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी महिला के रुप में महू की विधायक उषा दीदी का नाम भी ऊपर आया है। हालांकि उनकी लोकप्रियता के चलते वे हर बार विधानसभा बदलती रही है संगठन ने ही उन्हें हर बार अन्य विधानसभा में उनके ना चाहते हुए भी भेजा है। संगठन से मोर्चा लेने के बाद अब वह संगठन की कमान कैसेसंभालेगी यह भी समय बतायेगा। इधर भाजपा के ही दिग्गज नेताओं का कहना है उषा दीदी संगठन के लायक ही है क्योंकि उनमे संगठन और कार्यकर्ताओं को जोडऩे की जबर्दस्त क्षमता है।

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