सवा करोड़ से ज्यादा किराना दुकानों ने कामकाज समेटा

More than 1.25 crore grocery shops closed their operations
More than 1.25 crore grocery shops closed their operations

मुंबई (ब्यूरो)। देशभर में कोरोना के समय और कोरोना के बाद ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स को मिली रफ्तार ने जहां रोजगार के अवसर पैदा किए वहीं घरेलू सामान बेचने वाली कंपनियों का 30 से 50 प्रतिशत सामान इन्हीं के माध्यम से जाना शुरू हो गया है। दूसरी ओर इन कंपनियों के कारण गली-मोहल्लों में कामकाज कर रही छोटी किराने की दुकानों ने ग्राहकों की कमी और भाव की स्पर्धा के चलते अपना कामकाज समेट लिया है। देशभर में सवा करोड़़ से ज्यादा छोटी किराना दुकानों से जीवनयापन करने वाले 4 करोड़ लोगों को अब जीवन का संकट खड़़ा हो गया है।

यह बात ई-कॉमर्स की ग्रोथ को लेकर 4 साल के कामकाज पर जारी की गई रिपोर्ट में बताई गई है। इसमें बताया गया है कि जहां अब कोरोना के बाद आम लोगों ने ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के माध्यम से अपने घरों का सामान खरीदना शुरू किया है तो वहीं अब इस काम में बिग बास्केट, फ्लिपकार्ड और अमेजॉन जैसी कंपनियां भी कूद गई हैं जो एक घंटे के अंदर ही घरों पर डिलेवरी दे रही हैं। अब इसमें सर्विस चार्ज भी लिया जा रहा है। देश की कई कंपनियां इन्हीं को अपना सामान दे रही हैं जो किराने की दुकान पर मिलने वाले सामानों के भाव से 10 से 15 प्रतिशत तक सस्ती हैं। ऐसे में बड़ी आबादी अब किरानों की दुकानों से मुक्त होकर सीधे ऑन लाइन सामान ले रहे हैं।

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वहीं कई परिवार अब अपना मंथली सामान भी डीमार्ट, इंडोर, बिग बाजार से खरीद रहे हैं। ऐसे में अब मोहल्लों और गलियों में छोटी किराने की दुकानों को खोलकर कामकाज करने वाले छोटे व्यापारियों द्वारा बेचे जा रहे सामान की कीमत इन ई-कॉमर्स बाजारों से महंगी पड़ रही है और इसीलिए इन दुकानों से कई लोग अब दूरी बना रहे हैं। केवल तात्कालिन सामान ही इन दुकानों से बिक रहे हैं। ई-कॉमर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके कारण 1 करोड़ 58 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिले। इसमें 35 लाख महिलाएं भी शामिल हैं, वहीं इनके माध्यम से एक व्यक्ति 9 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है तो दूसरी ओर ऑफ लाइन याने खुले बाजार में दुकानदार औसत 6 लोगों को रोजगार देकर उनके परिवारों को पाल रहा है। देश में सवा करोड़ से ज्यादा छोटी किराना दुकानों में कामकाज खत्म होने के बाद इन्होंने अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया है। आने वाले समय में दूसरे क्रम की दुकानों के सामने भी अस्तित्व की लड़ाई लडऩे का संकट खड़ा हो रहा है।

 

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