अहिल्यापथ: छोड़ी गई जमीनें वापस लेना प्राधिकरण के लिए संभव नहीं होगा, पहले भी उच्चतम न्यायालय से हार चुके हैं

ऐसी ही छोड़ी गई जमीन में कुलश्रेष्ठ निलंबित हुए थे फिर इन अधिकारियों पर सरकार मेहरबान क्यों?

Ahilyapath: It will not be possible for the authority to take back the abandoned lands, it has already lost in the Supreme Court
Ahilyapath: It will not be possible for the authority to take back the abandoned lands, it has already lost in the Supreme Court

इंदौर। इंदौर की प्रतिष्ठत सड़क अहिल्यापथ को लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जहां प्रारंभ की जा रही है वहीं अहिल्यापथ और उसके आसपास विकसित होने वाली पांच स्कीमों के नक्शों पर इंदौर विकास प्राधिकरण तथा नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने नक्शों पर रोक लगाते हुए यह दावा किया है कि पुराने नक्शे भी कैंसल कर दिये जाएंगे।

जबकि इंदौर विकास प्राधिकरण का अनुभव है कि एक बार स्वीकृत किए गए नक्शे निरस्त नहीं हो सकते हैं। इस मामले में पहले भी प्राधिकरण उच्चतम न्यायालय तक लड़कर हार चुका है। जमीनों के छोड़े जाने के इस खेल में खुद अधिकारी ही गले गले डूबे हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि जिस प्राधिकरण ने इस योजना का संकल्प बैठक में पारित किया। उसी प्राधिकरण ने यहां कॉलोनी काटने के लिए जमीनों को मुक्त किया। इसके पूर्व प्राधिकरण की ही योजना क्रमांक १३२ के समाप्त होने और नई योजना लगने के बीच नगर तथा ग्राम निवेश के अधिकारी कुलश्रेष्ठ ने शहर के भूमाफियाओं के नक्शे पास कर दिये थे सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। परंतु यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। जमीनों के योजनाओं में शामिल होने से पहले नक्शे पास कराने में शहर के दो नये भूमाफिया अतुल काकरिया और सचिन भाई नीमा की अहम भूमिका है।

सर्वविदित है कि इस प्रकार की किसी भी योजना के बोर्ड में प्रस्ताव आने के पहले ही प्राधिकरण और नगर तथा ग्राम निवेश के मुखिया इन क्षेत्रों में नक्शों पर रोक लगा देते थे। परंतु यहां खास बात यह रही कि योजना की जानकारी खुद प्राधिकरण के अधिकारियों ने भूमाफियाओं को देकर प्राधिकरण में ही बैठकर इन जमीनों के नक्शे योजना के पहले ही पास कर दिये। जबकि दोनों के संज्ञान में यह योजना आ चुकी थी। इधर इस मामले में जमीन मुक्त करवाने वाले अतुल कांकरिया के करीबी का दावा है कि सरकार और शासन चाह कर भी इन जमीनों को योजना में शामिल नहीं कर पाये थे।

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उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक १३२ निरस्त कर दी गई थी और इसके तुरंत बाद नई योजना डाली जानी थी इस बीच नगर तथा ग्राम निवेश विभाग में संचालक के पद पर पदस्थ कुलश्रेष्ठ ने शहर के कई भूमाफियाओं के नक्शे पास कर दिये थे। इसमे जेल में बंद दीपक मद्दा से लेकर कई जमीनें खरीदने वाले बाबी छाबड़ा भी शामिल थे। शिकायत के बाद कुलश्रेष्ठ को निलंबित कर दिया गया। अब यहां पर श्रीराम गृहनिर्माण की जमीन योजना से बाहर हो चुकी थी। Ahilyapath

प्राधिकरण इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक गया और खाली हाथ ही लौटा यानी अहिल्यापथ में विगत छह माह में जो नक्शे मंजूर हो गये हैं उन पर रोक लगाये जाना अब संभव नहीं होगा। हालांकि अब आगे यहां पर नये नक्शे पास करने पर भले ही रोक लगा दी हो परंतु टीएनसीपी जो नक्शे पास कर चुका है और प्राधिकरण जिस पर एनओसी दे चुका है इनमे कुछ भी नहीं हो पायेगा। जमीनों के इस खेल में भूमाफिया अतुल कांकरिया और संदीप भाई नीमा की अहम भूमिका रही जिन्होंने बहुत तेजी से जमीनों पर एनओसी प्राप्त कर ली। प्राधिकरण के ही पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह योजना कई सालों तक पुरानी योजनाओं की तरह ही झूलती रहेगी। अहिल्यापथ की ७० प्रतिशत जमीनें फंस गई है। दूसरी ओर इस योजना में आईडीए ने कृषि भूमि को भी शामिल कर लिया है जबकि कानून के अनुसार यह संभव नहीं है।

अहिल्यापथ की स्थिति भी प्राधिकरण की ट्रांसपोर्ट हब सहित कई अधूरी पड़ी योजनाओं जैसा ही हाल रहेगा। पूर्व अधिकारियों का तो यह भी दावा है कि यह योजना अदालतों के दरवाजे पर ही अपनी देह त्याग देगी। आश्चर्य की बात यह है कि सरकार इस पूरे मामले में अधिकारियों को क्यों बचा रही है जिन्होंने गली निकालकर जानकारी होने के बाद भी नक्शे पास कर दिये इस मामले में प्राधिकरण के भी सूत्र दावा कर रहे हैं कि अतुल कांकरिया और भाईजी नीमा इंदौर विकास प्राधिकरण में हर दिन देखे जा सकते थे। अतुल कांकरिया ने सिद्धी ओलपिया के नाम से १.३१४ हेक्टेयर में विकास अनुमति प्राप्त कर ली है। Ahilyapath indore

और अब यह जमीन योजना के लिए भी सरदर्द तो है ही अन्य छोड़ी गई जमीनें भी योजना को उलझा देगी। प्राधिकरण ने अभी भी रेवती रेंज और उसके आसपास की जमीनें फ्रीज नहीं की है। यहां ग्रीन बेल्ट भी संकट में पड़ रहा है। दूसरी ओर इस योजना में जिन किसानों की जमीनें जा रही है वे भी मैदान में उतर चुके हैं पिछले दिनों मंत्री तुलसी सिलावट उनके साथ जमीन पर बैठकर चर्चा कर चुके हैं जिसमे उन्होंने कहा था कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा।

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